bmi meaning and its connection to health
bmi meaning and its connection to health

What is BMI: अमूमन माता-पिता बच्चे की सेहत को लेकर चिंतित रहते हैं, उन्हें लगता है कि उनका बच्चा दूसरों की तुलना में पतला-दुबला है। हालांकि डॉक्टर कहते हैं कि यदि बच्चा एक्टिव है तो चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती है, बस उसका बीएमआई ठीक होना चाहिए। चलिए जानते हैं, बीएमआई का सेहत से क्या ताल्लुक है।

जिन बच्चों की परवरिश दादादादी या नाना-नानी के साथ होती है, वे अन्य बच्चों की तुलना में ज्यादा सामाजिक और चुस्त होते हैं, उनका खानपान भी काफी हद तक देसी होता है। उपरोक्त सभी तर्क साठ प्रतिशत मामलों में सही देखे गए हैं, बाकी चालीस प्रतिशत मामले अपवाद भी हो सकते हैं
क्योंकि कई बार एकल परिवार में रहने वाला बच्चा भी काफी चुस्त और फुर्तीला देखा गया है। बहरहाल, बच्चा संयुक्त परिवार में रहे या एकल परिवार में अक्सर दादा-दादी या नाना-नानी, माता-पिता को यह आभास जरूर कराते हैं कि उनका बच्चा दूसरों से कितना कमजोर है और उन्हें बच्चे
पर अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता है।

इस तरह की बातों से माता-पिता प्रभावित होकर डॉक्टर के पास जाते हैं और उनसे बच्चे की भूख बढ़ाने वाली टॉनिक देने का आग्रह करते हैं, जिस पर डॉक्टर अक्सर यही कहते हैं यदि बच्चा एक्टिव है और उसका बीएमआई बिलकुल ठीक है तो चिंता वाली बात नहीं है। डॉक्टर की इस तरह की बातें माता-पिता को थोड़ी देर के लिए तसल्ली देते हैं लेकिन कुछ दिनों बाद घरवाले उसी ढर्रे पर आ जाते हैं और बच्चे को जरूरत से ज्यादा खाना खिलाने का प्रयास करते हैं। बच्चे की सेहत को लेकर अभिभावक का चिंतित होना स्वाभाविक है किन्तु ये ध्यान रहे कि ओवरईटिंग के कारण बच्चे का
बीएमआई न बिगड़े। चलिए पहले तो यह जान लें कि बीएमआई क्या है और इसका हमारी सेहत से क्या संबंध है। आमतौर पर, बच्चे के टीकाकरण में भी बीएमआई का उल्लेख होता है।

बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) का अर्थ है किसी व्यक्ति की औसतन लम्बाई के अनुसार उसका कुल वजन कितना है? इसकी गणना करने के लिए व्यक्ति के वजन को उसकी लम्बाई के वर्ग से विभाजित किया जाता है, कुछ इस प्रकार

बीएमआई = वजन/लंबाई स्कवायर या बीएमआई = वजन / (ऊंचाई & ऊंचाई)

किसी भी व्यक्ति का बीएमआई इस बात पर भी निर्भर करता है कि वह किस देश और जलवायु से संबध रखता है, इसके अतिरिक्त अनुवांशिकता को भी ध्यान में रखकर बीएमआई की गणना की जाती है जैसे कि-

बीएमआई (विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के अनुसार) श्रेणी

सामान्य बीएमआई – 18.5-22.9 – स्वस्थ

निम्नतम बीएमआई – 18.5 से कम – कुपोषण

अधिकतम बीएमआई – 22.9 से अधिक – मोटापा

What is BMI-How to increase baby's weight
Calculating the BMI of Children

बच्चों का बीएमआई और व्यस्क व्यक्ति के बीएमआई में काफी अंतर होता है। उपरोक्त तालिका सूची में दिया गया बीएमआई व्यस्क व्यक्ति के बीएमआई को नापने के लिए बनाया गया। बच्चों का बीएमआई की गणना करते समय उस विशेष क्षेत्र के, जहां से बच्चा ताल्लुक रखता है, के एक समान
आयु के बच्चों के वजन को उनकी लम्बाई के वर्ग से विभाजित करके जो अनुपात निकलता है, उसे ध्यान में रखकर किसी भी बच्चे का बीएमआई निकाला जाता है जैसे

