महान कथाकार स्व. महीप सिंह की ये कालजयी कहानी अपने कथानक को लेकर हमेशा से इतनी जीवंत रही है कि पाठक इसे पढ़ते हुए कब इसके किरदारों को महसूस करने लगता है, पता ही नहीं चलता। 15 अगस्त, 1930 को जन्मे महीप सिंह का साहित्य भाषा की सीमा से परे रहा है। हिंदी व पंजाबी […]