घर परिवार की जरूरतों को पूरा करने की जद्दोजहद में फंसी महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति कम ही सचेत रहती हैं, जिसकी वजह से बीमारियों की चपेट में आसानी से आ जाती हैं। हर महिला को अपनी सेहत के प्रति जागरूक होना चाहिए और साल में एक बार जरूरी परीक्षण अवश्य करा लेने चाहिए ताकि बीमारियों का शुरू में ही पता चल सके और इलाज करके गंभीर परिणामों से बचा जा सके।

सवाल उठता है कि किस उम्र से महिला को कौन-कौन से टेस्ट और कब-कब कराने चाहिए। यह बता रही हैं ‘वूमेन्स हैल्थ क्लीनिक की स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. रितु तिवारी सहगल।

डॉ. रितु के अनुसार स्क्रीनिंग टेस्ट को हम तीन भागों में बांट सकते हैं- पहला, रिप्रोडक्टिव एज ग्रुप जिसको हम 21-45 वर्ष आयु तक मानते हैं। दूसरा, टेस्ट बच्चा प्लान करना हो और तीसरा, मेनोपॉज के बाद का आयु वर्ग।

 

रिप्रोडक्टिव एज ग्रुप

इस आयुवर्ग की महिलाओं को तीन चीजों के टेस्ट कराने की जरूरी होता है-

1. एनीमिया, 2. ब्रेस्ट कैंसर, 3. सरवाईकल कैंसर।

एनीमिया

आजकल बड़ी संख्या में महिलाएं एनीमिया की शिकार हो रही हैं। ब्लड में हीमोग्लोबिन की कमी होने से एनीमिया की शिकायत होती है। यह शरीर में आयरन की कमी से होता है। ऐसे में महिलाओं का वजन तेजी से घटने लगता है। आंखों के नीचे काले घेेरे, रोग प्रतिरोधक क्षमता का घटना और हथेलियों, पैरों के तलुवे और नाखूनों की रंगत सफेद होना इसके मुख्य लक्षण हैं।

इसके लिए कंम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट (सीबीटी) और आयरन प्रोफाइल जरूर करवाएं। अगर जांच में हीमोग्लोबिन का स्तर 12 ग्राम से कम हो तो डॉक्टर की सलाह से आयरन और मल्टी विटामिन गोलियां खाएं। खान-पान की आदतें सही करें।

ब्रेस्ट कैंसर

ब्रेस्ट कैंसर की बात करें तो यह भारतीय महिलाओं को बहुत तेजी से अपना शिकार बना रहा है। हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार अधिकतर महिलाएं ब्रेस्ट

कैंसर की शिकार इसलिए होती हैं क्योंकि वे अपने स्वास्थ्य को गंभीरता से नहीं लेती हैं और हल्की गांठ को सामान्य मानकर नजरंदाज करती रहती हैं।

डॉ. रितु कहती हैं कि चालीस साल से पहले मैमोग्राफी नहीं करानी चाहिए क्योंकि इस उम्र तक ब्रेस्ट हैल्दी रहते हैं और मैमोग्राफी द्वारा उनको नुकसान पहुंच सकता है। अत: इस उम्र में अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए। जिन महिलाओं के परिवार में मां, मौसी, नानी आदि को ब्रेस्ट कैंसर रहा हो उनका चिकित्सक जेनेटिक स्क्रीनिंग और ब्लड टेस्ट करवाते हैं। स्क्रीनिंग द्वारा ही पता चल जाता है कि उक्त महिला हाईरिस्क पर है या लो रिस्क पर। उसी आधार पर जल्दी-जल्दी या कुछ अंतराल बाद स्क्रीनिंग कराई जाती है।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि हर महिला को महीने में एक बार अपने ब्रेस्ट की जांच स्वयं करते रहना चाहिए। अगर किसी प्रकार की गांठ या मांस वहां महसूस करें तो चिकित्सीय परामर्श जरूर लें। इसमें डरना नहीं चाहिए। हर गांठ कैंसर का कारण नहीं होती है पर डॉक्टर से बिना देर किए जरूर मिलें। 50 साल से 75 साल तक मैमोग्राफी चिकित्सीय परामर्श पर कराना चाहिए।

पैप स्मीयर टेस्ट

इस टेस्ट के जरिये गर्भाशय के मुख पर असामान्य कोशिकाओं का पता लगाया जाता है ताकि पता चल सके कि कहीं सॢवक्स का कैंसर तो नहीं है। इस टेस्ट में महिला चिकित्सक यूटरस की आउटर लेयर पर जमा हुए सेल्स को निकालकर उनकी जांच करवाती हैं।

यह जांच हर महिला को जिसकी उम्र 21 साल से 29 साल तक की है और जो सेक्सुअली एक्टिव हैं अवश्य करानी चाहिए। सब कुछ सामान्य है तो ठीक है अन्यथा चिकित्सीय परामर्श से इलाज जरूरी है। इसके बाद 30 साल से 65 साल तक पैप स्मीयर के साथ-साथ एच.पी.वी. स्क्रीनिंग भी करानी जरूरी है। इससे ओवरी में सिस्ट, फायब्राइड आदि के बारे में पता चलता रहता है।

जब करें बच्चा प्लान

आज के समय में हर दंपति जब अपने परिवार को बढ़ाने के बारे में सोचता है तो उसे स्त्रीरोग विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श लेना चाहिए क्योंकि चिकित्सक ही महिला की उम्र, जेनेटिक हिस्ट्री व महिला के स्वास्थ्य आदि को देखकर ही किसी टेस्ट की सलाह दे सकता है। ऐसे में कराए जाने वाले प्रमुख टेस्ट होते हैं- ब्लडशुगर, ब्लडप्रेशर, थायरॉयड आदि।

मेनोपॉज के बाद के जरूरी परीक्षण

1. बोन डेंसिटी : बोन डेंसिटी कम होने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं जिसे ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं। मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन लेवल तेजी से घटता है, जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। एडोमेट्रोयॉसिस के लिए ली जाने वाली कुछ दवाओं से भी बोन डेंसिटी प्रभावित होती है। इसकी जांच के लिए डेक्सा नामक एक्सरे विधि का प्रयोग होता है। इससे यह पता चल जाता है कि आपके शरीर में वर्तमान में हड्डियों की क्या स्थिति है, उसी आधार पर चिकित्सक दवाएं देते हैं।

इसके अलावा ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, हार्ट चेकअप, विटामिन डी का चेकअप, लिपिड प्रोफाइल आदि हर साल जरूर कराने चाहिए। हर महिला को स्वस्थ रहने के लिए साल में एक बार फुल बॉडी चेकअप जरूरी है। वैसे तो जब भी कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो तो अपने चिकित्सक से अवश्य परामर्श लें। तन स्वस्थ तो मन भी फिट रहता है। 

 

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