उत्तराखंड राज्य के दो प्रमुख मंडल हैं कुमाऊं और गढ़वाल। कुमाऊं मंडल में अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, नैनीताल, पिथौरागढ़ और उधमसिंह नगर जिले आते हैं। यहां उत्तराखंड के कुमाऊं के पारंपरिक व्यंजन की विधि बता रही हैं नैनीताल की रहने वाली गृहलक्ष्मी होम शेफ वंदना पंत। गृहलक्ष्मी निमवॉश होम शेफ कॉन्टेस्ट में हिस्से ले चुकी वंदना पंत उत्तराखंड राज्य से होने के कारण वे यहां मशहूर कुछ पारंपरिक व्यंजनों की विधि बता रही हैं। इन्हें त्योहारों के मौकों पर या फिर मेहमानों की खातिरदारी करते हुए तैयार किया जाता है।
सिंघल पुए

उत्तराखंड में यह व्यंजन प्रत्येक शुभ कार्य जैसे जन्मदिन, शादी की वर्षगांठ, विवाह आदि के अवसरों पर बनाया जाता है। सबसे पहले मंदिर में पूजा के समय इसका भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। सूजी के बने ये पुए खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं और मेहमानों के आने पर भी इन्हें सर्व करने पर उन्हें ठेठ कुमाउनी फूड का आनंद मिल सकता है।
सामग्री
सूजी – 500 ग्राम
दूध – 200 मिली
हरी इलाइची – 4
चीनी – 200 ग्राम
घी – 50 ग्राम
रिफाइन्ड ऑयल – 500 मिली
विधि
- सबसे पहले सूजी को छानकर किसी गहरे बर्तन में रख लें। अब इसमें 50 ग्राम घी डालें और तीन मिनट तक अच्छी तरह मिलाएं।
- अब इसमें दूध और चीनी को डालकर 5 मिनट तक मिलाएं और इस मिश्रण को ढंककर 3-4 घंटे के लिए भीगने के लिए छोड़ दें।
- 3 घंटे बाद सूजी अच्छी तरह भीग जाएगी। अब 5 मिनट कर फिर से इस मिश्रण को हाथ या चम्मच की मदद से एक ही दिशा में घुमाते हुए मिलाएं। अब मिश्रण बहुत ही फ्लफी हो जाता है।
- अब एक कड़ाही में रिफाइन्ड ऑयल गर्म करें। ऑयल के गर्म होने पर मिश्रण के छोटे-छोटे बॉल रिफाइन्ड ऑयल में डालें और आंच को मध्यम कर दें। सुनहरा लाल होने तक तलें। स्वादिष्ट पुए तैयार हैं।
- अब इस मिश्रण को किसी कोम के शेप की थैली में भरें और उसका मुंह थोड़ा बड़ा का लें। अब उस मिश्रण को फिर से तेल में डालकर पुओं की तरह तलें। स्वादिष्ट सिंघल भी तैयार है।
बेड़ू रोटी

उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजनों में बेड़ू रोटी का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। उत्तराखंड में भाद्रपद संक्रांति को ही घी संक्रांति के रूप में मनाया जाता है और इस त्योहार में बेड़ू रोटी जरूर घर-घर में बनती है। कुमाऊं के इलाके में इस दिन मक्खन या घी के साथ बेडू रोटी खाई जाती है।
सामग्री
गेहूं का आटा – 250 ग्राम
उरद दाल – 150 ग्राम
अदरक – 1 बड़ा टुकड़ा
लौंह – 4-5
बड़ी इलाइची – 1
नमक स्वादानुसार
हींग – 5 चुटकी
विधि
- सबसे पहले पूरी उरद दाल को रात भर के लिए धोकर और भिगोकर रख दें। सुबह तक दाल अच्छी तरह से भीग जाएगी। अब दाल को बिना धोए (छिलकों के साथ) अदरक लौंग न बड़ी इलाइची भी महीन पीस लें।
- अब आटे में थोड़ा-सा नमक मिलाकर गर्म पानी के साथ थोड़ा टाइट गूंथ लें। आटे के छोटे-छोटे पेड़े बनाए व उनके बीच में उरद की पिट्ठी भरकर बंद कर दें और छोटी की रोटी बेलकर पकाएं। स्वादिष्ट बेड़ू रोटी तैयार है।
भट्ट के डुपके

