मैं संपूर्ण गृहलक्ष्मी हूं शिल्पा शेट्टी: Shilpa Shetty Interview
Shilpa Shetty Interview

Shilpa Shetty Interview: एक बेहतरीन अभिनेत्री के साथ-साथ शिल्पा शेट्टी एक लायक बेटी, एक अच्छी बहन, एक समझदार पत्नी और एक स्नेहमयी मां भी हैं। अपने जीवन के इन खूबसूरत पहलुओं को उन्होंने गृहलक्ष्मी संवाददाता विजया मिश्रा से साझा किया-

शिल्पा जी सबसे पहले बताइए गृहलक्ष्मी से जुड़कर कैसा लगा?

बहुत अच्छा लग रहा। काफी साल हो गए गृहलक्ष्मी को, यह लोगों के बीच लोकप्रिय बनी हुई है। मैगजीन से जुड़कर मैं बहुत गर्व महसूस कर रही हूं।

कैसी गृहलक्ष्मी हैं आप?

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मैं संपूर्ण गृहलक्ष्मी हूं मैं और वो इसलिए क्योंकि मैं एक मां भी हूं। वैसे कभी-कभी लक्ष्मी, काली का रूप भी ले लेती है मेरे पति कभी-कभी मुझमें दुर्गा काली का रूप देख लेतें हैं (हंसते हुए)। और मेरे ब्रांड्स मुझे लक्ष्मी की तरह देखते हैं। वहीं मेरे बच्चे मुझे शायद सरस्वती के रूप में देख लेते हैं।

वुमंस डे पर क्या कहेंगी महिलाओं के लिए?

मैं ये कहना चाहूंगी कि आप केवल महिला दिवस पर ही नहीं बल्कि हर रोज अपनी शक्ति को पहचानें। वास्तव में महिला सशक्तिकरण वह है जहां एक महिला अपनी बात बिना किसी झिझक या डर के समाज और परिवार के सामने रख पाती है। मैं खुद धन्य समझती हूं कि मेरा जन्म एक स्त्री के रूप में हुआ है। एक स्त्री के रूप में जन्म लेना गर्व की बात है। इसके अलावा मैं उन पुरुषों को ये बोलना चाहूंगी कि औरत की खुशी में ही आपकी खुशी है। मैं पुरुषों से यह कहना चाहती हूं कि आप अपनी गृहलक्ष्मियों फिर वो चाहे आपकी बहन हो, मां हो, पत्नी हो या फिर बेटी उन्हें हमेशा खुश रखिए और उनकी इज्जत करिए। इससे आपकी जिंदगी खुशहाल बनी रहेगी।

आप परिवार को कैसे संभालती हैं?

हमारी जिंदगी में बहुत सारा संघर्ष होता है लेकिन बच्चे और परिवार हमारी प्राथमिकता होते हैं। मैं भगवान को बहुत सारा धन्यवाद देती हूं कि मैं आज भी काम कर रही हूं। मुझसे लोग आज भी उतना ही बल्कि उससे ज्यादा प्यार करते हैं। मैं बहुत खुश हूं कि भगवान ने मुझे इस जगह पर रखा है।

घर और काम के बीच संतुलन कैसे बनाकर रख पाती हैं?

मेरा मानना है कि आप अपनी जिंदगी में जो भी पाना चाहते हैं उसे पाने के लिए मेहनत जरूर कीजिए घर और बाहर के बीच संतुलन बनाए जरूर रखिए। मैं भी यही करती हूं और सबसे जरूरी बात कि मैं अपने काम को योजनाबद्ध तरीके से करती हूं, जब मैं घर पर होती हूं तो मेरा पूरा ध्यान अपने पति और बच्चों पर रहता है और जब काम के लिए निकलती हूं तो सभी चीजों को व्यवस्थित करके ही घर से काम के लिए निकलती हूं।

आप बहुत खाना बनाती हैं तो खाली वक्त में अपने पति और बच्चों के लिए क्या बनाना पसंद करती हैं?

