खानपान
Junk Food : मौजूदा वक्त में फास्ट फूड यानी जंक फूड ने हमारे खाने पर बहुत तेजी से पांव पसारे हैं। इसने सबसे पहले कब्ज़ा जमाया बच्चों पर जिनकी उम्र 4 से 14 वर्ष तक के बीच है। ऐसे में ये बात सोचने वाली है कि नशा बनते जंक फूड ने बच्चों के स्वास्थ्य पर सबसे बुरा प्रभाव डाला है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक दिल्ली के 93 प्रतिशत बच्चे और मुंबई के 95 प्रतिशत बच्चे रात का भोजन करने से पहले काफी मात्रा में स्नैक्स खाते हैं। कोलकाता में 66, बैंगलूरू में 65 तथा चेन्नई में इनका प्रतिशत 62 है।
आहार विशेषज्ञों के अनुसार, किसी व्यक्ति की स्वस्थ जीवनशैली का पता लगाने का सबसे अच्छा वक्त शाम पांच से आठ बजे तक का होता है। इस दौरान बच्चों को तेज भूख लगती है। इससे उन्हें जो कुछ भी सामने दिखता है, वे खा लेते हैं।

बढ़ रही है जंकफूड के प्रति दीवानगी
सर्वेक्षण में बच्चों में पोटेटो चिप्स, पेस्ट्री, बर्गर, पिज्जा और पैटिज़ जैसे जंक फूड के प्रति हद दर्जे की दीवानगी पाई गई है। जंक फूड की आदत उन बच्चों में सर्वाधिक देखी गई, जिनके माता-पिता दोनों कामकाजी होते हैं। ऐसे अभिभावकों केपास घर में भोजन बनाने का वक्त नहीं होता है। इससे बच्चे भूख मिटाने के लिए बाहर के भोजन पर निर्भर हो जाते हैं। सर्वेक्षण में पाया गया कि कामकाजी दंपत्ति के दफ्तर से देर से आने तथा घर आने पर मोबाइल और इंटरनेट से चिपके रहने के कारण बच्चों को मजबूरन शाम का वक्त टीवी के सामने बैठकर स्नैक्स खाने में बिताना पड़ता है। जैसे ही बच्चे स्कूल से घर आते हैं, वे कुछ न कुछ मुंह में डालने के लिए इधर-उधर तलाश शुरू कर देते हैं।

फास्टफूड सेंटर का बढ़ा है चलन
तेजी से खुल रहे फास्ट फूड सेंटरों का आकर्षण भी बच्चों की इन आदतों को बढ़ावा देता है। इन सेंटरों पर विभिन्न स्वाद के व्यंजनों की उपलब्धता बच्चों को उकसाती है। जंकफूड के नाम पर मेट्रो ही नहीं, छोटे शहरों या कस्बों तक में रेस्तरां खुल गए हैं, जहां चंद मिनटों में मनचाहा जंकफूड हाजिर हो जाता है, जिसे खाकर बच्चे फूले नहीं समाते। जंकफूड बनाने वाली कंपनियां अपने विज्ञापनों में मशहूर चरित्रों को धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रही हैं। ये विज्ञापन बच्चों को लुभाते हैं और फिर बच्चे उसके लिए जिद करते हैं।

हानिकारक है जंकफूड
जंकफूड स्वादिष्ट भले ही हो, पर सेहतमंद नहीं हैं। अब बच्चों और उनके पेरेन्ट्स को कौन समझाए कि जिसे वे चटखारे लेकर खा रहे हैं, वही उनकी सेहत का दुश्मन है। इनका नियमित सेवन अनेक रोगों की गिरफ्त में ला देता है। जंकफूड की दीवानगी से बच्चों की सेहत को किस कदर नुकसान हो रहा है, शायद अभिभावक नहीं जानते या फिर जानकर भी अनजान बने हुए हैं।
मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग, जोड़ों की समस्या, यहां तक कि कैंसर भी जंकफूड की बदौलत हो सकता है।

क्या कहते हैं सर्वे
एक अध्ययन से पता चला है कि राजधानी दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले 14 से 18 साल के हर तीन में से एक बच्चे का वजन अधिक है। जंकफूड और वजन से उनका पेट बढ़ रहा है। मोटापा स्वयं तो अपने आप में एक बीमारी है ही, सौ अन्य बिमारियों की जड़ भी है। मोटापा अनेक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता है। जो बच्चे मोटे हैं या जिनमें कोलेस्ट्राल का स्तर अधिक है, उनमें दिल की बिमारियां जल्दी होने का खतरा होता है। ऐसे बच्चों की दिल की धमनियां 45 वर्ष के व्यक्ति के समान होती है। जंकफूड को बनाने के लिए अधिक मात्रा में वसा तथा कार्बोहाइड्रेट का इस्तेमाल होता है। ये दोनों हमारे हृदय को नुकसान पहुंचाते हैं। जंकफूड का आधार मैदा और आलू होता है, जिसमें केवल कार्बोज ही पाया जाता है। इसमें फाइबर यानी रेशे की नितांत कमी होती है, जो शरीर के लिए बेहद जरूरी है। यदि आपके बच्चे जंकफूड के शौकीन हैं, तो सावधान हो जाएं इसके सेवन से उन्हें मादक पदार्थ हेरोइन जैसी न छूटने वाली लत पड़ सकती है। जंकफूड में मौजूद शक्कर व चर्बी के बच्चे ऐसे आदी हो जाते हैं कि उनकी लत छुड़ाए नहीं छूटती।