Kamada Ekadashi 2025 Date: हर महीने की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस तरह से पूरे वर्ष में कुल 24 एकादशी व्रत रखे जाते हैं। वहीं अगर किसी साल में अधिकमास लगता है तो उस वर्ष 26 एकादशी व्रत पड़ते हैं। इस साल हिंदू नव वर्ष की शुरुआत रविवार, 30 मार्च 2025 से हो रही है। बता दें कि, शुक्ल पक्ष की पहली तिथि को हिंदू नव वर्ष (विक्रम संवत) मनाया जाता है। हिंदू नव वर्ष के पहले दिन ही चैत्र नवरात्रि की शुरुआत भी हो जाती है और इसी दिन गुड़ी पड़वा का पर्व भी मनाया जाता है। आइए जानते हैं हिंदू नव वर्ष की पहली एकादशी कौन सी रहेगी यह किस दिन पड़ेगी और इसका क्या धार्मिक महत्व है।
हिंदू नव वर्ष की पहली एकादशी कौन सी है

हिंदू नव वर्ष की शुरुआत चैत्र महीने के शुक्ल की प्रतिपदा यानी पहली तिथि से होती है। ऐसे में चैत्र शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी हिंदू नव वर्ष की पहली एकादशी होगी, जोकि कामदा एकादशी है। कामदा एकादशी व्रत का विशेष धार्मिक महत्व शास्त्रों में बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु के वासुदेव रूप का पूजन किया जाता है। साथ ही मनचाहे फल की प्राप्ति के लिए भी इस एकादशी का व्रत बहुत लाभकारी और पुण्यकारी माना जाता है। आइए जानते हैं अप्रैल में कामदा एकादशी का व्रत किस दिन रखा जाएगा।
कामदा एकादशी का व्रत अप्रैल में कब

चैत्र शुक्ल की कामदा एकादशी का व्रत इस साल 8 अप्रैल 2025 को रखा जाएगा। दरअसल पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि की शुरुआत 7 अप्रैल शाम 04 बजकर 30 मिनट पर होगी और अगले दिन 8 अप्रैल सुबह 05 बजकर 42 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन हो जाएगा। ऐसे में उदायतिथि के मुताबिक मंगलवार 8 अप्रैल को ही कामदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा और पूजा की जाएगी। इस वर्ष कामदा एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का शुभ संयोग भी बन रहा है, जोकि इसके महत्व को और बढ़ाएगा। कामदा एकादशी का व्रत पारण के लिए बुधवार 9 अप्रैल सुबह 07 बजकर 12 मिनट से 09 बजकर 52 मिनट तक किया जाएगा। इस समय के भीतर व्रत का पारण कर लें।
कामदा एकादशी की पूजा विधि

कामदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कर लें। स्नान के बाद पीले रंग के कपड़े पहन लें। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी को साफ कर इसके ऊपर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। अब चौकी के ऊपर भगवान विष्णु की फोटो या मूर्ति स्थापित करें। भगवान को अक्षत, हल्दी, चंदन, पीले फूल, फल, तुलसी के पत्ते और नवैद्य अर्पित कर घी का दीपक जलाएं। पूजा के बाद कामदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें या सुनें और सबसे आखिर में आरती कर पूजा संपन्न करें।
कामदा एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व

कामदा एकादशी नव संवत्सर और राम नवमी के बाद की पहली एकादशी होती है। इसलिए अन्य एकादशी की अपेक्षा इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है। इसका धार्मिक महत्व विष्णु पुराण में बताया गया है। इस एकादशी के महत्व के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने पाण्डु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर को इससे पूर्व राजा दिलीप को वशिष्ठ मुनि ने इसके महत्व के बारे में बताया था। सांसारिक कामनाओं की पूर्ति के लिए लोग यह व्रत करते हैं। इसलिए इसे फलदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि आप जिस कामना से इस व्रत को श्रद्धानुसार और भक्तिभाव से करेंगे वह जरूर पूर्ण होगी। इस व्रत को करने वाला व्यक्ति प्रेत योनि से मुक्त हो जाता है और इसी के साथ ही इस एकादशी व्रत के प्रभाव से कष्टों का निवारण होता है।
