कुछ दिनों पहले गणपति पंडाल और गुरुद्वारे में पूजा करने के कारण सोहा को सोशल मीडिया ने अपना निशाना बनाया था । इतना ही नहीं, कुणाल के साथ सम्बंधों में तनाव को लेकर भी मीडिया अटकलें लगा रही थी । अपने विचारों को हमेशा खुल कर बयान करने वाली सोहा से बातचीत की हमारी मुंबई ब्यूरो चीफ़ गरिमा चंद्रा ने ।

आपको सेन्सिटिव इशूज़ पर आधारित फ़िल्म करने में डर नहीं लगता ?
हाँ, डर तो था लेकिन इस तरह की फ़िल्मे बनानी चाहिए जिससे आजकल की जेनरेशन को मालूम हो की धर्म के नाम पर क्या हो रहा है । धर्म एक दूसरे को जोड़ता है प्यार करना सिखाता है लेकिन धर्म के नाम पर दंगे होते है । इस फ़िल्म 31st अक्टूबर का विषय आज भी बहुत सामयिक है ।

पिछले दिनों आप गुरुद्वारे और गणपति पंडाल में जाने के लिए चर्चा में थी ?
यह मेरा पर्सनल मैटर है कि मैं कहाँ जाऊँ इससे किसी को फ़र्क़ नहीं पड़ना चाहिए । कुछ लोगों को धर्म के नाम पर इस्तेमाल किया जाता है लेकिन मैं हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई किसी भी धर्म के नाम पर इस्तेमाल नहीं होना चाहती ।

आपके बचपन में घर का वातावरण किस तरह का था ?
हमारे घर में हमेशा से बहुत ही सेक्युलर और ओपन वातावरण रहा । हम लोग को क़ुरान सीखाने के लिए घर में मौलवी आते थे । हम धूम-धाम से ईद मानते थे लेकिन घर में दीवाली भी मनाते थे । ज़्यादातर दिवाली में हम लोग अपने फ़्रेंड्ज़ के घर जाते थे, हर धर्म और जाती के लोग हमारे फ़्रेंड्ज़ है । क्रिसमस पर मुझे याद है भाई सैंटा बनते थे और अपने पिलो कवर में गिफ़्ट्स भर कर रखते थे । दरअसल अम्माँ ने ये कभी नहीं सीखाया कि इसी धर्म को फॉलो करो। हमारे देश में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च सबका बहुत महत्व है और इसलिए हमारा कल्चर इतना गहरा है ।

शादी के बाद अपने आप में कितना बदलाव महसूस करती है ?
देखा जाए तो कोई ख़ास बदलाव नहीं है मैं और कुणाल एक दूसरे को पहले से जानते थे साथ रह चुके थे इसलिए एसी कोई आश्चर्य वाली बात नहीं हुई । शादी सिर्फ़ एक गवर्न्मेंट द्वारा दिया गया सर्टिफ़िकेट है जिसकी ज़रूरत पहले भी नहीं थी लेकिन हमारा समाज सोसाइटी और फ़ैमिली के लोग चाहते थे इसलिए हम ने शादी कर ली ।

हां, शादी के बाद एक स्टेबिलिटी आ जाती है, ट्रस्ट बढ़ जाता है और शायद कम्फ़र्ट लेवल भी बड़ जाता है। आप अपने पार्टनर को टेकन फ़ॉर ग्रंटेड लेने लगते है। हम दोनो इस बात का ख़याल रखते है । इन सब बातों से ही रिलेशनशिप पर प्रभाव पड़ता है ।

आप और कुणाल साथ में काम पर चर्चा करते हैं?

शादी से पहले मुझे , अम्माँ या भाई को अपने काम को डिस्कस करने की आदत नहीं थी अब मैं और कुणाल अपने काम को भी डिस्कस करते है। फ़ाइनल फ़ैसला हमारा अपना होता है ।

क्या आप दोनों ट्रैवलिंग एंजॉय करते हैं?

हम दोनो को अपने फ़्रेंड्ज़ के साथ ग्रूप में घूमना पसंद है। ग्रूप में यह पॉसिबल होता है कि हम अपनी-अपनी पसंद को फ़ॉलो करें जैसे कुणाल को स्कूबा डाइविंग करना होता है और मुझे शॉपिंग या किसी संग्रहालय जाने का शौक़ है । पिछले साल हम लोग क्रूसिया गए थे, अब लद्दाख़ जाने का प्लान है ।

 

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