खाना खाने की तो बात ही नहीं वो तो बोलते हैं मैं उनको ऐसे ही बहुत पकाती हूं (हंसते हुए) उनको वैसे पसंद है कि हम लोग बाहर जाकर खाना खाएं। हमारा खुद का रेस्टोरेंट भी है ‘बास्टियन। जब भी हमें वक्त मिलता है तो हम अपने परिवार के साथ यहां जाना पसंद करते हैं। वैसे रविवार के दिन चाहे कुछ भी हो जाए मैं कोशिश करती हूं कि हम पूरे परिवार के साथ जाएं डिनर या लंच करें। ज्यादातर शनिवार के हम लोग पार्टी करते हैं लेकिन अगर काम आ गया है तो शुक्रवार वाले दिन अकेले जाकर डिनर कर लेते हैं। कई बार व्यस्तता के कारण परिवार को समय नहीं दे पाते हैं। वैसे पति और पत्नी के बीच इस तरह की अंडरस्टैंडिंग तो होनी चाहिए। ये रिश्ते को काफी स्ट्रॉन्ग कर देता है। कई बारे ये दिखाना भी जरूरी होता है कि हम दोनों एक-दूसरे के लिए जरूरी है और एक-दूसरे के लिए वक्त निकाल रहे हैं।

मी-टाइम कैसे निकालती हैं?

मुझे कभी-कभी लगता है कि 24 घंटे कम होते हैं, मुझे 30 घंटे चाहिए और सोमवार और रविवार के बीच एक दिन होना चाहिए जिस दिन आपको जी भर के सोने दिया जाए। समझ नहीं आता कि दिन कैसे शुरू होता है और कैसे खत्म हो जाता है। सब कुछ निपटाने की कोशिश करती हूं मैं लेकिन जब कभी मुझे वक्त मिल जाता है तो मैं एक मसाज ले लेती हूं। वो मेरे लिए एक लक्जरी जैसा होता है। जब मेरे दोनों बच्चे स्कूल चले जाते हैं और मुझे लगता है कि आज कोई मिटिंग्स नही हैं तो मैं मसाज ले लेती हूं। इससे मैं तरोताजा हो जाती हूं। रोज रात को सोने से पहले मैं मेडिटेट करती हूं और याद करती हूं कि मैने दिन भर क्या किया जो मुझे क्या नहीं करना चाहिए था। मैंने किससे क्या बात की। मेरे पति आते हैं और गुड नाइट बोलकर दूसरी तरफ मुंह करके सो जाते हैं क्योंकि उन्हे पता कि मैं आधा घंटा मेडिटेट करुंगी उस वक्त मैं योगिनी बन जाती हूं। ये होता है मेरा मी-टाइम। बच्चों को सुलाकर चाहे राज वियान को सुलाकर या मैं समीषा को सुलाकर आते हैं तो इतना थक जाते हैं कि हमें एक-दूसरे से बात करने का समय ही नहीं मिलता। वैसे मेरा मी-टाइम है, मसाज लेना, योगा करना और ब्रिदिंग करना।

दिमाग को शांत रखने के लिए क्या करती हैं?

ये बहुत जरूरी विषय है बात करना। बहुत सारी महिलाएं हैं जो इस इशू से जूझ रही हैं। और शायद वो बात नहीं कर पाते स्पेशलि महिलाएं जो पैरिमोनोपाज और मेनोपॉज की स्थिति में जिस वक्त घबराहट शुरू हो जाता है। महिलाएं अक्सर इस पर बात नहीं करती हैं। पुरुष इस बात का मजाक उड़ाते हैं और कहते हैं कि तुम कैसे तुम बिहेव कर रही हो लेकिन इस चीज को गंभीरता से लेना जरूरी है। इन दिनों ब्रीदिंग का अभ्यास कीजिए। मेडिटेट कीजिए। शोध में देखा गया है कि जरूरी होता। कैंसर के मरीज या फिर वो लोग जो मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे हैं वो पांच घटे मेडिटेशन करने से अपना नजरिया बदल लेते हैं। मेडिटेशन, प्राणायाम पर ध्यान देना जरूरी है। जो लोग एंजायटी से जूझ रहे हैं वो योगा से जुड़ें क्योंकि योगा से ही होगा।

महिलाएं कैसे बनें आत्मनिर्भर?

