एक्‍शन से भरपूर गणपत को देखने से पहले जानें कैसी है फिल्म: Ganapath Movie Review
Ganapath movie review

Ganapath Movie Review: टाइगर श्राफ, अमिताभ बच्‍चन और कृति सेनन की मोस्‍ट अवेटेड फिल्‍म गणपत रिलीज हो गई है। विकास बहल निर्देशित ये फिल्‍म दो पार्ट में आने वाली है। इसका पहला पार्ट रिलीज हो गया है। फिल्‍म भविष्‍य की कहानी बयां करती है। विकास बहल ने अपनी फिल्‍म में भविष्‍य में इंसाफ और सच्‍चाई के लिए, अमीरी और गरीबी के बीच की दीवार मिटाने के लिए जंग दिखाने का प्रयास किया है। एक्‍शन से भरपूर इस फिल्‍म को अगर आप देखने का प्‍लान कर रहे हैं तो इससे पहले यहां पढें इसका रिव्‍यू।

फिल्‍म की कहानी

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फिल्‍म की कहानी भविष्‍य की दुनिया की झलक दिखाती है। भविष्‍य में मानव जाति के बीच ऐसा युद्ध होता है जिसमें करोंडों लोग मारे जाते हैं। इसके बाद दुनिया में बचे हुए लोग दो हिस्‍सों में बंट जाते हैं। अमीरी और गरीबी के बीच खाई जो हमेशा से ही है वो बहुत बढ जाती है। अमीरों की सिल्‍वर सिटी नाम से अपनी अलग ही दुनिया बन जाती है। जिसमें गरीबों का आने की इजाजत नहीं है। गरीबी से जूझ रहे लोगों के बीच हर छोटी चीज के लिए लड़ाई होने लगती है। ऐसे में इससे छुटकारा पाने के लिए वहां एक बाक्सिंग रिंग बनाई जाती है और नियम बनाया जाता है कि लड़ाई सिर्फ बॉक्सिंग रिंग में ही होगी। वहीं अमीरों की दुनिया में उनके बीच ही रहने वाला गुड्डू और उसके जैसे लोग उनके छोटे मोटे कामों के लिए वहां रह रहे हैं। अमीरों की दुनिया में गरीबों की बॉक्सिंग रिंग की खबर मिलते ही उसका अपने लिए फायदा उठाने के लिए वे उसे भी अपनी दुनिया में शामिल कर लेते हैं। वहीं अमीरों की दुनिया के लिए काम करने वाला गुड्डू गरीबों के लिए गणपत बन मसीहा बनता है। जस्‍सी और शिवा के साथ वो गरीबी और अमीरी के बीच की इस दीवार को तोड़ने की कोशिश करता है। फिल्‍म में अमिताभ बच्‍चन इस दुनिया की इस लड़ाई को खत्‍म करने वाले मसीहा गणपत के बारे में पहले ही गरीबों को बताते हैं कि एक दिन मसीहा आएगा जो इसका अंत करेगा। क्‍या गुड्डू से गणपत बने टाइगर दुनिया को इस बंटवारे से छुटकारा दिला पाएंगे। क्‍या भविष्‍य की इस अलग रूपरेखा को वो बदल पाएगा। ये जानने के लिए सिनेमाघरों का रूख करना होगा।

निर्देशन और अन्‍य पक्ष

क्‍वीन, सुपर 30 और चिल्‍लर पार्टी जैसी फिल्‍म बनाने वाले विकास बहल की इस फिल्‍म की कहानी में उतना दम नहीं है। फिल्‍म की पटकथा और वीएफएक्‍स प्रभाव डालने में कामयाब नहीं रहे। विकास बहल की फिल्‍में उनकी कहानी के लिए जानी जाती हैं। लेकिन गणपत में वे कहानी को गढ़ने में सफल नहीं हो पाए हैं। फिल्‍म के गाने भी औसत हैं।

अभिनय

बात करें अभिनय की तो टाइगर श्राफ की एक्टिंग उतना प्रभावित नहीं करती है जितना एक्‍शन। उनके एक्‍शन सीक्‍वेंस देखने लायक होते हैं लेकिन एक सवाल जेहन में जरूर आता है कि अब उन्‍हें कुछ और भी ट्राई करना चाहिए। कृति सेनन ने भी एक्‍शन के साथ अपने किरदार के साथ न्‍याय किया है। राशिन रहमान ने भी शिवा का किरदार बखूबी निभाया है। अमिताभ बच्‍चन का कैमियो में भी अपनी अदाकारी से प्रभावित करने में कामयाब रहे हैं।

फिल्‍म क्‍यों देखें

अगर आप टाइगर श्राफ के फैन हैं तो आप ये फिल्‍म देख सकते हैं। सिर्फ उनका एक्‍शन देखने के लिए फिल्‍म देखने जा सकते हैं। कृति सेनन के चाहने वाले भी उन्‍हें पर्दे पर एक्‍शन करते देख खुश हो सकते हैं। लेकिन अगर आप फिल्‍म से कुछ ज्‍यादा उम्‍मीदें लगा रहे हैं तो शायद आपको निराशा हो सकती है। फिल्‍म कुल मिलाकर औसत है।

निशा सिंह एक पत्रकार और लेखक हैं, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिलेमें हुआ। दिल्‍ली और जयपुर में सीएनबीसी, टाइस ऑफ इंडिया और दैनिक भास्‍कर जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्‍थानों के साथ काम करने के साथ-साथ लिखने के शौक को हमेशा जिंदा...