Bhagwan Vishnu Katha: इक्ष्याकु वंश में बृहदश्व नामक एक प्रतापी राजा हुए । उन्होंने अनेक वर्षों तक धर्मपूर्वक राज्य किया । उनके राज्य में प्रजा सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करती थी । उनके कुवलाश्व नामक एक पुत्र थे, जो उन्हीं के समान तेजस्वी, धर्मात्मा और प्रजाप्रिय थे । जब वृहदश्व वृद्ध हुए तो उन्होंने अपना शेष […]
Author Archives: M.D. Sharma
विंध्याचल का मान मर्दन – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: प्राचीन समय की बात है – सम्पूर्ण पर्वतों में विंध्याचल पर्वत को एक श्रेष्ठ और विशाल पर्वत के रूप में पूजा जाता था । अनेक प्रकार के वृक्षों ने विंध्याचल को सुशोभित कर रखा था । पुष्पों से लदी हुईं लताओं एवं वल्लरियों पर अनेक रंग-बिरंगे आकर्षक पक्षी कूकते रहते थे । […]
दुर्गम दैत्य – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: प्राचीन समय की बात है – प्रह्लाद के वंश में दुर्गम नामक एक अति भयानक, क्रूर और पराक्रमी दैत्य हुआ। वह देवताओं का क्रूर शत्रु था। दुर्गम जानता था कि इन्द्र आदि देवताओं का बल वेद है। वेदों के लुप्त अथवा समाप्त हो जाने पर देवता शक्तिहीन होकर उनसे पराजित हो जाएंगे। […]
नारदजी का पूर्वजन्म – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: पूर्वजन्म में देवर्षि नारद ब्राह्मणों की एक दासी के पुत्र थे। उस जन्म में उनका नाम नन्द था। नन्द को बचपन से ही ब्राह्मणों की सेवा में नियुक्त कर दिया गया। वह निष्ठापूर्वक उनकी सेवा करता था। उसके सेवा-भाव और स्वभाव से प्रसन्न होकर वे उसे जूठा भोजन खाने को दे देते […]
राजा सगर – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: एक समय की बात है, महाराजा हरिश्चन्द्र के वंश में बाहु नामक एक राजा हुए। राज्य के अहंकार में चूर होकर वे अत्यंत क्रोधी, लोभी, अहंकारी और दुराचारी हो गए थे। उनका मन सुरा और सुंदरियों में लिप्त रहता था। उनके इन्हीं कार्यों के कारण धीरे-धीरे उनकी शक्ति क्षीण होने लगी। राजा […]
पतिव्रता सावित्री – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: प्राचीन समय की बात है – मद्र देश में अश्वपति नामक राजा शासन करते थे। शत्रुओं की शक्ति को नष्ट-भ्रष्ट करना और मित्रों के कष्टों का निवारण करना ही उनका स्वभाव था। उनकी रानी का नाम मालती था। मालती एक धर्मनिष्ठ महिला थी। राज्य में सब ओर सुख-शांति थी। अश्वपति को बस […]
चन्द्रमा को शाप – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: पूर्वकाल में जब ब्रह्माजी सृष्टि का विस्तार करना चाहते थे, उस समय उनके हृदय से महर्षि अत्रि का जन्म हुआ। ब्रह्माजी की आज्ञा से महर्षि अत्रि कठोर तपस्या करने वन में चले गए। वहां उन्होंने तीन हजार दिव्य वर्षों तक अनुत्तर नामक घोर तपस्या की। तपस्या के प्रभाव के कारण उनका तेज […]
समुद्र मंथन – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: एक बार की बात है – शिवजी के दर्शनों के लिए दुर्वासा ऋषि अपने शिष्यों के साथ कैलाश जा रहे थे। मार्ग में उन्हें देवराज इन्द्र मिले। इन्द्र ने दुर्वासा ऋषि और उनके शिष्यों को भक्तिपूर्वक प्रणाम किया। तब दुर्वासा ने इन्द्र को आशीर्वाद देकर भगवान् विष्णु का पारिजात पुष्प प्रदान किया। […]
उतथ्य – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: कौशल देश में देवदत्त नाम का एक विख्यात ब्राह्मण रहता था। देवदत्त का विवाह रोहिणी नामक एक सुंदर कन्या से सम्पन्न हुआ। किंतु अनेक वर्ष बीत जाने के बाद भी देवदत्त के कोई संतान नहीं हुई। इस कारण वह सदैव दु:खी रहता था। एक बार देवदत्त के हृदय में पुत्रोष्टि यज्ञ करने […]
राजा पृथु – पुराणों की कथाएं
Bhagwan Vishnu Katha: प्राचीन समय की बात है, विष्णु-भक्त ध्रुव के वंश में अंग नामक एक राजा हुए। वे बड़े धर्मात्मा और प्रजा-प्रिय थे। वृद्धावस्था में वे राजपाट त्याग कर तपस्या करने वन में चले गए। भृगु आदि मुनियों ने जब देखा कि उनके जाने के बाद पृथ्वी की रक्षा करने वाला कोई नहीं बचा […]