आयु बीएमआई (किग्रा/मीटर) श्रेणी

(7 से 8 वर्ष) – 15.5 – सामान्य

(7 से 8 वर्ष) – 12.8 – कुपोषण

(7 से 8 वर्ष) – 19.9 – मोटापा

यह पैरामीटर 10 साल से नीचे के बच्चे पर ही लागू होता है, 10 साल से ऊपर के बच्चों का बीएमआई उनके अनुवांशिकता पर निर्भर करता है। यदि बच्चे के माता-पिता में से कोई एक लम्बा है तो हो सकता है कि बच्चे की औसतन लम्बाई भी सामान्य से अधिक हो या फिर उसके माता-पिता छोटे
कद-काठी के हैं तो उसकी लम्बाई भी दूसरे बच्चों की तुलना में कम होगी, ऐसे में उसका बीएमआई उसकी उम्र के बच्चों से अधिक या फिर कम होगा।

महिला और पुरुष के खानपान में अक्सर अंतर देखा गया है, इसका मुख्य कारण है- उनकी कदकाठी। पुरुषों की हड्डियों का घनत्व महिलाओं की हड्डियों के घनत्व से अधिक होता है, इस कारणवश पुरुषों का बीएमआई भी महिलाओं की तुलना में ज्यादा होता है। यह पैरामीटर केवल भारत तक सीमित नहीं है, अपितु पूरे विश्व में यह लागू होता है।

How to increase baby's weight
How to increase bady’s weight

माता-पिता को कभी भी बच्चे के वजन पर अधिक ध्यान नहीं देना चाहिए, यदि बच्चा एक्टिव है तो वह मोटा नहीं होगा। मोटा होना वैसे भी कोई अच्छी बात नहीं है, बच्चे का बीएमआई संतुलित होना चाहिए। घर के बड़े बच्चों को मोटा करने के लिए उसे अधिक मात्रा में घी, दूध, पनीर या प्रोटीन
सप्लीमेंट्स देते हैं, जबकि यह उचित नहीं है। बच्चे का बीएमआई नियंत्रित करने के लिए उसे संतुलित आहार दें।
यदि बच्चा दूध नहीं पीता है तो चिंतित न रहें, आप उसे दूध से बनी चीजें जैसे- घी, पनीर, मक्खन इत्यादि खिला सकती हैं। सोयाबीन दाल और चंक्स भी अपने बच्चे के आहार में शामिल करें। अत्यधिक दूध का सेवन करना आपके बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकता है क्योंकि दूध भूख को कम कर देता और पेट में जाकर गैस बनाता है। अत्यधिक प्रोटीन का सेवन करने से बच्चे की किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। बढ़ते बच्चे को प्रतिदिन केवल 20 प्रतिशत ही प्रोटीन की
आवश्यकता होती है और 20 प्रतिशत ही वसा की आवश्यकता उनके शरीर को होती है। यदि बच्चा स्पोर्ट्स इत्यादि गतिविधियों में शामिल है, तब भी इस मात्रा को अधिक बढ़ाने की जरूरत नहीं होती है। प्रोटीन और वसा के बाद बच्चे को रोजाना 100 से 200 ग्राम फाइबर देना चाहिए। सबसे अधिक
बच्चे को यदि जरूरत होती है तो वो है कार्बोहाइड्रेट, यह शरीर को शक्ति और ऊर्जा प्रदान करता है।

बच्चे बड़ों की तुलना में खेलकूद इत्यादि शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं इसलिए उन्हें कार्बोहाइड्रेट की जरूरत सबसे ज्यादा रहती है। इन सभी पोषक तत्वों के साथ बच्चे में पानी पीने की
आदत डालें। 7 से 8 वर्ष की आयु के बच्चे को प्रतिदिन 2 लीटर पानी जरूर पीना
चाहिए, इससे उसके शरीर में निर्जलीकरण की स्थिति नहीं पैदा होती है।

भ्रूण का सही विकास गर्भाशय में ही हो जाता है, किसी बच्चे का बीएमआई इस बात पर निर्भर करता है कि माता गर्भावस्था में किस तरह का आहार लेती है। एक सामान्य व्यक्ति प्रतिदिन 350 से 400 ग्राम कैलोरी की आवश्यकता होती है, जबकि गर्भवती स्त्री को इससे ज्यादा कैलोरी का सेवन करना चाहिए और प्रोटीन की मात्रा प्रतिदिन लगभग 72 ग्राम होनी चाहिए। केवल इतना ही नहीं प्रसव के बाद भी माता को सभी पोषक तत्वों का सेवन सामान्य व्यक्ति से दो गुना ज्यादा करना चाहिए, ताकि बच्चे का सही विकास हो सके। गर्भावस्था में बीएमआई की गणना कम, ज्यादा भी हो सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि माता को पर्याप्त पोषण मिल रहा है या नहीं, साथ ही यह भी देखा जाता है कि बच्चे जुड़वां हैं या एक।