अगर हम महिलाओं को सुरक्षित देखना चाहते हैं तो हमें अच्छी गुणवत्ता और
बड़ी संख्या वाली पुलिस प्रणाली की आवश्यकता है। पुलिस प्रणाली में समाज के सभी वर्गों- पुरुष, महिला, नौजवान, बुजुर्ग, गरीब- अमीर, शहरी- ग्रामीण, शिक्षित- अशिक्षित लोगों के साथ-साथ सभी प्रभावशाली और व्यवस्थित लोगों को भी शामिल करने की आवश्यकता है। रेजीडेंट वैफेयर एसोसिएशन, झोपड़पट्टियों के प्रधान, ग्रामीण बुजुर्ग और युवाओं को अपराध रोकने के उपायों में शामिल किया जाना चाहिए। यह उपाय बातचीत, सचेत रहना, व्यक्तिगत वचनबद्धता, प्रोत्साहन और जिम्मेदारी डालने के रूप में हो सकते हैं। इन प्रयासों के लिए लोगों को पुलिस का साथ देना होगा, ताकि परस्पर विश्वास बना रहे। रेजीडेंट एसोसिएशन, झोपड़पट्टी और गांवों में महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों का एक समूह बनाए, जहां महिलाएं अपनी समस्याएं लेकर जा सकें और आवश्यकतानुसार रोकथाम, सलाह अथवा हस्तक्षेप हो तथा स्थिति के अनुसार कार्य हो सके। महिलाओं व नौजवान लड़कियों की तरफ विशेष ध्यान दें। अपराधों की रोकथाम और
महिलाओं के सम्मान के लिए व उन्हें शिक्षित करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों को शामिल करें। इसके साथ-साथ साधारण लोगों विशेषकर नौजवानों को संगठित करें और उन्हें पुलिस स्टेशन भेजें। इससे पुलिस व साधारण लोगों में समझ और संवेदनशीलता में वृद्धि होगी। आत्मसुरक्षा के लिए महिलाओं और लड़कियों को बड़े स्तर पर प्रशिक्षण दें। सभी खेलों और शारीरिक प्रशिक्षणों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करें व स्वयं ऐसे सेवकों को आगे लाएं, जो रेजीडेंट वैलफेयर संगठनों के साथ मिलकर सप्ताहांत में स्कूलों, कॉलेजों और कॉलोनियों में प्रशिक्षण दें। अगर शीघ्र परिणाम लाने हैं तो पुलिस और नागरिक सुरक्षा दोनों को पूर्ण रूप से आगे लाना पड़ेगा। एन.सी.सी. एन.एस.एस. लड़कियों और लड़के कैडेटों को नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों के तौर पर भर्ती करें, ताकि जहां के वे रहने वाले हों, वहां के समुदाय और जनता-पुलिस प्रणाली को सेवा प्रदान कर सकें। उनके योगदान को समय-समय पर स्थानीय समारोह में पुरस्कृत करें। नागरिक सुरक्षा कॉर्पोरेशन को देशव्यापी लहर बनाएं। पुलिस आवासीय क्षेत्रों में नियमित स्तर पर इन्हें ड्यूटी के लिए बुला सकती है, केवल रामनवमी अथवा जन्माष्टमी पर ही नहीं। नागरिक सुरक्षा कॉर्पोरेशन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाएं। एक प्रभावशाली ‘राउंड दी क्लॉक बीट सिस्टम द्वारा पुलिस को क्षेत्र में लगाएं, ताकि बीट पुलिस अफसर अपने क्षेत्र की पुलिस प्रणाली आवश्यकताओं को समझ सकें और इंटेलिजेंस बढ़ाकर लोगों का सहयोग पा सकें। बदमाशों और खराब चरित्र वालों की नियमित पहचान कर उन्हें सत्यापन के लिए पुलिस स्टेशन बुलाएं, ताकि उन्हें सुधरने की सलाह दी जा सके। सभी छोड़े गए अपराधियों को सुधारने के लिए उनका निरंतर सत्यापन करते रहें, ताकि वे फिर से अपराध की दुनिया में न चले जाएं। कोई झूठी गिरफ्तारी न करें। सुधारों के सभी प्रयासों का पूर्ण रूप से सहयोग करें, लेकिन शरारती लोगों को न छोड़ें, चाहे वे कोई भी हों। लोगों की उपस्थिति में नियमित स्तर पर पुलिस स्टेशनों, स्टेशन हाउस अफसरों के बीच विचार साझा करें। अतिरिक्त स्रोतों को आगे लाएं और पुलिस प्रणाली के लिए शिफ्ट में कार्य करने की आज्ञा दें। यहां जनता-पुलिस प्रणाली बेहद लाभकारी हो सकती है क्योंकि नियमित पुलिस स्रोत हमेशा समय से पीछे होंगे। पुलिस पर्सनलों को नियमित स्तर पर प्रशिक्षित व पुनप्र्रशिक्षित करें, ताकि लोगों की इतने बड़े स्तर पर भागीदारी कायम रहे। सभी सुधारों में नेतृत्व की सीधे तौर पर भागीदारी हो। ध्यान रखें कि यह सब केवल कागजों पर ही न रह जाए। समाज में महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान व देखभाल इक्के-दुक्के स्तर पर नहीं हो सकती। उपरोक्त विचार मात्र कल्पना नहीं हैं, जहां भी इन्हें लागू किया गया, वहां सर्वोत्तम परिणाम आए हैं। शर्त यही है कि यह ‘खंड-खंड पुलिस प्रणाली न होकर ‘जनता-पुलिस प्रणाली हो।
जनता-पुलिस प्रणाली से होगी महिलाओं की सुरक्षा
