Dhanteras Story: हम आज धनतेरस के बारे में बात कर रहे हैं। धनतेरस दीपावली सहित पांच दिवसीय त्यौहार होता है जो धनतेरस से प्रारंभ होकर भाई दूज तक मनाया जाता है जो की कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से प्रारंभ होकर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि तक मनाया जाता है। […]
Author Archives: लक्ष्मी कनौडिया
”मौन की आवाज”-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: मैं बोलती नहीं,पर भीतर एक nadi बहती है,शब्द नहीं, संवेदनाएँहर लहर में कहती हैं कुछ। मैं चुप रहती हूँ,पर मेरी आँखें अक्सरसवाल करती हैं खुद से,और उत्तर भी खोज लेती हैंअंधेरों की परछाइयों में। दीवारों से नहीं टकराती,मैं खुद से टकरा जाती हूँ,जहाँ मेरी खामोशीमुझसे सबसे ऊँची आवाज़ मेंकहती है —“तू टूटी नहीं है, […]
फिर से उठूंगी मैं-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: तोड़ दो चाहे मेरी राहें, बिखेर दो मेरे सपनों के पंख। पर देखो, हर बार गिरकर भी, और ऊँची उड़ान भरूंगी मैं।तुम्हारी नफ़रत की आग से, सिर्फ़ तपकर चमकूंगी मैं। तुम्हारे तानों के पत्थरों से अपना किला गढ़ूंगी मैं।मुझे दबाओ जितना दबा सकते हो, इतनी ही ताक़त से फूटूंगी मैं। अंधेरों के उस पार कहीं, एक नया सूरज रचूंगी मैं।मेरे आँसू मेरी हार नहीं हैं, ये तो मेरे […]
कन्या पूजन का महत्व-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Kanya Pujan Story: भारतीय संस्कृति में नारी को देवी का रूप माना गया है। विशेषकर नवरात्रि के अवसर पर कन्या पूजन की परंपरा अत्यंत पावन मानी जाती है। यह केवल धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और नारी-सम्मान का प्रतीक भी है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की […]
बागबान की झुकी कमर-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: बागबान की झुकी कमर,अब बोझ नहीं उठा पाती।चेहरे की चमक अब, झुर्री से ढक जाती। जो हाथ पहले सारे घर का काम कर देते थे, वह कांपते हाथ अब थाली भी ठीक से पकड़ नहीं पाते।धूप की चटकीली किरणें अब इन आंखों को चुभती है, फिर भी बागबान की आंखें रोज सुबह समय से जाग जाती हैं। पैरों […]
पितृपक्ष-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Pitru Paksha Kahani: हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष का अत्यंत महत्व हैl यह पक्ष अपने पितरों को तृप्त करने व उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए 16 दिन का मनाया जाता हैl यह पितृपक्ष भादो मास की पूर्णिमा से प्रारंभ हो जाता है और यह पितृपक्ष अश्विनी मास की अमावस्या तक चलता हैl कुल मिलाकर […]
शिक्षा—गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Shiksha Poem: शिक्षा वह अनमोल हीरा है जिसे एक शिक्षक ही दे सकता है, किसी बच्चे को कुंदन बनाना है किसे सोना यह एक शिक्षक ही समझ सकता है।हर बच्चे को एक मूर्ति के समान तरस्ता है ,शिक्षक बन जाता है एक मूर्तिकार, किसी बच्चे को क्या रूप देना है यह एक शिक्षक ही समझ […]
मन खाने के लिए ललचा जाता था—पूज्यनीय सास
Short Story: बात अब से 23 वर्ष पूर्व की है जब मैं अपनी ससुराल नई दुल्हन बनकर आई थी। मेरे पीहर में तो सदा कम नमक मिर्च का खाना और बिना खटाई का खाना खाया जाता था। सब्जियों में टमाटर भी कम ही डलता था। तेल का इस्तेमाल भी कम ही होता था। हमारे यहां […]
