We Dont Sell Loneliness board
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Summary: अकेले खाने वाले पसंद नहीं...

यह पहली बार नहीं था जब योसु में सोलो डाइनिंग पर तमाशा हुआ हो। जुलाई में एक महिला अकेले खाने गई थी। उसने दो प्लेट भी ऑर्डर की थीं, लेकिन स्टाफ ने कहा, “जल्दी खाओ, और लोग आने वाले हैं!”

Restaurant Controversial Board: साउथ कोरिया के योसु शहर में एक नूडल रेस्टोरेंट ने ऐसा नोटिस लगा दिया कि सोशल मीडिया पर हंसी और गुस्सा…दोनों ही एक साथ फूट पड़े। हुआ यूं कि रेस्टोरेंट ने बाहर बड़ा-सा बोर्ड चिपका दिया – “अकेले मत आना… हम अकेलापन नहीं बेचते!”  और साथ ही नीचे चार विकल्प दिए …दो प्लेट का पैसा दो या दो प्लेट खाओ। या किसी दोस्त को बुला लो या फिर… अगली बार अपनी पत्नी को साथ लेकर आओ! जाहिर है, ऐसा नोटिस कौन नजरअंदाज करता है। किसी ने फोटो खींची और इंटरनेट पर चिपका दी। बस फिर क्या था… पूरा देश और इंटरनेट जगत इस ‘अकेले खाने की मनाही’ पर बहस में कूद पड़ा।

कई लोगों ने इसे बिल्कुल बेतुका बताया। उनका कहना है कि अकेले खाना कब से “अकेलापन बेचने” जैसा हो गया? कुछ को लगा कि रेस्टोरेंट को अपने ग्राहकों की इज्जत करना चाहिए। लेकिन कुछ लोग मालिक के पक्ष में भी आए, वो कहते हैं, “भाई, दुकान उसकी है, चाहे तो नियम भी उसके ही होंगे। नुकसान होगा तो भी उसकी मर्जी!” यह पहली बार नहीं था जब योसु में सोलो डाइनिंग पर तमाशा हुआ हो। जुलाई में एक महिला अकेले खाने गई थी। उसने दो प्लेट भी ऑर्डर की थीं, लेकिन स्टाफ ने कहा, “जल्दी खाओ, और लोग आने वाले हैं!” यानी अकेले आओ तो भी मायूसी, दो प्लेट मंगाओ तो भी जल्दबाज़ी! और तो और, इसी साल एक और रेस्टोरेंट ने अकेले खाने वालों पर अलग से पाबंदी लगा दी कि खाते-खाते सोशल मीडिया का एक खास प्लेटफॉर्म मत देखो, वरना निकल लो! 

KOREAN ALONE
KOREAN ALONE

यह पूरा बवाल उस वक्त हुआ है जब साउथ कोरिया की जनसंख्या में बहुत बड़ा बदलाव हो रहा है। अकेले रहने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सियोल में 2015 में सिंगल-होम 29.5% थे, जो 2023 में बढ़कर 39.3% हो गए। पूरे देश में 42% लोग रोजाना कम से कम एक वक्त का खाना अकेले खाते हैं। यानी अकेले खाने वालों को रोकना ऐसा ही है जैसे चाय की दुकान पर बोर्ड लगा दो – “चाय वालों का आना मना है!” स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गी-वूक शिन ने भी मामला देखा और बोले, कोरिया में जो लोग अकेले रहते हैं, उनके खिलाफ जो पूर्वाग्रह है, उसे नीतियों के जरिए खत्म करना चाहिए। यानी अब बात रेस्टोरेंट की नहीं, पूरे समाज के सोच की है।

अब जरा चीन का सीन देखिए। उधर रेस्टोरेंट्स ने “सिंगल इकोनॉमी” को इतना अपनाया है कि एक-एक इंसान के लिए खास सेट मील तैयार किए जाते हैं। यानी अकेले खाओ, आराम से खाओ, हंसी-खुशी खाओ… किसी को परवाह नहीं। चीन इस ट्रेंड को बिजनेस का सोना समझ चुका है। उसने अकेले रहने वाले लोगों की पूरी मार्केट तैयार कर दी है, जिसमें खाना, घर, लाइफस्टाइल, लर्निंग, सब कुछ “सिंगल-फ्रेंडली” है। अब कोरिया को भी शायद यही समझना पड़ेगा कि अकेले खाना कोई जुर्म नहीं है। और अगर लोग “पत्नी को साथ लाओ” वाली शर्त पर ही खाना खा पाएंगे तो कई लोग तो भूखे ही घूमते मिलेंगे!

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...