IB71 Movie Review: विद्युत जामवाल की फिल्म ‘आईबी 71’ रिलीज हो गई है। फिल्म की कहानी 1971 में भारत औैर पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में एक आईबी ऑफिसर की अहम भूमिका को दर्शाती है। जब देश किसी अन्य देश के साथ बॉर्डर पर लड़ रहा होता है तो सेना के जवानों के अलावा अन्य सरकारी खुफिया विभाग या देश की रक्षा में लगे लोग अपनी तरह से युद्ध के लिए काम करते हैं। जिनके बारे में अक्सर पता ही नहीं चलता। ये फिल्म ऐसे ही एक आईबी ऑफिसर देख की कहानी बताती है।
कैसे इस आफिसर ने अपने देश के लिए पाकिस्तान में जाकर उनके ईरादों को विफल कर दिया था। विद्युत जामवाल इस फिल्म के जरिए प्रोडक्शन में भी कदम रख रहे हैं। फिल्म को प्रोड्यूस करने में भूषण कुमार और रिलायंस एंटरटेनमेंट भी शामिल हैं। फिल्म का निर्देशन संकल्प रेड्डी ने किया है। विद्युत के साथ फिल्म में अनुपम खेर और विशाल जेठवा ने मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। अगर आप देशभक्ति की इस कहानी को देखने को मन बना रहे हैं तो पहले पढ़ लें इसका रिव्यू।
आईबी 71 क्या है कहानी
पाकिस्तान 1971 में जब चीन के साथ मिलकर चुपचाप भारत पर हमले की तैयारी में था। उस दौरान इसकी जानकारी भारतीय खुफिया एंजेंसी को चल जाता है और 10 दिनों में हमले की जानकारी से सभी परेशान हो जाते हैं। देश की सेना जंग की तैयारी के लिए जुट जाती है। वहीं आईबी चीफ एसएन अवस्थी(अनुपम खेर) और आफिसर देव जामवाल (विद्युत जामवाल) भी इस घटना से देश पर मंडरा रहे खतरे का हल ढूंढने में लग जाते हैं। देव पाकिस्तान की तरु से हवाई हमले को रोकने के लिए एयर स्पेस ब्लॉक करने का सुझाव देख है। मगर बिना वजह ऐसा करना भी संभव नहीं होगा। इसके लिए वो प्लान बनाता है। वो एक प्लेन की हाइजैकिंग की कहानी बनाता है। है। देव 30 एजेंट्स के साथ इस मिशन को करने की तैयार करता है। हाइजैकिंग के लिए वो सरकार से एक जहाज की मांग करता है। उसे एक ऐसा एअरक्राफ्ट मिलता है जो बहुत खराब हालत में है और सेवानिवृत हो चुका है। देव अपने 30 एजेंट्स को भारतीय सवारियों की तरह प्लेन में ले जाता है जिसको कश्मीरी अलगाववादियों द्वारा हाईजैक करके लाहौर एयरपोर्ट पर उसकी इमरजेंसी लैंडिंग कराई जाती है। इसके बाद कैसे ये जांबांज ऑफिसर अपने प्लान को अंजाम देते हैं, क्या वो सफल होते हैं ये जानने के लिए आपका फिल्म देखनी पडेगी।
कैसी रही एक्टिंग
इस फिल्म में आपको विद्युत एक अलग तरह का एक्शन करते नजर आएंगे। इस बार उनके दिमाग का एक्शन पूरी फिल्म में छाया है। आर्मी बेकग्राउंड की वजह से उनकी एक्टिंग सटीक नजर आई है। कैसे एक देश के लिए काम करने वाला ऑफिसर हर परिस्थिति में सबसे पहले देश के बारे में सोच कर उसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है। उनके एक्शंस के फैंस की कमी नहीं है लेकिन इस फिल्म के बाद उनकी एक्टिंग के लिए भी लोग उन्हें सराहेंगे। अनुपम खेर हमेशा की तरह अपने किरदार में खरे उतरे हैं। फिल्म में विशाल जेठवा ने भी बेहतरीन काम किया है।
बात डायरेक्शन की
‘गाजी अटैक’ जैसी सफल फिल्म बना चुके संकल्प रेड्डी का निर्देशन कमाल का है। फिल्म में वो जो दिखाना चाहते थे उसे बखूबी पर्दे पर उतारा है। गाजी अटैक भी 1971 की कहानी थी। ऐसे में आईबी के प्लॉट को रचना और उसे समझना उनके लिए आसान रहा होगा। वे फिल्म में 70 के दशक को दर्शाने में सफल रहे हैं।
कैसी है फिल्म
फिल्म शुरू से ही अपनी पकड़ बनाए रखने में कामयाब रही है। फिल्म में एकरसता देखने को मिलती है। कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि उसे बिना वजह खींचा जा रहा है या कही पर भी पेस में ढीलापन नहीं लगता। हां फिल्म का पहला हिस्सा थोड़ा कमजोर जरूर लग सकता है लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म में रोमांच देखने को मिलता है। सबसे अहम बात है बिना हिरोइन और गानों के फिल्म में किसी चीज की कमी नहीं लगती। फिल्म में सिनेमैटोग्राफी भी कमाल की है। देशभक्ति की फिल्म देखना भला किसी पसंद नहीं है। ऐसे में अगर आप देशभक्ति के इस अनसुने किस्से को देखना चाहते हैं तो आईबी 71 के लिए सिनेमाघरों की तरु रूख करना चाहिए।