Nail Paint Tips: छोटे बच्चियों को सजाना भले किसे पसंद नहीं होता। छोटी लड़कियां तो गुडि़या की तरह होती हैं अक्सर माएं उन्हें गुड़िया की तरह सजाकर रखती हैं। इसी सजने-संवरने में एक अंदाज नेलपेंट लगाने का भी है। माएं अक्सर लाड़ में तो कभी बच्ची की जिद पर अपनी नेलपॉलिश लगा देती हैं। लेकिन एक सवाल है कि क्या नेलपॉलिश लगाना सेफ है। अगर सेफ है तो किस उम्र में लगाना चाहिए।
इस आर्टीकल में हम बात करेंगे कि अगर बच्ची के नेलपॉलिश लगा रहे हैं तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे अहम बात है कि बच्चों को नॉन टॉक्सिक ही नेलपॉलिश लगाएं। इसके अलावा इस बात का ध्यान रखें कि नेलपॉलिश बच्चे की स्किन के संपर्क में न आने पाए। अगर बच्ची छह से सात महीने की है तो नेलपॉलिश लगाने की एक्टिंग करें। इतनी कम उम्र के बच्चों को नेलपॉलिश लगाना एक्सपर्ट की नजर में सेफ नहीं माना गया है।
पैरों के नाखूनों में लगाएं
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छह से 12 महीने के बच्चों की वो एज होती है जहां वो हर चीज अपने मुंह में लेना पसंद करते हैं। इस उम्र में अगर आप अपने बच्चे के नेलपॉलिश लगा भी रही हैं तो उसके हाथों के नेल्स पर नहीं पैरों पर लगा दें। पैरों के नाखूनों को वो मुंह में नहीं ले सकते। आपका शौक भी पूरा हो जाएगा और बच्चे को भी कोई नुकसान नहीं होगा। रही बात हाथों पर नेलपॉलिश लगाने की तो उसे आन तब लगाएं जब बच्चे अपने अंगुलियों को मुंह में लेना या चूसना बंद कर दें। इससे नेल पॉलिश के तत्वों के शरीर के अंदर जाने का खतरा नहीं रहता है। अमूमन दो से चार साल के बच्चे मुंह में अंगुली लेते हैं। ऐसे में इस उम्र के बाद ही नेलपॉलिश लगाएं।
लाइट कलर्स लें
बच्चों को ब्राइट कलर बहुत पसंद होते हैं। अगर आपका बच्ची चार से ज्यादा उम्र की हो चुकी है तो हाथों पर नेलपॉलिश लगा सकते हैं लेकिन लाइट या ट्रांसपेरेंट कलर का चयन करें। लाइट कलर होने की वजह से वह उसे मुं में लेने के लिए प्रोवोक नहीं होगी। इसके अलावा जब आप दूसरी लेयर लगाएं तो पहली लेयर को सूखने का समय दें। नेलपॉलिश को लगाने के बाद उसे ऐसी जगह रखें जहां बच्ची उस तक न पहुंच पाए।
ओपन एरिया में लगाएं
जब भी आप नेलपेंट लगाएं कोशिश करें कि ओपन एरिया में या हवादार कमरे में बैठकर लगाएं। नेलपॉलिश के फ्यूम लंबे समय तक बच्चे के आस-पास नहीं रहने चाहिए ताकि बच्चा उन्हें इनहेल करें। हमेशा नहीं होता लेकिन बहुत बार ऐसा भी होता है बच्चों को इससे किसी किस्म की कोई एलर्जी हो जाए। कई बार बच्चों के लिए यह फ्यूम्स इतने खतरनाक होते हैं कि बच्चों को दौरे तक पड़ जाते हैं।
बार बार लगाने से बचें
ऐसा नहीं है कि नॉन टॉक्सिक नेलपॉलिश है तो आप इसे बच्चे के रोजाही ही लगाएं। इसे बार-बार लगाने से बच्चों के नाखूनों की ऊपरी परत खराब हो सकती है। यह अपनी चमक खो देंगे। बच्चों को समझाएं कि नेलपेंट रोज नहीं कुछ विशेष मौकों पर लगाई जाती है। आप जब भी बच्चे के नेलपॉलिश लगा रही हों अपने साथ रफ कपड़ा या टिशू लेकर जरुर बैठें। बच्चे को कई बार कलर पसंद नहीं आता और वह उसे अपने कपड़े या हाथ से हटाने की कोशिश करते हैं।
वो केमिकल जो देते हैं नुकसान
जब भी आप नेलपॉलिश खरीदें इस बात पर ध्यान दें कि इसमें टाल्यूईन,डाईब्यूटाइल थैलेट,फॉर्मलडिहाइड तो नहीं है। टाल्यूईन की बात करें तो इसे थिनर, क्लीनिंग सॉल्यूशन, हाउस होल्ड प्रोडक्ट और कुछ फ्रेग्नेंस में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसका उपयोग कुछ नेल पॉलिश ब्रांडों में सॉल्वेंट और स्टेबलाइजर के रूप में किया जाता है। इसके कारण स्किन इर्रिटेशन की समस्या पैदा होती है और टाल्यूईन वैपर को इन्हेल कर लिया जाए, तो यह रेस्पिरेटरी या नर्वस सिस्टम के लिए खतरनाक होता है। वहीं डाईब्यूटाइल थैलेट को रिप्रोडक्टिव टॉक्सिन कहा जाता है क्योंकि यह बच्चों में कंजेनियल डिसेबिलिटी पैदा करने के लिए जाना जाता है। डीबीपी यूरोप और दुनिया के अन्य हिस्सों में बैन है वहीं तीसरा कैमिकल फॉर्मलडिहाइड है। यह नेल पॉलिश में यह एक हार्डनिंग एजेंट के रूप में इस्तेमाल होता है। फॉर्मलडिहाइड एक ह्यूमन कार्सिनोजेन के रूप में जाना जाता है, लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसे इन्हेल करने से आंखों और रेस्पिरेटरी सिस्टम में इर्रिटेशन होने लगती है। जब तक आप नेल पॉलिश लगाती हैं और इसे सूखने के लिए छोड़ती हैं, तब तक आपका बच्चा फॉर्मलाडेहाइड को इन्हेल कर लेता है।