KK: हम जब जिंदगी की पगडंडी पर चलते हैं तो भूल जाते हैं कि उस गहरी नींद में हमें सो जाना है। इतनी गहरी नींद की किसी अपने कि कोई आवाज हम तक पहुंच ही नहीं पाती। सिंगर केके भी सो चुके हैं उस गहरी नींद में जहां से लौट आना अब नामुमकिन है। सोशल मीडिया पर उनके फैंस उनके लिए लिख रहे हैं।
मौत यानी कि सांसों के थमने के बारे में कुछ उदास बाते हैं तो कुछ अच्छी और आशा से भरी बातें भी है। ऐसा भी कहा जाता है कि मौत एक तोहफा है। नसीब वालों को मिलती है बिना किसी परेशानी के एक आसान सी मौत। इस फलसफे से देखा जाए तो नसीब वाले थे केेेके जिनसे मौत ने बहुत आसानी से मुलाकात कर ली। इतनी दबे पांव वो उन्हें लेने आई कि उसके आने की आहट तक उन्हें नहीं हो पाई।
कर्मयोगी थे वो

केके का हर गाना हमें उनसे जोड़ता था। दोस्ती पर जब वो गाना गाते थे ऐसा लगता था मानों हमारा ही कोई दोस्त हमारे लिए गा रहा हो। गुनगुना रहा हो। वो स्कूल के दोस्त की मानिंद है। जैसे स्कूल के दोस्त होते हैं दिल के करीब लेकिन बिछड़ जाते हैं वो वैसे ही निकले। केके के लिए अनुवादक और कवि गार्गी मिश्रा ने सोशल मीडिया पर सही लिखा है कि
के के। एक आवाज जिसका नाम हम कॉलेज के दिनों में यों लेते थे मानो वे हमारे साथ ही लेक्चर के बाद कैंटीन में दोस्तों के साथ बैठे हुए हमारे लिए गुनगुनाता था। मुझे याद है, हम बारहवीं में थे और वो स्कूल का आखिरी दिन था। वो उन्हीं की ही आवाज थी जिसने हमारे दिलों को निचोड़ दिया था और हमारी आंखों से बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। बहुत ही दुलारे दोस्त बहुत जल्दी साथ छुड़ा कर चले जाते हैं। केके भी उन्हीं दोस्तों में से एक निकला। गम का तो कोई हिसाब नहीं न ही कोई उसकी शक्ल है लेकिन मौत अगर तोहफा है तो वो उन्हें नसीब हुआ। ऐसे तो किस्मत वाले जाते हैं। महबूब की बाहों में। गाते गुनगुनाते झूमते और वो करते जिससे उसे बेशुमार मुहब्बत थी। सलाम के.के !!
अब्दुल कलाम भी तो ऐसे ही गए थे

आज केके की इस आसान मौत पर एक और जिंदगी जो थम गई उसका नाम सहज ही याद आता है। वह है प्रो अब्दुल कलाम। यों उनके नाम के साथ पूर्व राष्ट्रपति लिखना चाहिए लेकिन मुझे याद है कि डॉक्टर अब्दुल कलाम को अपने नाम के आगे प्रो लिखना अच्छा लगता था। उन्हें लिखना-पढऩा और बच्चे बहुत पसंद थे। वो भी ऐसे ही चले गए। लिखते-पढ़ते और बच्चों के बीच में। २७ जुलाई २०१५ को वो भी तो ऐसे ही चले गए थे। लेक्चर देते-देते। इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजेंट शिलॉन्ग में वो लेक्चर दे रहे थे। अचानकी लडख़ड़ाए। दिल ने साथ देना छोड़ दिया। अस्पताल गए और फिर वापिस नहीं लौट पाए।
ईशारा दे गए

सच है कि केके अब आप नहीं आएंगे। लेकिन हां यादों में तो आपका जिक्र होना लाजिमी है। खास तौर से तीस से चालीस के बीच की आयु वर्ग वाले लोगों को। आप स्कूल और कॉलेज की यादों की तरह हमारे जेहन में रहेंगे। आपका आखिरी गीत जिसपर आपने परफॉर्म किया वो विदाई गीत ही तो था। हम रहें या न रहें याद आएंगे ये पल। संगीत आपके लिए साधना ही तो थी कि अपनी आखिरी स्टेज परफॉर्मेंस में आप बिना गर्मी या उमस की परवाह किए बस गाते और झूमते चले गए। अपने काम में इतने लगे हुए थे कि नहीं समझ पाए कि कुछ ज्यादा गड़बड़ हो जाएगी। चेहरे पर आए पसीने की बूंदें दिल की उमंगों के सामने टिक नहीं पाईं। लेकिन दिल का क्या करें केके। जो आज भी यकीं करने को तैयार नहीं कि कैसे एक दोस्त साथ छोडक़र चला
गया।
हां तुम याद आओगे
लोग कहते हैं जाने वाला चला जाता है लेकिन हमें जीवन की राहओं में लौटना होता है। लेकिन केके अपने संगीत के जरिए हम सभी के साथ रहोगे। बेशक आप गहरी नींद में सोए हैं। लेकिन आपकी आवाज वो आज भी सुनी जा रही है। आगे आने वाले समय में यह ऐसी ही सुनी जाएगी। हम अपने बच्चों को तुम्हारी आवाज सुनाएंगे और उनके बच्चे अपने बच्चों को। तुम मरकर भी जिंदा रहोगे दोस्त हमारी यादों में। जब भी कॉलेज की कैंटीन का जिक्र होगा तुम याद आओगे।