पैरानॉयड पर्सनेलिटी डिसऑर्डर पूरी तरह से व्यक्ति की पर्सनेलिटी से संबंधित होता है। पटना, मनोचिकित्सक, डॉ बिंदा के अनुसार यह ऐसा मानसिक रोग है जिसमें पीड़ित व्यक्ति सभी को शक की निगाह से देखने लगता है। उसे अपने आस-पास किसी भी इंसान पर विश्वास नहीं रहता है। 
 
क्यों होता है यह मानसिक रोग-
 
वैज्ञानिकों के अनुसार पैरानायॅड पर्सनेलिटी डिसआर्डर होने के पीछे कोई एक वजह बता पाना मुमकिन नहीं हैं क्योंकि इसके होने के पीछे कई अन्य मानसिक रोग भी जिम्मेदार होते हैं जैसे भ्रम संबंधित मानसिक रोग, जिसे “डेलूस्जन डिसआॅर्डर” भी कहते हैं। यदि “नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ” की माने तो ऐसे रोगियों के परिवार का कोई ना कोई सदस्य किसी ना किसी मानसिक रोग से ग्रस्त रहा होता है यानि “जेनटिक फैक्टर” भी इसके लिए जिम्मेदार माने गए हैं। लेकिन इस रोग को होने में सबसे मत्वपूर्ण कारण जो अधिकतर मामलों में समाने आता है वो होता है उस पीड़ित परिवार के घर का माहौल। जिस घर में  बहुत ज्यादा तनाव पूर्ण माहौल व लड़ाई-झगड़ा रहता है, उस घर के सदस्य में “पैरानायॅड पर्सनेलिटी डिसआर्डर” होने का सबसे अधिक  खतरा रहता है।  वहीं महिलाओं के मुकाबले पुरूष इस मानसिक रोग से ज्यादा ग्रसित पायें जाते हैं। 
 
लक्षण- 
 
  • इस मानसिक रोग से ग्रसित व्यक्ति के मूड में बहुत जल्दी-जल्दी बदलाव होता रहता है। वो व्यक्ति जल्दी किसी पर विश्वास नहीं कर पाता है। हमेशा उसे इस बात का डर लगता रहता है सब उसके साथ विश्वासघात कर रहें हैं। 
  • लोगों से मिलने-जुलने से वो डरने लगता है क्योंकि उसे लगता है कि सब उसके बारे में बुरा बोलते हैं। 
  • सामान्य सा सवाल पूछने पर वो डर जाता है कि आखिर वो उसके बारे में क्यों जानना चाह रहे हैं। 
  • ठीक से नींद ना आना व समझाने पर भी बार-बार वही बाते दोहराना इत्यादि। 
 
उपचार- 
 
मनोचिकित्सक डॅा बिंदा सिंह के अनुसार जब व्यक्ति को यह मानसिक रोग होता है तो उसके लक्षणों को देखकर पैरानाॅयड पर्सनेलिटी डिसआॅर्डर की पुष्टि हो जाती है। ऐसी स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को मनोचिकित्सक के पास ले जाना आवश्यक हो जाता है। 
  • मनोचिकित्सक, पीड़ित व्यक्ति को ठीक करने के लिए टॉक थेरेपी व साइकोथेरेपी के साथ-साथ उपचार के लिए मेडिसिन्स भी प्रिस्क्राइब करते हैं। 
  • टाॅक थेरेपी में पीड़ित व्यक्ति के बचपन से लेकर वर्तमान समय तक की सभी बातों की जानकारी ली जाती है और इस बात का पता का पता लगाया जाता  है कि ये मानसिक रोग, अनुवांशिक कारणों से हुआ है या फिर उसके परिवार का कलह व तनाव पूर्ण माहौल उसके इस मानसिक रोग का जिम्मेदार है। 
  • फैमिली मेंबर्स को रोगी के साथ हमेशा प्यार से रहना चाहिए।

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