अंदर की बात
फरहान, आप मल्टी टेलेंटेड हैं। ऐसा कौन सा एक काम है जिसे करने से आपको डर लगता है?
आपने सही कहा, मैंने अपने फिल्मी कैरियर में बहुत सारे काम किए हैं। लेकिन मुझे बचपन से ही स्टेज से डर लगता था। मेरे लिए लाइव शो में स्टेज पर जाकर कुछ बोलना या एंकरिंग करना बहुत ही मुश्किल काम है। शुरू में ‘दिल चाहता है फिल्म के प्रमोशन के दौरान मैं स्टेज पर जाने से कतराता था। लेकिन फिर मैंने इस डर को एक चुनौती के रूप में लिया और इसे दूर भगाने में कामयाब हुआ।

जिंदगी की सबसे मुश्किल चुनौती क्या है?
मेरी पढ़ाई में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं थी इसलिए मैंने कॉलेज छोडऩे का निर्णय लिया, जो एक बहुत मुश्किल निर्णय था। उस समय मुझे वही ठीक लगा और मैंने पढ़ाई छोड़ दी। 3 साल तक कॉपी राइटिंग का काम किया, फिर ‘दिल चाहता है की स्क्रिप्ट लिखी। उस समय फिल्म डायरेक्ट करने की सोची और डायरेक्टर बन गया। अच्छा डायरेक्टर बनना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती थी।

फिल्म प्रोड्यूसर, डायरेक्टर होने के बाद क्या टेलीविजन के लिए फिक्शन शो बनाएंगे?
क्यों नहीं? मैं टीवी पर फिक्शन शो करने के लिए तैयार हूं। मुझे एक्सपेरिमेंट करने में मजा आता है। दर्शकों तक पहुंचने के लिए टीवी एक बहुत बड़ा माध्यम है। कभी मौका मिला तो फिक्शन शो भी जरूर बनाऊंगा।

आपका सबसे बड़ा क्रिटिक कौन है?
मेरे पिता और मां मेरे सबसे बड़े क्रिटिक हैं। वह फौरन मेरी गलतियां बता देते हैं और बहुत साफ शब्दों में बोलते हैं। उन्हें कठोर आलोचक कहना गलत नहीं होगा।

जिंदगी में सफलता का मंत्र क्या है?
जिंदगी में सफलता के लिए मेहनत करनी पड़ती है। किसी भी काम को करने से पहले तैयारी करना जरूरी है, आपको अंदर से तैयार होना जरूरी है। आत्मविश्वास, शक्ति यह जितने भी भारी भरकम शब्द हैं, सबकी जरूरत पड़ती है। मैंने कॉपी राइटिंग, डायरेक्शन, एक्टिंग, गाना सब मेहनत से किया है।

गृहलक्ष्मी के पाठकों के लिए क्या मैसेज देंगे?
इस वक्त मुझे अपनी फिल्म ‘जिंदगी ना मिलेगी दुबारा की एक कविता याद आ रही है-
दिलो में तुम अपनी बेताबियां लेके चल रहे हो,
तो जि़न्दा हो तुम…
नज़र में ख्वाबों की बिजलियां लेकेचल रहे हो,
तो जि़न्दा हो तुम…
हवा के झरोखों के जैसे आज़ाद रहना सीखो,
तुम एक दरिया के जैसे, लहरों में बहना सीखो,
हर एक लम्हे से तुम, मिलो खोले अपनी बांहें,
हर एक पल एक नया समां देखो
जो अपनी आंखों में हैरानियां लेके चल रहे हो,
तो जि़न्दा हो तुम…
दिलों में तुम अपनी बेताबियां लेके चल रहे हो,
तो जि़न्दा हो तुम।