ना जाने किसने बनाया होगा इसको सबसे पहले , पर जिसने भी बनाया होगा ,वो पक्का खाऊ रहा होगा !
क्या बच्चे क्या बूढ़े और जवान , जो देखो इसके स्वाद क़ा दीवाना है !  
चाहे कड़कड़ाती सर्दी हो या भीगता हुआ मौसम या दहकते अंगारों समान गर्मी , आपको हर दुकान पर हर ठेले पर इसके चाहने वालों की भीड़ अवश्य दिखाई देगी !
कचौरी के पाये को निकलने में करीब आधा घंटा लगता है पर तब भी व्यक्ति तनिक भी निराश नहीं होता , एकटक कड़ाही के दृश्य को देखता रहता है ! गरम खौलते तेल में मैदे की वो चपटी गोलियां आहिस्ता से उतारी जाती है , और वो उस गरम तेल में अपनी हमउम्र सहेलियों के साथ अठखेलियाँ करती हुई अपने यौवन को प्राप्त करती है , ज्यों ज्यों वो सिकते हुए अपने पूर्ण आकार में आती है , कड़ाही के इर्द गिर्द भीड़ क़ा आकार भी बढ़ता जाता है !
ज्यों ही उन्हे कड़ाही से परात में उड़ेला जाता है त्यों ही चुपचाप खड़ी मानव जाति में उन्हे पाने के लिए मन में हलचल और तड़पड़ाहट सी मच जाती है ! मन में भय रहता है कहीं वो कचौरी से वंचित ना रह जाएं !   
प्रायः कचौरी दो के जोड़े में ही खायी जाती है , अगर कोई व्यक्ति एक ही कचौरी लेकर होशियारी भी करता है तो भी उसके खत्म होते होते वो अपने मन की कशमकश में दूसरी कचौरी के लिए भी अपना दोना आगे बढ़ा ही देता है !  
इसका स्वाद बताने से नहीं बल्कि खाने से ही बताया जा सकता है ! विभिन्न प्रकार की चटनियाँ इसके स्वाद को कई गुणा बढ़ाकर मानव की जीभ को और उत्तेजित कर देती है ! क्या अमीर और क्या गरीब , सब ही दुबारा चटनी लेने के लिए लालायित रहते है !   
दो कचौरी खाने के बाद भी जब व्यक्ति का मन नहीं भरता है तो वो थैली में घऱ के लिए भी 10-15 कचौरिया पैक करवा लेता है ,ताकि घऱ जाकर परिवार वालों के साथ फिर से कचौरी का लुत्फ उठा सके !   
यहाँ पर एक दृश्य और उत्पन्न होता है , जब दुकानदार गिनती करते हुए अपने हाथों से गर्मागर्म कचौरी थैली में डालता है तो उसकी अंगुलियो की फुर्ती देखने लायक होती है ! उधर ग्राहक भी मन ही मन में गिनती करता रहता है कहीं एक दो कचौरी कम नहीं डाल देवें !  
मेहमाननवाजी के लिए बाजार से कचौरिया ले जाना भी परंपरा बन चुकी है , मेहमान को भी सुबह सुबह मेजबान से यही आशा रहती है कि उसे नाश्ते में कचौरी ही परोसी जाएं ! कचौरी को देखते ही वो शर्मीला मेहमान भी शम्मी कपूर की तरह जंगली बन जाता है ! क्योंकि उसे पता है शर्म करी तो मेजबान उसके हिस्से की कचौरी भी साफ कर सकता है !   
कचौरी के कई फायदे है ! कब्जी की तो ये रामबाण औषधि है ! इसमें डाले गए छप्पन प्रकार के मसाले व्यक्ति को अनंत ऊर्जा प्रदान करतें है !   
कचौरी की दुकान पर सामाजिक समरसता क़ा भाव देखते ही बनता है ! कोई परिचित मिल जाए तो एक बार ऊपर के मन से ही सही पर कचौरी खाने क़ा निवेदन भी करना पड़ता है या फिर उसके द्वारा खायी गयी कचौरियों क़ा भुगतान करने की भी जद्दोजहद करी जाती है ! ऐसा दृश्य आपको सोने चांदी की दुकानो पर भी देखने को नहीं मिलेगा ! 
   
जब कोई एक दोस्त सब दोस्तों को अपनी ओर से सबको कचौरी खिलाता है तो उसके चेहरे पर गर्व , संतुष्टि और सरलता के भाव देखते ही बनते है !   
आजकल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग समाज में कचौरी के बारे में गलत अफवाह फैलाते है , पर मजे की बात तो ये है कि ये बुराई करने वाले लोग भी चुपके चुपके कचौरी खाते हुए  कई बार पकड़े जाते है ! पूछने पर बड़े प्यार से बोलते है , अरे ! आज ही खा रहा हूँ भाई ….!!!  
अभी #लॉकडाउन में हम सब कचौरी के लिए तरस रहे है ! कई घरों पर महिलाए बना भी रही है , पर सच कहूँ तो जो माहौल ठेले और दुकान पर मिलता है , वो घऱ पर कभी नहीं मिलता ! हालांकि घरवाली की बढ़ाई तो करनी ही पड़ती है !    
आप अभी घऱ पर रहकर इंतजार करें , आशा है जल्द ही कचौरी के ठेले और दुकानें खुलेगी  और हम अपनी उंगलियां चाटते नजर आएंगे ! .