Baby Health: अक्सर दूसरों के बच्चों को देखकर हर मां को यही लगता है कि उसका बच्चा तो काफी कमजोर है, दूसरों के बच्चे खा-पीकर गोल-मटोल बने हुए हैं जबकि शिशु विशेषज्ञ मानते हैं कि बच्चा सेहतमंद होना चाहिए न कि मोटा।
बच्चों में मोटापा आजकल माता-पिता और बाल रोग विशेषज्ञों के सामने एक तेजी से बढ़ती चुनौती बन गया है। 2022 में, 5-19 वर्ष की आयु के लगभग 390 मिलियन बच्चे और किशोर अधिक वजन वाले थे, जिनमें से
160 मिलियन मोटापे से पीड़ित थे। यह समस्या केवल 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों तक सीमित नहीं है, 5 वर्ष से कम उम्र के 37 मिलियन बच्चे भी अधिक वजन वाले थे। बचपन में अधिक वजन और मोटापा वयस्कता में टाइप-2 डायबिटीज और हृदय रोग जैसी कई जीवनशैली संबंधी बीमारियों के जोखिम को बढ़ा देता है।
मोटापा और अधिक वजन का आकलन बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के आधार पर किया जाता है। 23 किग्रा/मी² से अधिक का बीएमआई अधिक वजन और 27 किग्रा/मी² से अधिक का बीएमआई मोटापे को दर्शाता है। लगभग 98त्न मोटापे से पीड़ित बच्चों में कोई अंतॢनहित बीमारी नहीं होती। यह मुख्य रूप से
निष्क्रिय जीवनशैली और खराब खानपान की आदतों के कारण होता है। मोटापे का प्रबंधन और उपचार माता-पिता और बच्चों दोनों के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। जैसे कि पुरानी कहावत है’रोकथाम इलाज से बेहतर है, हमारी जीवनशैली में कुछ छोटे बदलाव करके इस समस्या को रोका जा सकता है, ताकि यह स्थिति बच्चों की खुशी में बाधा न बने।
मोटापे की रोकथाम के उपाय
अनन्य स्तनपान: 6 महीने की आयु तक स्तनपान कराने से मोटापे की संभावना कम होती है।
नियमित भोजन समय: बच्चों को नाश्ता सहित नियमित समय पर भोजन करना चाहिए।
रात्रि में 8 घंटे की नींद: बच्चों को रोज रात में कम से कम 8 घंटे सोना चाहिए।

‘5-2-1-0Ó नियम: अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, इस नियम
का पालन करना चाहिए-
1. 5 या उससे अधिक फल और सब्जियों की सॄवग।
2. स्क्रीन टाइम 2 घंटे से कम।
3. 1 घंटे शारीरिक गतिविधि।
4.रोजाना शुगर-युक्त पेय पदार्थ के सेवन से बचें।
बच्चों में स्वस्थ आदतें विकसित करना
1. बच्चों को शुरुआत से ही स्वस्थ खाने की आदतें सिखाई जानी चाहिए।
2. जब बच्चे टीवी या मोबाइल देखते हुए खाना खाते हैं, तो उनके मस्तिष्क का संतुष्टि केंद्र सही ढंग से काम नहीं करता। इसलिए, स्क्रीन ऑन करके खाना बंद किया जाना चाहिए।
3. घर में जंक फूड की जगह फल रखें और शुगर-युक्त पेय की जगह पानी पिलाएं।
4. बच्चे अपने माता-पिता की हर आदत को कॉपी करते हैं। इसलिए, माता-पिता को इन आदतों को पहले अपनाना चाहिए, ताकि बच्चों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़े।
मोटापे के निदान और प्रबंधन
1. मोटापे के निदान के बाद जीवनशैली और आहार में बदलाव करना चाहिए।
2. बच्चों को नियमित भोजन करना चाहिए और नाश्ता कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
3. हर दिन 45 मिनट की मध्यम से तीव्र शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए।
4. स्क्रीन टाइम 1 घंटे से कम होना चाहिए।
किशोरों को शरीर के प्रति सचेत होने की संभावना अधिक होती है और वे ऑनलाइन दुनिया में बॉडी शेमिंग का सामना कर सकते हैं। उन्हें कभी भी क्रैश डायटिंग या भूखे रहने का प्रयास नहीं करना चाहिए। यह फायदेमंद
होने के बजाय अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।

डाइट प्लान
बच्चों को उनके उम्र, वजन और शारीरिक गतिविधियों के अनुसार संतुलित आहार
दें।
1. सुबह: 1 कटोरी ओट्स या दलिया, 1 केला।
2. दोपहर: 2 चपाती, हरी सब्जी, दही, सलाद।
3. शाम: मु_ीभर सूखे मेवे या एक सेब।
4. रात: 1 चपाती, हल्की सब्जी और सूप।
चेतावनी संकेत
निम्नलिखित चेतावनी संकेतों पर ध्यान दें-
1. अचानक वजन बढ़ना। विकास और यौवन में देरी।
2. स्कूल से अनुपस्थिति या साथियों द्वारा वजन/दिखावट को लेकर चिढ़ाना।
3. लगातार चिंता, अवसाद या आत्म- हानि। गुस्से के प्रकोप, नशा या खाने की गड़बड़ी।
इन संकेतों के होने पर विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है।
(डायरेक्टर-पेडियाट्रिक्स, सर्वोदय हॉस्पिटल से बातचीत पर आधारित)
याद रखें
1. मोटापा उन्हीं परिवारों
में चलता है जो खुद नहीं
चलते।
2. मोटापे को नियंत्रित करने से न केवल स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि आत्मसंतोष और खुशी
की भावना भी मिलती है।
“बच्चे अपने माता-पिता की हर आदत को कॉपी करते हैं। इसलिए, माता-पिता को इन आदतों को पहले अपनाना चाहिए, ताकि बच्चों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़े।”
