Kalki Koechlin News
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Kalki Koechlin News: बॉलीवुड में सिर्फ अच्छा अभिनय करना ही काफी नहीं होता, कलाकारों को एक खास ‘इमेज’ भी बनाना पड़ती है ताकि उन्हें पहचान मिले और ज़्यादा काम मिले। हाल ही में एक बातचीत के दौरान अभिनेत्री कल्कि कोचलिन ने बताया कि भले ही वह खुद इस तरह की चीज़ों से आगे बढ़ने में विश्वास नहीं रखतीं, लेकिन उन्होंने देखा है कि उनके कई साथी कलाकार दिखावे के लिए अपनी ज़रूरतों की कुर्बानी तक दे देते हैं। कल्कि ने ईमानदारी से कहा है कि बॉलीवुड में सिर्फ टैलेंट ही नहीं, दिखावा और इमेज-बिल्डिंग भी मायने रखती है लेकिन वे खुद अपने तरीके से जिंदगी जीती हैं, भले ही इसके चलते उन्हें कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़े।

एक यूट्यूब चैनल पर बातचीत के दौरान कल्कि ने कहा, “सालों तक मैं फिल्मफेयर अवॉर्ड में अपनी स्विफ्ट कार से पहुंचती थी और मेरी ड्रेस अक्सर कार से बड़ी होती थी। मेरी कार को वे वेन्यू के अंदर जाने ही नहीं देते थे। तब मुझे अपना इनवाइट दिखाना पड़ता था और कहना पड़ता था, ‘मैं ही हूं’।”

कल्कि ने बताया कि ऐसे अनुभवों के बावजूद उन्होंने कभी अपने उसूल नहीं छोड़े। वे कहती हैं, “ये मेरी जिंदगी की आज़ादी है और वही सब कुछ है जो मुझे चाहिए। मैं जिंदगी में स्पॉन्टेनियस रहना चाहती हूं। मैं स्वतंत्र रूप से जो मन आए वो करने वाली हूं। मैं नहीं चाहती कि मैं सिर्फ इसलिए कुछ करूं क्योंकि दूसरे लोग ऐसा कर रहे हैं। जब आपके साथ कोई बॉडीगार्ड, मैनेजर वगैरह नहीं होता, तो आपके पीछे भीड़ भी नहीं लगती। हां, एयरपोर्ट पर थोड़ा मुश्किल होता है – वहां 1.5 घंटे मैंने अपने फैंस के लिए तय कर रखे हैं क्योंकि वहां बैक-टू-बैक सेल्फी चलती रहती है।”

जब उनसे पूछा गया कि क्या पीआर और इमेज बनाना एक्टर्स के लिए ज़रूरी है? क्या उनकी सोच की वजह से उन्हें काम मिलने में फर्क पड़ता है तो उन्होंने कहा, “एक हद तक यह ज़रूरी है। अगर आप बड़े स्टार हैं, तो सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन जाती है। कुछ पागल किस्म के लोग भी होते हैं जो स्टार्स का पीछा करते हैं। ऐसे में बॉडीगार्ड और पीआर की ज़रूरत समझ आती है।”

फिल्म इंडस्ट्री में दिखावे के नाम पर होने वाली अतिशयता पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैं ऐसे लोगों को जानती हूं जो एक छोटे से एक कमरे के घर में रहते हैं लेकिन उनके पास एक ऑडी होती है। वे ड्राइवर के साथ मीटिंग में बड़ी कार से आते हैं, लेकिन रहते एक छोटे से कमरे में हैं। लेकिन मेरे लिए आज़ादी सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। मैं भी पैसा खर्च करती हूं, लेकिन गोवा में एक खूबसूरत घर में रहने और मुंबई आने-जाने की फ्लाइट्स पर। मेरा सारा पैसा वहीं जाता है।”

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...