Controlling behavior in love
Controlling behavior in love

Summary: प्यार नहीं कंट्रोल है

जब रिश्ता आज़ादी नहीं बल्कि डर और नियंत्रण देने लगे, तो समझिए ये सच्चा प्यार नहीं है।

Controlling Behavior in Love: किसी भी रिश्ते में जितना प्यार होना जरूरी है, उतना ही पर्सनल स्पेस का होना भी। अगर प्यार के नाम पर आपका साथी आपके कपड़े, खाने, रहने के तौर-तरीके, आपके सोशल अकाउंट पर अपना कंट्रोल करने लगे तो समझ लीजिए यह सिर्फ प्यार नहीं है बल्कि प्यार के आड़ में आपका साथी आप पर अपना कंट्रोल चाहता है। आईए जानते हैं आप कैसे समझ सकते हैं कि आपका साथी आप पर कंट्रोल करना चाहता है।

Controlling Behavior in Love
Controlling behavior in love

हर चीज पर रोका-टोकी: अगर आपका साथी आपके रोजमर्रा की चीजों पर हर समय रोका-टोकी करता है जैसे,
तुम इस तरह के कपड़े मत पहना करो मुझे पसंद नहीं।
तुम अपने उस दोस्त से, उस पड़ोसी से या अपने ऑफिस सहकर्मी से बात मत करा करो मुझे उनसे या किसी और से तुम्हारा बात करना पसंद नहीं।
तुम सोशल मीडिया पर मुझसे पूछे बिना कुछ भी पोस्ट मत करा करो, मेरे अलावा अपने पोस्ट पर किसी को टैग मत करो, यह व्यक्ति तुम्हारे फ्रेंड लिस्ट में क्यों है इसे हटाओ, इसने तुम्हारे पोस्ट पर कमेंट क्यों किया इसका जवाब दो।
कहां जा रही हो, किसके साथ जा रही हो उसके साथ क्यों जा रही हो, कितनी देर में आ जाओगी, बताए हुए समय से लेट कैसे हो गया, क्या मुझे बिना बताए कहीं गई थी।

प्यार के नाम पर ट्रैप करना: अगर आपका साथी आपको प्यार के नाम पर ट्रैप करता है जैसे,
अगर तुम मुझसे प्यार करती हो तो अपने सोशल अकाउंट पासवर्ड मुझे दो।
उसके अनुसार आपका कार्य न करने पर कहना तुम ऐसी हो देख लिया मेरे लिए तुम्हारा प्यार।

निजी स्पेस में दखल देना: आप किससे, कब, क्या बात कर रही हैं उसकी सारी जानकारी लेना।
आपके कॉल्स, मैसेज, सोशल आईडी चेक करना।

ब्लैकमेल करना: तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मैं खुद को नुकसान पहुंचाऊंगा और इसके जिम्मेदार तुम होगे।

अगर आपके रिश्ते में भी इस तरह की बातें हो रही हैं तो सतर्क हो जाइए क्योंकि आप प्यार के नाम पर ब्लैकमेलिंग ट्रैप में फस चुके हैं।

अगर रिश्ते में प्यार के नाम पर कंट्रोल है तो इस तरह का प्यार बिल्कुल गलत है। जिस प्यार में आपको भरोसे से ज्यादा डर लगे, आजादी से ज्यादा घुटन महसूस हो, वह प्यार नहीं है। प्यार में रिश्ते में साथ चलने की भावना होती है।

अपने साथी को समझने की भावना होती है अगर आपको कुछ पसंद नहीं आ रहा तो कारण के साथ अपने साथी को बताने और समझने की भावना होती है ना कि दबाव डालकर मनाने की। जो साथी आपको अपने हिसाब से बदलकर प्यार करना चाहे उसमें प्यार से ज्यादा कंट्रोल होता है।

खुद से ईमानदार रहें: खुद से सवाल करें, क्या आपके रिश्ते में यह बदलाव जरूरी है। क्या आप इन बदलावों के साथ खुश हैं। क्या आप जैसे रहना चाहते हैं वैसे रह पा रहे हैं। कहीं ये बदलाव आपके तनाव, चिंता या आत्मविश्वास की कमी का कारण तो नहीं बन रहे।

सीमा तय करें: आप अपने साथी से बात करें, आप उन्हें बताएं, आप किस तरह के बदलाव को स्वीकार कर सकते हैं और किस तरह के नहीं ।

बात करें: अगर आपको लगे कि आपको मदद की या सलाह की जरूरत है तो अपने दोस्त, परिवार या काउंसलर से बात करें।

जरूरत पड़ने पर बाहर निकले: अगर आपको लगता है, बात करने समझाने या काउंसलिंग से कोई राहत नहीं है, बल्कि आपके साथी का कंट्रोल बढ़ रहा है तो खुद को उस रिश्ते से बाहर निकालें। दिखावे की प्यार की बजाय खुद से प्यार का चुनाव करें।

निशा निक ने एमए हिंदी किया है और वह हिंदी क्रिएटिव राइटिंग व कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। वह कहानियों, कविताओं और लेखों के माध्यम से विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्त करती हैं। साथ ही,पेरेंटिंग, प्रेगनेंसी और महिलाओं से जुड़े मुद्दों...