पेट संबंधी बीमारियों से बचाव के लिए रखें डाइट का ध्यान: Diet for Stomach Health
Stomach Health

Diet for Stomach Health: हमारे शरीर में तकरीबन सभी रोगों की जड़ पेट है। सिर से लेकर पांव तक ऐसी बहुत सारी बीमारियां है जिनकी शुरुआत पेट से होती है। इसका अच्छा होना हर उम्र के लोगों के लिए बहुत जरूरी है। वैज्ञानिक तो पेट को शरीर का सेंट्रल नर्वस सिस्टम मानते हैं जिसे ईएनएस (एंटरिक नर्वस सिस्टम) कहा जाता है। पेट में मुंह से लेकर मलाशय (रैक्टम) तक डायजेस्टिव अंग आते हैं। इसमें अनगिनत माइक्रोबायोम या गट माइक्रोबायोटा बैक्टीरिया पाए जाते हैं। ये बैक्टीरिया हेल्दी और बैलेंस डाइट लेने, बैक्टीरिया के संपर्क में आने पर और एंटीबायोटिक मेडिसिन के उपयोग के कारण बढ़ते हैं।

दो तरह के होतेे हैं बैक्टीरिया

Diet for Stomach Health
Diet for Stomach Health-Two types of bacteria

एक गुड बैक्टीरिया जो नसों की ताकत देकर पेट को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। साथ ही शरीर के मेटाबाॅलिज्म को ठीक रखकर इम्यूनिटी बूस्ट करने, खाना पचाने, शरीर को एनर्जी प्रदान करने, हैप्पी हार्मोन सिराटोनिन बनाने, अच्छी नींद लाने में भी सहायक होते हैं। और पेट की नसों की ताकत देकर पेट को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। दूसरे बैड बैक्टीरिया पाचन प्रक्रिया में बाधा डालता है जो कमजोर इम्यूनिटी, शरीर में मोटापे, अनिद्रा, चिड़चिड़ेपन का कारण बनता है।

पेट का स्वास्थ्य किस पर निर्भर करती है

हमारे लाइफ स्टाइल और गट फ्लोरा पर निर्भर करता है। हमारे खान-पान में थोड़ी-सी भी गडबड़ हो जाए, तो बीमारियों से बचाने वाले गुड बैक्टीरिया कम हो जाते हैं। दूसरी ओर हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक पैथोजेनिक बैड बैक्टीरिया का लेवल बढ़ जाते हैं। यानी आंतों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है और कई बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।

हमारे लिए यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि हम क्या खा रहे हैं। पेट और पाचन तंत्र को ठीक रखना इसलिए भी जरूरी है कि अगर पेट सही नहीं होगा, तो हमारा स्वास्थ्य भी गड़बड़ा जाएगा। भोजन में मौजूद विषैले पदार्थ शरीर में पहुंच कर पेट और पाचन प्रक्रिया को प्रभावित करतेे हैं, जिसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसे देखते हुए हमें रोजाना अपने आहार में ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए जो हमारे पाचन प्रक्रिया में सहायक हों।

इसके लिए हाई फाइबर डाइट लेना सबसे जरूरी है। ऐसी डाइट हमारी पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चलाने में मदद करती है और कब्ज जैसी समस्या को दूर करती है। लेकिन हाई फाइबर डाइट के कारण इर्रिटेबल बावेल सिंड्रोम IBS होता है, उन्हें हाई फाइबर डाइट से परहेज करना चाहिए। फाइबर दो तरह का होता है- घुलनशील और अघुलनशील। अघुनशील फाइबर में रेशेदार खाद्य पदार्थ आते हैं जिससे स्टूल बनने में मदद मिलती है। अमूमन एक स्वस्थ व्यक्ति को ऐसी अघुलनशील फाइबर या रेशेदार खाद्य पदार्थ अपनी डाइट में जरूर लेने चाहिए। इनमें चोकर युक्त आटा, बीन्स, टमाटर जैसी छिलके सहित खाई जाने वाली सब्जियां, साबुत अनाज जैसी चीजे आती हैं। घुलनशील फाइबर शरीर में पानी की आपूर्ति करता है और दस्त से बचाता है। अपने आहार में नट्स, सीड्स, ड्राई फ्रूट्स, ओट्स, दालों, फल-सब्जियां, आलू, सेब जैसी घुलनशील फाइबर वाली चीजें शामिल करने से पेट की समस्या से दूर रहा जा सकता है।

