मोटापा आज विश्व में सभी देशों की गंभीर समस्या होती जा रही है। कारण यह है कि भौतिक सुखों तथा सम्पन्नता ने व्यक्ति को सुविधाजीवी तथा आरामतलब बना दिया है। फलस्वरूप ऌपरिश्रम की कोताही से मोटापा फल फूल रहा है। विशेषकर महिलाओं की स्थिति अत्यधिक चिंतनीय है। मोटापा उनके लिए अवसाद का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है।

इधर आधुनिक शोधों में यह बात उभरकर सामने आई है कि मोटापा जहां महिलाओं में अवसाद का कारण है, वहीं अवसाद भी मोटापे का एक बड़ा कारण है। सनसिनाटी विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ मेडिसिन ने लगभग 9000 अवसादग्रस्त बच्चों व महिलाओं का अध्ययन किया और पाया कि एक वर्ष पश्चात् इन अवसादग्रस्त लोगों में मोटापा बढ़ने के लक्षण प्रकट होने लगे हैं। इस समय समूचे विश्व में अवसाद तथा मोटापा बढ़ रहा है। ठीक प्रकार से कारण अभी तक ज्ञात नहीं हो सका है कि अवसाद ग्रस्त होने पर मोटापा क्यों बढ़ता है? लेकिन कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि इन दोनों का कारण न्यूरोबायोलाजिकल डिसऑर्डर है जिसकी वजह से सेयेटोनिन और दूसरे हारमोन प्रभावित होते हैं।

मोटापे की समस्या से महिलाओं में विकलता अधिक है। दरअसल, हर महिला चाहती है कि वह आकर्षक, छरहरी तथा सुंदर दिखे। मोटापे के कारण हर प्रकार का श्रृंगार तथा साज-सज्जा फीके पड़ जाते हैं। इसलिए मोटापा कम करने के लिए तब वह सबसे सरल उपाय डायटिंग का सहारा  लेती है।

डायटिंग के मायने अधिकतर महिलाएं यही समझती हैं कि खाना-पीना अत्यधिक कम कर दिया जाये। परिणाम यह होता है कि नमाज की जगह रोजे गले पड़ जाते हैं।

अत: संपूर्ण जानकारी के अभाव में तथा अज्ञानतावश महिलायें डायटिंग का सही लाभ नहीं ले पातीं। इसलिए बेहतर यही है कि डॉक्टर की देख रेख में वजन कम किया जाए।

मोटापे की समस्या अनेक कारणों से हो सकती है। इनमें खान-पान, आरामतलब जीवन, चिंता अवसाद तथा महिलाओं में अधिक संतानोत्पत्ति प्रमुख हैं। मोटापा कैसे कम हो, इस पर नित नये शोध वैज्ञानिकों तथा चिकित्सकों द्वारा हो रहे हैं। हाल ही में फ्रांसीसी डॉक्टर जिया मिशेल बोरिस ने अपनी अध्ययन (मोटापे पर) रिपोर्ट में दिलचस्प बात यही कही है कि खूब पढ़ने वाली महिलायें मोटापे से दूर रहती हैं, क्योंकि अधिक पढ़ने से जीवन में स्वस्थ्य संतुलन बनाने और व्यायाम करने की प्रेरणा प्राप्त होती है। वे अपनी फिगर के प्रति सजग रहती हैं जबकि कम पढ़ने वाली या अनपढ़ महिलायें इस मोटापे की बीमारी से अपेक्षाकृत अधिक ग्रसित रहती हैं।

इसी के साथ डॉ. बोरिस ने अधिक पढ़ने वाली जागरूक महिलाओं को सावधान किया है कि हर संभव अवसाद से बचें, क्योंकि यही अवसाद मोटापे की तरफ अग्रसर करता है। आज दुनियां में 86 (छियासी) प्रतिशत महिलायें अवसाद के ही कारण मोटापे की पकड़ में हैं। मोटापा दूर करने के साधारण उपायों में तीन चार किलोमीटर का प्रात: भ्रमण, व्यायाम, रस्सीकूद, सीढ़ियां चढ़ना, उतरना आदि तथा अधिक से अधिक प्रसन्नचित रहकर घरेलू काम-काजों को करना है। आधुनिकतम प्रयोगों से पता चला है कि रेशायुक्त आहार लेने से वजन पर नियंत्रण रखा जा सकता है। आलू, चावल, मिर्च, मसालेदार, परांठा तथा मीठा पदार्थ शरीर में चर्बी बढ़ाता है और यही चर्बी जब त्वचा के नीचे जमा हो जाती है, तो मोटापा कहलाती है। अत: इन खाद्य पदार्थों से परहेज रखें।

यही नहीं, अधिक सोने से भी शरीर का वजन बढ़ता है! अत: दिन में सोने की आदत नहीं डालें। शरीर स्थूल हो जाने से न केवल शारीरिक सौन्दर्य का ह्रïास होता है अपितु उच्च रक्तचाप, मधुमेह, गुर्दे की बीमारी, दिल की बीमारी से त्रस्त रहना पड़ता है। मोटे व्यक्ति की आयु सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा 25 प्रतिशत कम हो जाती है। मोटा व्यक्ति हर जगह एक समस्या भी बन जाता है। आवागमन में नाना प्रकार की समस्यायें आती हैं। हास-परिहास की विषय वस्तु भी बना रहता है।

अत: आहार-विहार व शिक्षा-अध्ययन के द्वारा अपने शरीर को संतुलित स्वरूप प्रदान करें। भोजन को अच्छी तरह खूब चबा-चबाकर खायें। अच्छी तरह चबाने से भोजन लुगदी बनकर गले के नीचे      उतरता है।

भोजन के बाद यदि थोड़ा सा गुड़ खा लिया जाये तो मोटापा घटाने वाले हार्मोन वाई तथा सिरोटिन का स्राव होने से शरीर को अधिक भूख नहीं लगती तथा तृप्ति बनी रहती है। इस प्रकार के तौर तरीके अपनाने से मोटापे को रोका जा सकता है। 

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