Posted inहिंदी कहानियाँ

परोपकारी सुनीता – 21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां मेघालय

सुनीता चल आज तुझे अपनी मालकिन के घर ले चलती हूँ। इतना कहकर सुनीता की माँ लक्ष्मी कपड़े सुखाने के लिए घर से बाहर आई। सात साल की सुनीता अपनी माँ लक्ष्मी के साथ एक छोटे से शहर कनकपुर में रहती थी। उसके पिता सुखीलाल रिक्शा चलाते थे। एक रोज तपती धूल में रिक्शा चलाते […]

Gift this article