सामान्य लाल रक्त कोशिकाओं को लगभग 90 से 120 दिनों तक जीवित रहते हैं, लेकिन सिकल सेल केवल 10 से 20 दिन तक रहते हैं। जिसके चलते सभी टिश्यू तक आॅक्सीजन की आपूर्ति ठीक से नहीं हो पाती है। टिश्यू में आॅक्सीजन की कमी से गंभीर दर्द हो जाता है साथ ही oxygen की कमी से मरीज के दिमाग, आंखों,लीवर, पेनिस, जोड़ समेत पूरे शरीर के अंगों को नुकसान पहुंच सकता है।
 
कैसे करें सिकल सेल रोग की पहचान
 
यदि किसी इंसान में सिकल सेल रोग है तो यह जन्म से ही होता है और अधिकतर शिशुओं को इस बीमारी से कोई समस्या नहीं होती है जब तक कि वे लगभग 5 या 6 महीने की उम्र तक नहीं हो जाते हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए एंटीनेटल स्क्रीनिंग होती है। जिससे वंशानुगत बीमारियों के बारे में पता लगया जाता है इसके अलावा सिकल सेल रोग का पता लगाने के लिये रोगी का ब्लड टेस्ट कराया जा सकता है। जिसके जरिए दूषित या खराब हीमोग्लोबीन के बारे में जाना जा सकता है। कुछ शारीरिक लक्षणों से भी इस रोग का पता लगाया जा सकता है जैसे.
 
  • शारीरिक विकास में बाधा आना, व्यक्ति का वजन और उँचाई सामान्य से कम
  • खून की अत्यधिक कमी और गंभीर एनीमिया की शिकायत होना 
  • सामान्य कमजोरी के  साथ.साथ शारीर का बहुत ज्यादा कमजोर होना 
  • त्वचा एवं आंखों में पीलापन होने के साथ रंगहीन नाखून होना 
  • सांस लेने में तकलीफ होना व माथे का सपाट होना 
  • हमेशा हल्का बुखार एवं लम्बे समय तक बुखार का रहना 
  • पेशाब के लिये बार.बार जाना, पेशाब का गाढ़ा आना 
  • हड्डियों और पसलियों में दर्द रहना 
  • एक अजीब सा चिड़चिड़ापन और हाथ और पैरो में सजून
  • कुछ महिला रोगियों में बांझपन के समस्या हो जाना 
  • बैक्टीरियल संक्रमण होना 
 
उपचार  
 
सिकल सेल रोग एक जीवन भर की बीमारी है इस रोग की गंभीरता व्यक्ति से अलग-अलग होती है। सिकल सेल रोग का कोई निश्चित इलाज उपलब्ध नहीं है किन्तु रक्त मज्जा और स्टेम सेल प्रत्यारोपण के द्वारा सीमित लोगों का इलाज किया जा सकता है। साथ ही स्वास्थ्य की गुणवत्ता में सुधार, उचित देखभाल और उपचार के द्वारा रोगियों के जीवन में सुधार लाया जा सकता हैं। जैसे मरीज को अधिक प्रोटीनयुक्त, फाइबरयुक्त व रेशेदार आहार खाने की लिये दिया जाये। तेल और वसायुक्त मसालेदार खाद्य पदार्थों से परहेज करवाया जाए। इसके अलावा मरीज को खूब सारा पानी पीने की सलाह दी जाती है। सिकल सेल के कई रोगी ऐसे भी हैं जो उचित उपचार और देखभाल की वजह से चालीसवें व पचासवें वर्ष या उससे अधिक आयु में भी जीवन व्यतीत कर रहे हैं।