Laapataa Ladies Review: किरण रॉव की बहुप्रतीक्षित फिल्म लापता लेडीज रिलीज हो चुकी है। फिल्म के नाम से और ट्रेलर से लग रहा था कि फिल्म शादी के बाद दुल्हन के खो जाने की कहानी है। मगर ये फिल्म इससे कहीं ज्यादा है। ये कहानी लगभग हर महिला के शादी के बाद बदलते जीवन की कहानी है। भले ही फिल्म में पुरानी सोच के चलते घूंघट की वजह से दुल्हन बदलने की कहानी को रचा गया है। लेकिन इसके पीछे कई मैसेज छुपे हैं जिन्हें किरण रॉव ने हल्के फुल्के व्यंग्य के साथ पर्दे पर पेश करने की कोशिश की है। ऐसा मानना है फिल्म क्रिटिक्स का। ज्यादातर क्रिटिक्स शादी के बाद महिलाओं की पहचान बदलने और उनके अस्तित्व का कोई और रूप में बदलने को फिल्म का मैसेज बता रहे हैं। आइए जानते हैं कुछ जाने माने क्रिटिक्स की फिल्म के बारे में क्या राय है।
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एक रात में महिलाएं बन जाती हैं ‘लापता लेडीज’
जाने माने फिल्म क्रिटिक बाराद्वाज रंगन ‘लापता लेडीज’ को किरण रॉव की एक गंभीर विषय को व्यंगात्मक तरीके से पर्दे पर उतारने की कोशिश मानते हैं। उनका मानना है कि फिल्म में भरपूर एंटरटेनमेंट है। उनके अनुसार भले ही फिल्म की कहानी दीपू की पत्नी फूल के गायब होने की है लेकिन इसे शादी के बाद महिलाओं के व्यक्तित्व के कहीं न कहीं बदलने या खोने की कहानी है। जिस तरह फिल्म में एक सीन के दौरान शादी के बाद फूल को घूंघट में कुछ न दिखने पर कोई उससे कहता है आगे नहीं नीचे देखकर चलना सीखो। वो फूल जो कल तक सबके बीच सामने सिर उठाकर चलती थी। रातों रात उसका जीवन बदल जाता है और उसे नीचे देखकर चलने की आदत डालने की सलाह मिलती है। शादी के बाद फूल लम्बे सफर के बाद ससुराल पहुंचने से पहले खो जाती है। उसे घूंघट की वजह से पता ही नहीं चलता कि उसे खुद भी नहीं पता कि अब कहां जाए। रंगन के अनुसार किरण रॉव ने फूल की कहानी के जरिए शादी के बाद महिलाओं के खोते व्यक्तित्व के मैसेज को बखूबी देने का प्रयास किया है।
महिलाओं की पहचान बदलने को सादगी से कहती ‘लापता लेडीज’
किरण रॉव के निर्देशन में बनी लापता लेडीज शादी के बाद फूल के रेलवे स्टेशन पर खो जाने की कहानी है। फिल्म क्रिटिक अनुपमा वर्मा अपने रिव्यू में बताते हुए कहती हैं कि फूल और जया दो महिलाएं जो घूंघट की वजह से खो जाती हैं, उनके अलग अलग व्यक्तित्व को फिल्म में बखूबी दिखाया गया है। फूल इंट्रावर्ट और कंर्जवेटिव है तो वहीं जया पढ़ी लिखी और स्मार्ट है। जया दीपक के घर में दूसरी महिलाओं को अपनी खुशी के लिए काम करने को प्रेरित करती है। घूंघट की वजह से खो जाने की कहानी में बाद में ये भी कहा जाता है कि चेहरा ढंकना मतलब पहचान ढंकना होता है। फिल्म में सभी कलाकारों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। फिल्म देखने से पहले आप अनुपमा चोपड़ा का रिव्यू देख फिल्म के बारे में जान सकते हैं।
‘लापता लेडीज’ बिना बडे स्टार के हिट कहानी
बॉलीवुड फिल्म क्रिटिक तरण आदर्श ने ‘लापता लेडीज’ को 4 स्टार रेटिंग दी है। उनके अनुसार लापता लेडीज एक बेहतरीन फिल्म है। वो बॉलीवुड के बड़े स्टार्स की मसाला फिल्मों से हटकर एक सादगी से भरपूर दिल को छूने वाली कहानी है। किरण रॉव ने सोशल इश्यू को मनोरंजन के साथ पेश किया है। सभी कलाकारों ने कहानी को बखूबी पर्दे पर पेश किया है। रवि किशन का काम तरण को सबसे ज्यादा पसंद आया है। तरण इस फिल्म को देखने की सलाह दे रहे हैं।