सामग्री
भट्टे की दाल – 200 ग्राम
अजविन – 1 छोटी चम्मच
चावल – 50 ग्राम
तेल – 2 चम्मच
धनिया – 1 चम्मच
हल्दी – ½ चम्मच
सूखी लाल मिर्च – 4
नमक स्वादानुसार
हींग चुटकी भर
विधि
- भट्ट की दाल व चावल को रातभर अच्छी तरह से धोकर भिगोकर रख दें।
- सुबह उसी पानी के साथ दाल व चावल को मिलाकर महीन पीस लें।
- लोहे की कड़ाही में तेल गर्म करें। अजवाइन और हींग का तड़का लगाएं। लाल मिर्च के दो-दो भागों में विभाजित कर उसी गर्म तेल में डालकर 5 सेंकड के लिए भूनें।
- अब दाल व चावल का मिश्रण भी कड़ाही में डाल दें। गैस की आंच तेज कर एक उबाल आने दें। अब आंच मीडियम कर दें।
- अब नमक, हल्दी और धनिया डालकर मिलाएं। अब मध्यम आंच में इन डुपकों को आधा घंटे तक पकाएं। इनका रंग लोहे की कड़ाही में पकाने के कारण गहरा काला हो जाएगा। इसे गर्म-गर्म चावल के साथ परोसें।
विशेष- भट्ट की दाल में काफी प्रोटीन होता है और लोहे की कड़ाही में पकाने के कारण इसमें आयरन की मात्रा भी बढ़ जाती है।
मडुए की रोटी

सामग्री
मडुए (रागी का आटा) – 200 ग्राम
घी – 100 ग्राम
गुड़ – 100 ग्राम
विधि
- आटे को छानकर गुनगुने पानी के साथ गूंथे। दोनों हथेलियों को हल्का गीला कर लें।
- आटे का पेड़ा बनाकर दोनों हथेलियों की मदद से छोटी रोटी का आकार दें। गर्म तवे पर रोटी को सेंकें।
- गर्म-गर्म रोटी पर एक-एक चम्मच देशी घी डालें और गुड़ का टुकड़ा रखें और गर्मागर्म खाएं।
विशेष- यह रोटी स्वयं में बहुत पौष्टिक होती है, लेकिन घी और गुड़ के साथ खाने से जाड़ों में इसकी पौष्टिकता बहुत बढ़ जाती है।
रस भात
सामग्री
साबुत चना – 50 ग्राम
साबुत भट्ट – 50 ग्राम
साबुत गहत की दाल – 50 ग्राम
साबुत लोबिया – 50 ग्राम
साबुत राजमा – 50 ग्राम
साबुत मसूर- 50 ग्राम
प्याज – 2 महीन कटा हुआ
लहसुन – 5-6 कलियां
अदरक – 1 छोटा टुकड़ा कसा हुआ अदरक
हल्दी – 1 छोटी चम्मच
धनिया – 2 बड़ी चम्मच
नमक स्वादानुसार
जीरा – ½ चम्मच
विधि
- सभी साबुत दालों को एक साथ रात भर के लिए पानी में भिगोकर रख दें।
- सुबह कुकर में दो गिलास पानी व आधा चम्मच नमक डालकर 15 मिनट कर उबाल लें। दालों को 15 मिनट बाद चेक ककर लें।
- दालों के अच्छी तरह उबल जाने पर उन्हें ठंडा होने दें।
- अब दालों को अच्छी तरह से बड़ी-सी छन्नी से छान लें। पानी को एकत्र कर लें। दानों को अलग रख लें।
- अब लोहे की कड़ाही में तेल गर्म करें। गर्म तेल में प्याज व लहसुन भूनें। अदरक, हल्दी व धनिया भी डालें। मसाला तैयार हो जाने पर दालों का पानी कड़ाही में डाल दें। स्वादानुसार नमक डालकर उबाल लें और 15 मिनट तक उबालें। रस तैयार हें। इसमें स्वादानुसार हरा धनिया डाला जा सकता है। गर्म-गर्म चावल के साथ खाएं।
विशेष–
इस रस को लोहे की कड़ाही में ही पकाया जाता है, जिससे इसकी पौष्टिकता कई गुना बढ़ जाती है। दालों के बचे दानों को अलग से छौंक कर खाया जा सकता है।
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