Avoid Unhealthy Food
Diet for Stomach Health-Avoid Unhealthy Food

गैस्ट्रो डिजीज से बचने के लिए ऑयली फूड या अधिक फैट वाले फूड से परहेज करना भी बहुत जरूरी है। ऑयली फूड हमारे मेटाबाॅलिज्म सिस्टम को धीमा कर देता है जिससे व्यक्ति को कब्ज की शिकायत रहती है। इसके बजाय अगर खाद्य पदार्थाें में मौजूद फैटी एसिड फाइबर के साथ हो तो ज्यादा लाभप्रद है। जहां तक हो सके, मिर्च-मसालें या स्पाइसी भोजन भी नहीं करना चाहिए। इससे पेट दर्द, जलन या गैस की समस्याएं हो सकती हैं।

इसी तरह प्रोटीन रिच खाद्य पदार्थो का सेवन अधिक करें जिसमें एसेंशियल ऑयली कम मात्रा में होता है और प्रोटीन अच्छी मात्रा में होता है। जैसे-अंडा, दालें, मछली, चिकन, लीन मीट। स्प्राउट्स और उबले चनों की चाट भी पेट के लिए फायदेमंद हैं। लो फैट पनीर, टोंड दूध-दही भी इसके अच्छे स्रोत हैं। प्रोटीन बावेल सिंड्रोम को कंट्रोल में रखने के लिए जरूरी है जिससे हमारा वजन भी कंट्रोल में रहता है।

प्रोबाॅयोटिक्स का सेवन करना गैस्ट्रो में काफी फायदेमंद है। प्रोबाॅयोटिक्स हमारे पेट में मौजूद हैल्दी बैक्टीरिया होते है।  प्रोबाॅयोटिक्स हमारे शरीर में स्ट्रेस को रिलीज करने, पाचन प्रक्रिया सुचारू रूप् से चलाने में, पोषक तत्वों के अवशोषण करने में मदद करती है। लैक्टोज़ को तोड़ती है, इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है और IBS से बचाती है। इसमें लो फैट दही, केफीर फर्मेंटिड मिल्क, सोक्रेट गोभी, मिस्सो, टोफू जैसे हैल्दी प्रोबाॅयोटिक्स फूड आते हैं।

गैस्ट्रो समस्याओं से बचने का सबसे अच्छा तरीका है, 2-3 बार ठूंस कर खाने से बेहतर है नियत समय पर दिन में 5-6 बार हल्का खाना खाना। नियत समय पर भोजन न करने से हमारे शरीर की क्लाॅक खराब होने लगती है जिसकी वजह से पेट संबंधी समस्याएं होती हैं। इससे हमें पचाने में आसानी होगी। गरिष्ट भोजन खाने से हमारे पेट में दवाब बढ़ जाता है और पचाने में दिक्कत आती है। उनमें से आधी चीजें शरीर से बाहर निकल जाती हैं या उनके पोषक तत्व रक्त में अवशोषित नहीं हो पाते।

गैस्ट्रो डिजीज से बचने के लिए दिन भर में 8-10 गिलास पानी पीना बहुत जरूरी है। पानी भोजन केा पचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सुबह के समय कब्ज के शिकार लोगों के लिए खाली पेट गुनगुना पानी पीना फायदेमंद है। जो लोग सारा दिन पानी नहीं पी पाते, उनके लिए गुनगुुना पानी बाॅडी को हाइड्रेट रखना, टैम्परेचर मेंटेन करना और वजन कंट्रोल करता है, ब्लड सर्कुलेशन में मदद करता है, स्ट्रेस लेवल कम करता है, पाचन प्रक्रिया सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है, शरीर टाॅक्सिन को बाहर निकाल कर स्वस्थ रखता है।

चाय-काॅफी ज्यादा पीना, एल्कोहल या तंबाकू का सेवन करना जैसी गलत आदतें पेट संबंधी समस्याओं का बड़ा कारण है। इनसे पाचन तंत्र खराब हो जाता है जिससे पेट में अल्सर जैसी समस्याएं भी देखी जाती हैं। सोडा, कोल्ड ड्रिंक्स, ड्रिंक्स जैसी चीजें ज्यादा नहीं पीनी चाहिए। इनसे गैस बनती है, आंतें और हड्डियों पर असर पड़ता है, पाचन प्रक्रिया खराब होती है।

सर्दियों में जिन्हें पेट में ठंड लगती है, उनके लिए गर्म तासीर वाले दूध पीना फायदेमंद हैं जैसे- केसर का दूध, बादाम का दूध, हल्दी का दूध, तुलसी वाला दूध, खजूर का दूध। इन्हें पीने से पेट की तासीर गर्म रहती हैं और पेट संबंधी बीमारियां होने का खतरा कम रहता है।

(डॉ रचना कटारिया, आहार विशेषज्ञ, डाइट क्लीनिक, दिल्ली)