ऐसी हाई रेटेड रामायण फिल्म, जो बिना किसी कारण इंडिया में है बैन
भगवान राम के जीवन पर कई फिल्में बन चुकी हैं। लेकिन, एक ऐसी फिल्म भी है जिसे लंबे समय में भारत पर बैन कर दिया गया था। जानिए इसके बारे में।
Ramayan Film Banned in India: आदिपुरुष, रामायण पर आधारिक ऐसी फिल्म है, जिसका लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। रिलीज होने के बाद यह फिल्म और भी अधिक चर्चा का विषय बनी हुई है। कुछ लोगों को यह पसंद आ रही है, तो कुछ लोग इसे नापसंद कर रहे हैं। रामायण पर बनी केवल यही फिल्म नहीं है। बल्कि, पहले भी भगवान राम के जीवन पर कई फिल्में बन चुकी हैं। लेकिन, दिलचस्प बात यह है कि रामायण पर आधारित हाइएस्ट रेटिंग वाली और सबसे ज्यादा प्रशंसित फिल्म भारत में बनी ही नहीं है। यही नहीं लंबे समय तक, इसे भारत में प्रदर्शित भी नहीं किया गया था। यानी, इसे भारत में बैन कर दिया गया था। जानिए इस हाई रेटेड फिल्म के बारे में।
कौन सी है यह रामायण बेस्ड फिल्म जो भारत में थी बैन?
Ramayan film Banned in India: जैसा की पहले ही बताया गया है कि रामायण बेस्ड फिल्मों को पहले भी बनाया जाता रहा है, जिनमें से कुछ इसके एनिमेटेड वर्जन थे। लेकिन, रामानंद सागर की रामायण जो 1987 में बनी थी और रामायण: द लेजेंड ऑफ प्रिंस रामा जो 1992 में बनी थी, दो ऐसी फिल्में हैं जिनमें इस भारतीय महाकाव्य को सही तरीके से दर्शाया गया है। रामानंद सागर की रामायण के बारे जानकारी तो आप सबको होगी। लेकिन, दूसरी फिल्म को बहुत कम लोग ही जाते हैं। रामायण: द लेजेंड ऑफ प्रिंस रामा फिल्म को युगो साको, राम मोहन और कोइची सास्की ने निर्देशित किया था।

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क्यों किया गया था इसे बैन?
एक गलतफहमी की वजह से इस फिल्म को भारत में बैन कर दिया गया था। लेकिन, इसे जब संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान में व्यापक रूप से रिलीज किया गया, तो वहां इस फिल्म को दर्शकों और आलोचकों दोनों ने पसंद किया था। हालांकि, भारत में यह अवेलेबल नहीं थी। इसे बैन करने के कारणों के बारे में सही से जानकारी नहीं है। मीडिया के कई स्रोतों के अनुसार, प्रेस ने युगो साको की एक डॉक्यूमेंट्री “द रामायण रेलिक्स” के बारे में बताया था और यह भी कहा गया कि वह एक नई रामायण पर काम कर रहे थे।
इसके तुरंत बाद, दिल्ली में जापानी दूतावास को एक गलत खबर के कारण विश्व हिंदू परिषद से एक प्रोटेस्ट लेटर मिला। जिसमें कहा गया था कि कोई भी विदेशी रामायण को अनुचित रूप से फिल्मा नहीं सकता क्योंकि यह भारत की महान सांस्कृतिक का प्रतीक है। “विश्व हिंदू परिषद” इस बात को लेकर निश्चिंत नहीं थी कि यह फिल्म हमारे पुराने महाकाव्य के साथ पूरी तरह से न्याय कर पाएगी या नहीं। जिसके कारण इसे भारत में नहीं दिखाया गया। यह भी माना जाता है कि बाबरी मस्जिद दंगों के दौरान सांप्रदायिक माहौल के कारण उस समय भारत में इसे बैन कर दिया गया था।

कुछ सालों बाद इसे भारतीय टेलीविजन पर ब्रॉडकास्ट किया गया। यह फिल्म भारतीय दर्शकों को बहुत पसंद आयी थी और इसे भारतीय दर्शकों ने इसे कला के एक शानदार काम के रूप में पहचाना। इस फिल्म की बेहतरीन एनिमेशन और सही चित्रण पीढ़ियों में इसकी पुरानी यादों को ताजा करते हैं। और कई लोगों के लिए, यह पहली फिल्म थी जिसने उन्हें भगवान राम के महान व्यक्तित्व से परिचित कराया। इस फिल्म का हिंदी वर्जन 1995 में दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया। यह दोनों वर्जन अब YouTube पर उपलब्ध हैं।
