Anupam Mittal Compare AI and Social: शार्क टैंक इंडिया हमेशा चर्चा में बना रहता है। अब इसके जज अनुपम मित्तल की एक पोस्ट वायरल हो रही है। यह पोस्ट कई लोगों को, खासकर पैरेंट्स को सही लग सकती है। अनुपम मित्तल ने इस पोस्ट को इंस्टाग्राम नहीं बल्कि लिंक्डइन पर शेयर किया है। इस पोस्ट के अनुसार, फोन, सोशल मीडिया और अब एआई कंटेन्ट न केवल बड़ों बल्कि बच्चों को भी गहराई से प्रभावित कर रहे हैं।
क्या कहा अनुपम मित्तल ने?
अनुपम मित्तल ने अपनी 7 साल की बेटी का उदाहरण देते हुए कहा कि वह अपने दिन की शुरुआत एनिमेटेड सीरीज़ पेप्पा पिग से करती है, लेकिन अंत में वह “ग्लिची एनिमेशन और एल्गोरिदम अराजकता के भंवर” में फंस जाती है। और यह सिर्फ उसकी ही बात नहीं है। उन्होंने कहा कि हम सबको एआई जनरेटेड ज्ञान की एक रोजाना की डोज़ मिल रही है, जैसे कि यह हमारे भोजन का एक हिस्सा है। पोस्ट में आगे अनुपम मित्तल ने कहा कि उन्हें अभी भी विश्वास है कि ग्लोबल आन्ट्रप्रेन्योर की अगली बड़ी लहर भारत से आएगी। लेकिन साथ ही, उन्हें इस बात की चिंता भी है कि हम “अंगूठे के योद्धाओं” से भरा देश बनते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, “भारत का सबसे बड़ा ब्रेन ड्रेन सिलिकॉन वैली नहीं है। यह स्क्रॉल की ओर है। हां, मेरा मानना है कि ग्लोबल आन्ट्रप्रेन्योर की अगली लहर भारत से आएगी। मैंने इस पर अपना पैसा लगाया है। लेकिन हम अंगूठे के योद्धाओं की सबसे बड़ी सेना भी बना रहे हैं, जो जरूरत से ज्यादा उत्साहित, कम प्रेरित लोग होने के साथ वो लोग भी हैं, जिन्हें इससे कोई दिक्कत नहीं है”।
एआई जेनरेटेड है रोटी-सब्जी की तरह
शादी डॉट कॉम के फाउंडर ने बताया कि कैसे हमने अपने “बिलियन स्क्रीन” और “बिलियन दिमाग” का इस्तेमाल मनोरंजन के लिए ज्यादातर किया है। उन्होंने आगे कहा, “प्रैंक वीडियो देखें, कोरियोग्राफ किए गए डांस स्वाइप करें और रोटी-सब्जी जैसी एआई-जनरेटेड बुद्धिमत्ता का ओवरडोज लें।” उन्होंने आगे कहा कि पश्चिमी डेश धीरे-धीरे रेडियो से टीवी और फिर इंटरनेट तक पहुंचे लेकिन भारत सीधे रील्स पर पहुंच गया और फिर सीधे इसमें शामिल भी हो गया है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यहां तक कि मेरी 7 साल की बेटी भी पेप्पा पिग से अपने दिन की शुरुआत करती है और गड़बड़ एनिमेशन और एल्गोरिदम अराजकता के भंवर में फंस जाती है। TikTok, Insta और YT ने अपना काम किया, उन्होंने लोगों का ध्यान आकर्षित किया और उससे पैसे भी कमाए। लेकिन इस सबमें हमने क्या खोया?” उन्होंने आगे कहा कि स्क्रीन की यह लत धीरे-धीरे सभी को प्रभावित कर रही है। हम एक ऐसी पीढ़ी का पालन-पोषण कर रहे हैं जो खेलती नहीं है। किशोर जो बात नहीं करते। वयस्क जो सोचते नहीं, बस स्क्रॉल करते हैं।”
चिंतित हैं अनुपम मित्तल

अब जब एआई और भी तेजी से बढ़ रहा है, तो मित्तल को डर है कि उत्तेजना और भी तेज हो जाएगी। उन्होंने इसे अवसर और डायस्टोपिया दोनों कहा। उन्होंने कहा, “यह ब्लैक मिरर एपिसोड जैसा है, जिसके लिए किसी ने साइन अप नहीं किया। यह सोशल एप्स को हटाने के बारे में नहीं है। यह कोई समाधान भी नहीं है।” मित्तल ने स्पष्ट किया कि वह एक चिंतित पिता हैं जो सिर्फ बोल रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस बारे में सोचेंगे कि चीजें किधर जा रही हैं।
अंत में अनुपम मित्तल ने पैरेंट्स, प्रोफेशनल शिक्षकों और आन्ट्रप्रेन्योर के लिए एक सवाल भी उठाया, “और हम यह कैसे सुनिश्चित करें कि हम जिस भारत का निर्माण कर रहे हैं वह आगे देखना न भूले?” कमेंट्स सेक्शन में कई लोग अनुपम मित्तल की चिंता से सहमत थे और कई लोगों ने स्क्रॉलिंग को “नया ब्रेन ड्रेन” कहा, जिसकी वजह से लोग अपना फोकस और जिज्ञासा को खो रहे हैं। कुछ ने यह भी कहा कि “स्क्रॉल” से लड़ने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, किसी को यह गाइड करने की कोशिश करनी चाहिए कि इस अंतर को क्या चीज भर पाएगी।
