फिल्म ‘शाकुंतलम’ में शकुंतला बन समंथा ने जीता दिल: Shakuntalam Review
Shakuntalam Review

Shakuntalam Review: सामंथा की  बहुप्रतीक्षित फिल्‍म शाकुंतलम आज रिलीज हो गई है। कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतम पर आधारित इस फिल्‍म में उस कहानी को दिखाने का प्रयास किया गया है जिसे ज्‍यादातर लोग बचपन से सुनते आए है। शकुतला और राजा दुष्‍यंत की इस प्रेम कहानी में वैसे तो कुछ नया नहीं था लेकिन फिल्‍म के राइटर और डायरेक्‍टर गुनशेखर ने एक सदियों पुरानी प्रेमकहानी को सिनेमा पर दर्शाने का प्रयास किया है। इस फिल्‍म का मुख्‍य आकर्षण सामंथा हैं। फिल्‍म में मलयालम फिल्‍मों के एक्‍टर देवमोहन ने राजा दुष्‍यंत की भूमिका निभाई है। मोहन बाबू, प्रकाश राज, मधुबाला और गौतमी भी इस फिल्‍म में मुख्‍य किरदार निभा रहे हैं। इस फिल्‍म का एक और आकर्षण है वो है अल्‍लू अर्जुन की बेटी अल्‍लू अरहा। अल्‍लू अरहा इस फिल्‍म से टॉलीवुड में बतौर चाइल्‍ड एक्‍टर डेब्‍यू कर रही हैं। शाकुंतलम  तेलुगू, तमिल, कन्नड़, मलयालम और हिंदी भाषाओं में रिलीज हो चुकी है। फिल्‍म देखने से पहले एक बार जान लें आखिर फिल्‍म में क्‍या खास है, इसके लिए एक नजर डाल लें फिल्म के रिव्यू पर।

शकुंतला की अधूरी प्रेमकहानी  

सदियों पुरानी इस प्रेमकहानी को जितनी बार सुना जाय उतना ही उसमें खो जाते हैं। एक स्‍त्री जिसे जन्‍म से लेकर जीवन के हर पहर पर उतार चढाव और दुख ही मिलता है। महाकवि कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम में शंकुतला की इस कहानी को बेहद प्रभावी तरीके से गढा गया है। शाकुंतमल फिल्‍म में इस कहानी को भव्‍य रूप से दिखाने का प्रयास किया गया है। कहानी शूरू होती है, ऋषि विश्वामित्र की तपस्या भंग करने और अप्‍सरा के मेनका की प्रेम कहानी से। विश्‍वामित्र की तपस्‍या भंग करने के लिए देवराज इंद्र मेनका को भेजते हैं। मेनका अपने काम में सफल तो हो जाती हैं लेकिन वो विश्वामित्र से प्यार करने लगती हैं। इन दोनों की बेटी का जन्‍म होता है जिसका नाम है शकुंतला। बेटी के जन्म के बाद अप्सरा मेनका अपने पति और बेटी को छोड़ देवलोक चल पड़ती है। कण्‍व महर्षि शकुंतला को गोद ले लेते हैं। उनके आश्रम में शकुतला बडी होती है। राजा दुष्‍यंत से मिलने पर शकुंतला उनसे प्‍यार करने लगती है। दोनों गंधर्व विवाह कर लेते हैं। दुष्‍यंत कुछ दिनों बाद वहां से जाते हुए शकुंतला से वादा करते हैं कि उन्‍हें सम्‍मान के साथ अपने राज्‍य ले जाएंगे। कण्‍व महर्षि शकुंतला को दुर्वासा ऋषि के पास भेज देते हैं। दुष्‍यंत के ख्‍यालों में खोई शकुंतला को दुर्वासा के श्राप का सामना करना पडता है। जब दुष्‍यंत उसे लेने नहीं आता तो वे खूद उनके दरबार में पहुंच जाती हैं। दुष्‍यंत न सिर्फ उन्‍हें पहचानने से मना कर देता है बल्कि उनका अपमान भी करता है। पति से अपमान होने के बाद शकुंतला कहां चली जाती है, किस तरह से उसका बेटा भरत अपने पिता से मिलता है। इस कहानी को गुनशेखर ने अपने अंदाज में बयां किया है।

एक्टिंग

फिल्म के मुख्‍य किरदार में सामंथा बेहद खूबसूरत और प्रभावी नजर आई हैं। बात करें एक्टिंग की तो समांथा ने शकुंतला के किरदार को पर्दे पर बखूबी पेश कयिा है। फिल्‍म में डायलॉग को और असरदार बनाया जा सकता था। देव मोहन भी दुष्यंत की भूमिका में अच्‍दे लगे हैं उन्‍होंने अपने किरदार के साथ न्याय किया है।सामंथा के साथ साथ फिल्‍म का दूसरा आकषर्ण अल्लू अरहा की एंट्री से कहानी में एक अलग ही एनर्जी देखने को मिली है। सचिन खेडेकर, प्रकाश राज, गौतमी, अनन्या भी अपने किरदारों के साथ पूरी तरह न्‍याय कर ऑडियंस को प्रभावित करने में सफल हुए हैं।

फिल्म का निर्देशन

फिल्म के टेक्निकल पहलू की बात करें तो एक निर्देशक के रूप में गुनशेखर ने फिल्‍म में भव्‍यता दिखाने को भरसक प्रयास किया है। यह कहा जा सकता है कि निर्देशक इस में काफी हद तक सफल रहे हैं। पहले से ही स्‍थापित किरदारों को दिखाने में गुनशेखर कहीं पर भी कहानी से भटके नहीं दिखे। हालांकि फिल्म के संवाद इतने प्रभावशाली नहीं हैं लेकिन फिल्‍म को बड़े पर्दे पर देखना सुखद अनुभव है।

फिल्‍म में बात करें वीएफएक्‍स की तो उनमें फिल्‍म मात खाती नजर आई है। क्‍रूोंकि वीएफएक्‍स के लिए अब पैमाने कुछ ज्‍यादा ही हाई हो चुके हैं। फिर भी खूबसूरत विज़ुअल्स फिल्म का एक प्रमुख आकर्षण हैं। गुनशेखर के विजन के साथ साथ इसका श्रेय सिनेमैटोग्राफर शेखर जोसेफ को भी जाता है।

क्यों देखें

सामंथा और अल्लू अरहा की एक्टिंग के लिए ये कहानी जरूर देखें। अगर आपको खूबसूरत कहानियां और बचपन से सुनते आ रहे इस किस्‍से को पर्दे पर देखना पसंद आ सकता है तो आप ये फिल्‍म देख सकते हैं। परिवार के साथ देखी जाने वाली इस खूबसूरत कहानी को एक बार तो देखना बनता है।

निशा सिंह एक पत्रकार और लेखक हैं, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिलेमें हुआ। दिल्‍ली और जयपुर में सीएनबीसी, टाइस ऑफ इंडिया और दैनिक भास्‍कर जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्‍थानों के साथ काम करने के साथ-साथ लिखने के शौक को हमेशा जिंदा...