SRK and Priya Gill Chemistry
SRK and Priya Gill Chemistry

SRK and Priya Gill Chemisty: ‘सिर्फ तुम’ और ‘जोश’ की वो प्यारी-सी लड़की का नाम अगर आपको याद है तो आप वाकई सच्चे बॉलीवुड फैन हैं। जी हां, प्रिया गिल वो नाम नहीं है जो हर किसी को याद हो… खासकर जेन जी को। प्रिया ने इन फिल्मों में अपने किरदारों से लोगों का दिल जीत लिया था, लेकिन इसके बाद वो हिंदी सिनेमा में अधिक नजर नहीं आईं। फिल्म ‘जोश’ में उन्होंने शाहरुख खान की प्रेमिका का किरदार निभाया था। एक पुराने इंटरव्यू में प्रिया गिल ने खुलासा किया था कि शाहरुख को एक सीन में थप्पड़ मारना उनके करियर का सबसे शर्मनाक अनुभव था।

इंटरव्यू में प्रिया ने कहा था, “मैं बताऊं, मेरे पूरे फिल्मी करियर की सबसे शर्मनाक चीज यही थी कि मुझे शाहरुख को थप्पड़ मारना पड़ा।” ये सीन ‘अपुन बोला’ गाने के शुरुआत में था। प्रिया ने बताया कि इस सीन को गोवा में बार-बार शूट किया जा रहा था, लेकिन निर्देशक मंसूर खान को लग रहा था कि उनके थप्पड़ में वो गुस्सा नहीं दिख रहा जो किरदार को दिखाना चाहिए। मंसूर बार-बार कह रहे थे, “प्रिया, ये ठीक से नहीं आ रहा। लड़की बहुत गुस्सा है, ऐसा दिखना चाहिए।” प्रिया ने आगे कहा, “शाहरुख खुद कह रहे थे, ‘मारो मुझे… जोर से मारो।’ मंसूर भी कह रहे थे, ‘मारो उसे’… फिर मुझे सच में ज़ोर से मारना पड़ा। मुझे आज तक वो पल याद है।”

वो शाहरुख की बहुत बड़ी फैन थीं। प्रिया ने बताया, “मैं सिर्फ उनकी एक्टिंग की नहीं, बल्कि उन्हें पूरी तरह से पसंद करती थी। जब मैं पढ़ाई कर रही थी, तब मैं उन्हें टीवी पर देखती थी, उनके सीरियल्स देखती थी। फिर वो बड़े स्टार बन गए। लेकिन कभी सोचा नहीं था कि मैं एक दिन उनके साथ स्क्रीन शेयर करूंगी। उन्हें देखकर मैं तो पूरी तरह से फिदा थी।” प्रिया को डर था कि कहीं कुछ गलत न कर बैठें। वो याद करती हैं, “मैं सोचती थी, अगर मुझसे कुछ गलत हो गया तो? वो इतने बड़े स्टार हैं, क्या कहेंगे? क्या रिएक्शन होगा उनका? मन में बहुत संकोच था। लेकिन वो बहुत स्वीट थे।”

जब थप्पड़ मारा तो सेट पर क्या हुआ? प्रिया बताती हैं, “जैसे ही मैंने थप्पड़ मारा, सेट पर एकदम सन्नाटा छा गया। कैमरा चालू रहा, लेकिन निर्देशक ‘कट’ बोलना भूल गए। शायद सब चौंक गए थे। मुझे याद है कैमरा मैन केवी ने मुझसे कहा था कि लड़कियां तुमसे नफरत करेंगी क्योंकि तुमने शाहरुख को मारा। लेकिन शाहरुख बहुत अच्छे थे, उन्होंने बाद में मुझे समझाया कि सही तरह से कैसे मारना है। मैं तो बस खड़ी रह गई थी, कुछ बोल ही नहीं पाई। उसके बाद ही गाना शुरू होता है, तो सोचो मुझे कितनी टेंशन हो रही थी, और वो कितने कूल थे।”

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...