Dream
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Why We Dream? ख्वाब, रंगीन और सुनहरे सपने, हवाई किले तामीर करते सपने। कभी बेहद सताते हैं यह सपने। कभी खुशियां तो कभी गम में डुबाते हैं ये सपने। बड़ी अजीब है ख्वाबों की यह दुनिया भी,जिसकी जमीं पर हम खुद ही बनाते हैं खयालों के घरौंदे, जो नींद टूटने के साथ ही रेत के महल की तरह ढह जाते हैं। कभी यह याद रह जाते हैं, तो कभी भूल जाते हैं, पर यह सिलसिला अनवरत चलता ही रहता है। हममें से हर कोई, कभी न कभी गहरी नींद में डूबते ही ख्वाबों की दुनिया में खो जाता है, कभी रंगीन दुनिया में तो कभी संगीन दुनिया में। इसका कारण स्पष्ट नहीं है कि हम इन्हें देखते क्यों है। किन्तु,एक बात सत्य है कि सपने हमारी दिमागी स्थिरता को कायम रखने में सहायक होते हैं। एक शोध के अनुसार, जो लोग कुछ रातों तक सपने नहीं देख पाते, वे चिड़चिड़े, क्लांत और विचलित हो जाते हैं। कारण यही है कि उन्हें भरपूर नींद नहीं मिल पाती और वे अनिद्रा रोग के शिकार रहते हैं।

क्यों देखते हैं हम सपने?

अभी तक इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल पाया है कि हम सपने क्यों देखते हैं, पर एक थ्योरी के अनुसार, ये प्रसंगवश दिखाई पड़ते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब हम गहरी नींद सो रहे होते हैं तो हमारे मस्तिष्क के कुछ न्यूरोन (नाड़ी कोशिकाएं) धीरे-धीरे एक प्राकृतिक विद्युत लहर द्वारा चार्ज होते हैं। ये कोशिकाएं चार्ज होने के बाद अपनी पड़ोसी कोशिकाओं को प्रोत्साहित करती हैं। फलत: अवचेतन में सुप्त यादें, विचार और भावनाएं, जो छिपी होती हैं, जाग उठती हैं और वे ख्वाब की शक्ल में बदल कर हमें दिखाई पडऩे लगती हैं।

सपनों को प्रोत्साहित करते भोज्य पदार्थ

इसके अलावा हमारे शरीर में पाचन प्रणाली की क्रियाओं के फलस्वरूप हमारे मस्तिष्क की चेतनावस्था में बदलाव आता है, जिसके कारण सपने में काफी देर तक छाये रहते हैं।इससे इस बात की पुष्टि होती है कि कुछ भोज्य पदार्थ सपनों की प्रकृति को प्रोत्साहित करते हैं। 

सपनों का कारण

बाहरी तत्त्व या स्रोत, जो सपनों का कारण बनते हैं, वे प्रत्यक्ष में सपनों से अधिक हमारे मस्तिष्क की क्रियाशीलता का उल्लेख करते हैं। जैसे अगर कोई व्यक्ति गहरी नींद सो रहा हो, सपने देख रहा हो,उस पर पानी के छींटे मारे जाएं तो उसे सपने में दिखाई पड़ेगा कि कोई उसके मुख पर छींटे मार रहा है। सपने पर दूसरे प्रभाव बाहरी चेतनावर्धक गतिविधियों से होते है। एक कोलाहलयुक्त ध्वनि, सपने देखने वाले व्यक्ति को जगा देती है। यूं अगर वह सपना नहीं देख रहा होता है, तो और भी जल्दी उठ जाता है। अगर उसका नाम भी पुकारा जाए तो एक या दो बार के सम्बोधन में वह जाग जाता है। सपने अर्थहीन नहीं होतेसपने, अधिकतर बेवजह या अर्थहीन नहीं होते। कई मनोवैज्ञानिकों और ज्योतिषियों के अनुसार सपनों की कोई थ्योरी होती है। अनेक उद्देश्य, कार्य और अर्थ होते हैं।

प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक फ्रायड के अनुसार, सपने उन दबी, कुंठित, अपूर्ण आकांक्षाओं की मूर्त परिणति हैं, जो वास्तविक जीवन में साकार नहीं हो पातीं। इनके कोई शाब्दिक या मूल अर्थ नहीं होते।बहुत बार यह किसी प्रतीकात्मक रूप में या बदले स्वरूप में भी दृष्टिगोचर होते हैं, जिससे विवेचन सपने देखने वाले को ही करना पड़ता है। कठिनाई का प्रतिरूप ही सपनों का कारणएक अन्य थ्योरी के अनुसार,व्यक्ति के रोजमर्रा के जीवन में आनेवाली या सम्भावित मुसीबत या कठिनाई का प्रतिरूप ही सपनों का कारण बनता है। व्यक्ति सपनों में ही हल ढूंढ़ता है और कुछ क्षणों की शांति प्राप्त करता है।

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