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लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिगरेट और तंबाकू न सिर्फ आपको कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का शिकार बनाते हैं। बल्कि इनके कारण 'बरगर डिजीज' नामक एक भयंकर बीमारी हो सकती है। यह बीमारी आपकी जिंदगी को तबाह कर सकती है।
Buerger Disease Treatment: सिगरेट पीना आज के युवाओं का टशन बन चुका है। दोस्तों के साथ सुट्टा लगाना, मानों मॉर्डन होने की निशानी बन गया है। वहीं तंबाकू भी लोगों की पसंद बन गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिगरेट और तंबाकू न सिर्फ आपको कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का शिकार बनाते हैं। बल्कि इनके कारण ‘बरगर डिजीज’ नामक एक भयंकर बीमारी हो सकती है। यह बीमारी आपकी जिंदगी को तबाह कर सकती है। क्या है बरगर डिजीज, आइए जानते हैं।
जानिए क्या है बरगर डिजीज

बरगर डिजीज एक रेयर बीमारी है, जिसे थ्रॉम्बोएंजाइटिस ओब्लिटेरेंस भी कहा जाता है। इसके कारण लोग हाथ-पैर और उंगलियां गंवा सकते हैं। दरअसल, इससे ब्लड वेसल्स में सूजन आती है, जो रक्त संचार को बाधित करती है। यह क्लॉटिंग का कारण बनता है। इंफेक्शन के कारण टिश्यू डैमेज होने लगते हैं, जिससे अंग खराब होने लगते हैं। यह गैंगरीन का कारण भी बन सकता है।
इसलिए जरूरी है जानना
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर में हर एक लाख लोगों में से करीब 12 से 20 लोग इस खतरनाक बीमारी के शिकार हैं। भारत में भी बड़ी संख्या में लोग इसके शिकार हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में 15 साल या उससे ज्यादा उम्र के करीब 25.3 करोड़ लोग धूम्रपान करते हैं। ऐसे में बरगर डिजीज यहां बड़ा खतरा है। वहीं भारत में पेरिफेरल आर्टरी डिजीज यानी पीएडी से पीड़ित लगभग 45 से 60% मरीजों को बरगर डिजीज होने की आशंका होती है। पीएडी के कारण आर्टरीज सिकुड़ने लगती है। जिससे हाथ-पैरों में रक्त का संचार बाधित हो जाता है।
समय पर पहचानें लक्षण
बरगर डिजीज के लक्षण समय पर पहचानना बेहद जरूरी है। हाथ-पैरों में तेज दर्द, जलन, झनझनाहट इसका शुरुआती लक्षण है। इसी के साथ हाथ-पैरों या अंगुलियों में घाव, स्किन का रंग बदलना, चलने या काम करने में परेशानी होना, मांसपेशियों में ऐंठन, बार-बार हाथ-पैर सुन्न होना जैसे लक्षण नजर आते हैं। रेनॉड सिंड्रोम यानी सर्दी में अंगों का नीला या सफेद पड़ना भी इस बीमारी के संकेत है। बरगर डिजीज का सबसे खतरनाक लक्षण है हाथ-पैरों में घाव, अल्सर और गैंगरीन होना।
इन्हें है ज्यादा खतरा

नियमित रूप से सिगरेट पीने वाले और तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों को बरगर डिजीज होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। हालांकि कई बार ऑटोइम्यून डिजीज के कारण भी इसके होने का खतरा रहता है। 20 से 45 साल के लोग इसका ज्यादा शिकार होते हैं। जेनेटिक हिस्ट्री के कारण इसका खतरा रहता है।
घातक, खतरनाक, भयानक है असर
क्रिटिकल केयर मेडिसिन की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ऋचा तिवारी सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर इस बीमारी के बारे में लोगों को बताया। उन्होंने कहा कि बरगर डिजीज ब्लड वेसल्स और आर्टरीज को ब्लॉक करके उनमें रक्त संचार को कम कर देती है। इसके कारण गैंगरीन जैसे गंभीर रोग होने के साथ ही कई गंभीर बीमारियां हो सकती है। हार्ट अटैक, स्ट्रोक और आंतों से जुड़ी कई परेशानियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
क्या संभव है इसका इलाज
डॉक्टर्स के अनुसार बरगर डिजीज का कोई प्रभावी इलाज अभी तक नहीं मिल पाया है। ऐसे में इससे बचाव ही इलाज है। वैस्कुलर टेस्ट, एंजियोग्राफी, एलन टेस्ट, डॉपलर अल्ट्रासाउंड आदि से इसका पता लगाया जा सकता है। आप डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लेकर इससे कुछ राहत पा सकते हैं। हालांकि समस्या बढ़ने पर हाथ-पैर काटने पड़ सकते हैं। सबसे बेहतर है कि आप सिगरेट और तंबाकू से दूर रहें। क्योंकि बरगर डिजीज के 99 प्रतिशत मरीज सिगरेट पीने के आदि पाए जाते हैं। पैसिव स्मोकिंग से भी बरगर डिजीज हो सकती है।