ये बहुत जरूरी है। मेरी मम्मी ने शादी के वक्त मुझे बताया था कि किसी के ऊपर भी हमें निर्भर नहीं होना चाहिए। मेरी मम्मी ने भी शादी के बाद काम किया मैं आज भी काम करती हूं। जबकि मुझे ऐसा लगता है कि अब मुझे आराम लेना चाहिए। बहुत कमा लिया नाम। लेकिन मैं काम इसलिए करती हूं क्योंकि मुझे लगता कि काम करने से मन:स्थिति अच्छी रहती है और जब आप काम नही करते तो आपका ध्यान दूसरी चीजों पर जाता है फिर आप बच्चों के पीछे पड़ जाएंगे। मेरे लिए मेरा काम बहुत खुशी देता है। मैं काम पे जाती हूं तो मेरे पति भी खुश हो जाते हैं। हर महिला को काम करना चाहिए। इससे आपके पति फॉर ग्रांटेड नही लेंगे आपको।

आप हर भूमिका में खुद को ढाल लेती हैं, आखिर कैसे?

मेरी कोशिश रहती है कि मैं हर भूमिका को दिल से निभाऊं। परफेक्शन जैसी कोई चीज है जब मैं देखती हूं बतौर प्रोफेशनल तो मैं वहां पर स्कोर कर जाती हूं लेकिन अगर मैं मां के नजरिए से देखती हूं तो मुझे लगता है कि मैं थोड़ा सा हार गई हूं। क्योंकि काम ज्यादा कर लिया बच्चों ने मुझे मिस किया तो कभी मां का पलड़ा भारी हो जाता है। मुझे लगता है कि मैंने अच्छा काम छोड़ दिया बच्चों के साथ ज्यादा समय व्यतीत करना था। हां, बैलेस वाली चीज कभी-कभी थोड़ा मुश्किल हो जाता है लेकिन मुझे उस वक्त क्या सही लगता है वो करती हूं।

आगामी प्रोजेक्ट्स कौन-कौन से हैं?

पिछले दो सालों में मैंने इतना काम किया है कि आईपीएस और सुखी जैसे दो दमदार किरदार किए। अब फिल्म कर रही हूं केडी के लिए जो काफी अलग किरदार है, अप्रैल में खत्म करूंगी इसे। इसके बाद तो अभी कुछ फाइनाइज नहीं किया है थोड़ा वक्त निकाल रही हूं बच्चों के साथ। तो देखते हैं आगे क्या आता है जो मुझे घर छोड़कर सेट तक जाने के लिए मजबूर करे।

हमारी गृहलक्ष्मियों को क्या सलाह देना चाहती हैं?

गृहलक्ष्मी पढ़ते रहिए क्योंकि इसमें बातें दिल से दिल की होती हैं। क्योंकि मैं पढ़ चुकी हूं गृहलक्ष्मी। मेरा गृहलक्ष्मी पत्रिका को पढ़ने का जो इतने सालों का अनुभव है उससे मैं यही कहूंगी कि यह कमाल की पत्रिका है। मुझे खुशी है कि आपने मुझे गृहलक्ष्मी परिवार में शामिल किया। मैं चाहती हूं कि गृहलक्ष्मी के पाठक हमेशा मुझे ऐसे ही प्यार देते रहें।

गृहलक्ष्मियों को शिल्पा की सलाह

  • हर महिला को आत्मनिर्भर बनना जरूरी है।
  • महिलाओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य के लिए मेडिटेशन जरूरी है।
  • शिल्पा का मी-टाइम योगा, मसाज, मेडिटेशन।
  • प्राणायाम और योगा है महिलाओं के लिए जरूरी।
  • महिलाओं को खुश रहना है जरूरी।
  • फैमिली के लिए वक्त जरूर निकालें।
  • अपने लिए जरूर वक्त निकालें।
  • दृढ़ता से अपनी बात रखें।
  • बच्चे हमेशा पहली प्राथमिकता।