जैविक रूप से किसी भी महिला की प्रजनन क्षमता 20 से 30 वर्ष की उम्र में सबसे अच्छी होती है और परिवार बढ़ाने के लिए यह सबसे अच्छा समय होता है।जब महिला 30 की उम्र पार करती है तो उसकी प्रजनन क्षमता घटती जाती है और 35 वर्ष तथा इसके बाद इसमें तेजी से गिरावट आती है। यानी हम कह सकते है कि उम्र बढ़ने के साथ महिला के अंडाणुओं की संख्या और गुणवत्ता कम होती जाती है।
1-धूम्रपान
धूम्रपान से महिला और पुरूष दोनों की प्रजनन क्षमता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। धूम्रपान से पुरूषों में शुक्राणुओं का उत्पादन, गति और आकृति विज्ञान प्रभावित होता है। वहीं महिलाओं में यह फाॅलिक्यूलर माइक्रो एनवायरमेंट तथा महिला के अंडाणु निकलने के बाद मासिक धर्म से पहले के समय (ल्यूटल फेज) में हार्मोन्स के स्तर को प्रभावित कर सकता है।
 
2-ब्लडप्रेशर
हाइपर टेंशन या हाई ब्लड प्रेशर में धमनियों में रक्तरदाब बढ़ जाता है। जिससे हृदय को रक्त नलिकाओं में रक्त के संचरण के लिए सामान्य से अधिक परिश्रम करना पड़ता है। हाइपर टेंशन हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, किडनी और हृदय रोगों का खतरा बढ़ा देता है और प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। ब्लड प्रेशर में थोड़ी सी भी बढ़ोतरी जीवनकाल को कम कर देती है। रक्तदाब को नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में बदलाव लाना बहुत जरूरी है। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। अपना वजन नियंत्रण में रखें। संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें।
 
3-डायबिटीज 
 
डायबिटीज भी महिला की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। डायबिटीज तब होती है जब अग्नााशय पर्याप्त, मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या जब शरीर प्रभावकारी तरीके से अपने द्वारा स्त्रायवित उस इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता। इंसुलिन एक हार्मोन है जो रक्त की शर्करा को नियंत्रित रखता है। अनियंत्रित डायबिटीज के कारण रक्त में शर्करा का स्तर काफी बढ़ जाता है जिसे हाइपरग्लातइसेमिया कहते हैं। डायबिटीज मुख्यतः तीन प्रकार की होती है। टाइप 1 डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज और गेस्टैकशनल डायबिटीज। वैसे इसके एक और प्रकार टाइप 1.5 के मामले भी सामने आ रहे हैं। डायबिटीज जीवनशैली से जुड़ी एक लाइलाज बीमारी है। खानपान को नियंत्रित कर, नियमित रूप से एक्सलरसाइज और उचित दवाईयों का सेवन करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है। रोजाना नियत समय पर खाना खाएं। दिन में तीन बार मेगा मील खाने के बजाय छह बार मिनी मील खाएं इससे रक्त में शुगर के स्तर में अत्यधिक उतार-चढ़ाव नहीं होगा।
 
4-वजन 
वजन बहुत ज्यादा या बहुत कम होना भी महिला की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। यह हार्मोन्स का असंतुलन पैदा कर सकता है और अंडाणु बनने की प्रक्रिया से जुडी परेशानी खड़ी कर सकता है। इसके अलावा मोटापे के कारण कार्डियोवस्कुलर रोग, मधुमेह तथा कुछ तरह के कैंसर भी हो सकते है। इसके अलावा यह पाॅली साइटिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) का भी बड़ा कारण है जो महिलाओं में बांझपन का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। वजन ज्यादा होने से गर्भावस्था के दौरान भी समस्याएं आती है।
 
5-खान-पान
खान-पान प्रजनन क्षमता बढ़ाने में मुख्य भूमिका अदा करता है और अंडाणु बनने की प्रक्रिया को बेहतर बनाता है। संतुलित और पौष्टिक भोजन सामान्य स्वास्थ्य के लिए जरूरी है और समस्त शारीरिक गतिविधियों पर सकारात्मक प्रभाव डालता हैं। हमें अनाज, फाइबर युक्त भोजन, फल, सब्जियां, प्रोटीन जैसे फलियां, तोफू, सूखे मेवे आदि खाने चाहिए। जंक फूड और ट्रांस फैट, अधिक वसा वाली वस्तुओं से दूर रहना चाहिए।
 
6-जरुरत से ज्यादा या कम व्यायाम
 
नियमित व्यायाम से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पडता है। अधिक वजन वाली महिलाएं व्यायाम करें तो उनके मां बनने की सम्भावना बढ़ जाती है, क्योंकि व्यायाम से उनका वजन कम होता है। वास्तव में गर्भावस्था के दौरान भी व्यायाम किया जाए तो मानसिक स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। लेकिन व्यायाम बहुत ज्यादा नहीं करना चाहिए। अधिक व्यायाम से महिला में हार्मोन अंसतुलित हो सकते हैं और अण्डाणु बनने की प्रक्रिया बाधित हो सकती हैं। इससे महिला का मासिक चक्र भी गड़बड़ा सकता है। देखा जाए तो व्यायाम न बहुत ज्यादा अच्छा है और न बहुत कम। बेहतर संतुलन बनाया जाना जरूरी है।
7-शराब सेवन
शराब का बहुत ज्यादा सेवन किया जाए तो यह प्रजनन क्षमता घटा सकता है। यह एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ाता है और एफएसएच का स्राव कम करता है। इससे अजन्मे बच्चे के लिए जोखिम पैदा हो सकती है। शराब से पुरूषों में भी शुक्राणुओं की संख्या प्रभावित होती है। ऐसे में यदि कोई दम्पति परिवार बढ़ाना चाहते हैं तो उन्हें शराब का सेवन कम कर देना चाहिए।
8-तनाव
तनाव बांझपन का प्रमुख कारण तो नहीं है, लेकिन यह महिला की प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। तनाव के कारण इसे बढ़ाने वाले हार्मोन जैसे एड्रीनिलीन, काॅर्टीसोल आदि का स्तर बढ़ जाता है।
जो महिलाएं पहले गर्भपात की शिकार हो चुकी है, उनमें बेचैनी और अवसाद की स्थिति प्रजनन की क्षमता को प्रभावित कर सकती है। जो दम्पति किसी भी तरह के तनाव या मनोवैज्ञानिक दबाव से जूझ रहे है, उन्हें सही परामर्श लेना चाहिए।
9-पर्यावरण 
पर्यावरण या अपने काम के कारण यदि किसी भी तरह के कीटनाशकों या प्रदूषकों के सम्पर्क में आ रहे हैं तो यह भी प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव डाल सकते है। इसके अलावा ये गर्भपात या जन्मजात विकृतियां का कारण भी बन सकते है।
तो अपने जीवनशैली में कुछ बदलाव और स्वाथ्यवर्धक विकल्पों को चुनकर  का चुनाव कर महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढा़या जा सकता है। हालांकि ये भी सच है कि आईवीएफ जैसी तकनीकों के कारण कई महिलाएं मां बन कर स्वस्थ बच्चे पैदा कर रही है।

 

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