Mokshada Ekadashi 2025
Mokshada Ekadashi 2025

Overview: पापों से मुक्ति का दिव्य अवसर है मोक्षदा एकादशी

मोक्षदा एकादशी पर विष्णु पूजा, व्रत, गीता पाठ और दान से पापों से मुक्ति मिलती है। यह तिथि पितरों को मोक्ष देने और आध्यात्मिक उत्थान का सर्वोत्तम दिन है।

Mokshada Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग में एकादशी तिथि को अत्यंत ही पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है। सभी एकादशियों में मोक्षदा एकादशी सबसे पावन और कल्याणकारी मानी जाती है। इसका कारण यह है कि, यह एकादशी जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त कर भगवान विष्णु के चरणों में स्थान प्राप्त कराती। मोक्षदा एकादशी का व्रत पंचांग के अनुसार हर वर्ष मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है।

शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि मोक्षदा एकादशी पर किया गया व्रत औ पूजन न केवल साधक के पापों को दूर करता है, बल्कि उसके पितरों को भी मोक्ष प्रदान करता है। इसी तिथि पर गीता जयंती का पर्व भी मनाया जाता है। मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। इस तिथि पर किया गया साधना, जप, दान और पाठ अनंत गुणा फलदायी माना जाता है।

मोक्षदा एकादशी 1 दिसंबर 2025 को

Mokshada Ekadashi 2025 Date
Mokshada Ekadashi 2025 Date

मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025 को सोमवार के दिन रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार अगहन शुक्ल के एकादशी तिथि की शुरुआत 30 नवंबर को रात्रि 09 बजकर 29 मिनट पर होगी और 1 दिसंबर को शाम 07 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि के मुताबिक 1 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखकर पूजा अर्चना की जाएगी और 2 दिसंबर को द्वादशी तिथि पर मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण होगा। आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी व्रत की पूजा विधि।

मोक्षदा एकादशी 2025 पूजन विधि

Mokshada Ekadashi 2025 Puja Vidhi
Mokshada Ekadashi 2025 Puja Vidhi
  1. सबसे पहले सुबह उठकर स्नानादि करें और साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद सूर्य देव को जल से अर्ध्य देकर पूजा की तैयारी करें।
  2. मोक्षदा एकादशी का व्रत या पूजन शुरू करने से पहले संकल्प जरूर लें। हाथ में थोड़ा सा शुद्ध जल, अक्षत और फूल लेकर भगवान विष्णु के समक्ष कहें- मैं मोक्षदा एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान से करूंगा/करूंगी।
  3. संकल्प लेने के बाद पूजा शुरू करें। सबसे पहले भगवान विष्णु की प्रतिमा को एक चौकी पर स्थापित करें और गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद एक घी का दीपक जलाएं।
  4. भगवान को पीले फूल, पीले वस्त्र, पीले फल, भोग, तुलसी दल, धूप-दीप और नैवेद्य चढ़ाकर पूजा करें। पूजा के बाद मंत्र जाप करें और मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।
  5. मोक्षदा एकादशी के दिन गीता का पाठ करना भी शुभ होता है। साथ ही इस दिन गरीब और जरूरतमंक्षों में अपनी क्षमतानुसार भोजन, वस्त्र आदि का दान करना भी पुण्यदायी माना गया है।

मोक्षदा एकादशी व्रत का महत्व

Mokshada Ekadashi 2025 Vrat Importance
Mokshada Ekadashi 2025 Vrat Importance

मोक्षदा एकादशी के दिन साधक अपने पूर्वजों के नाम से तर्पण, दीपदान और दान भी करते हैं। मान्यता है कि इस दिन किया गया पितरों का स्मरण और दान उन्हें न केवल पापों से मुक्त करता है, बल्कि मोक्ष भी दिलाता है। क्योंकि मोक्ष केवल मुक्ति का प्रतीक नहीं, बल्कि जीवन के दुखों, भय, भ्रम और नकारात्मकता से मुक्ति का मार्ग भी है। साथ ही यदि कोई व्यक्ति जाने-अनजाने किए गए पापकर्मों से जीवन में परेशान हो तो उसे मोक्षदा एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए।

मेरा नाम पलक सिंह है। मैं एक महिला पत्रकार हूं। मैं पिछले पांच सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैं लाइव इंडिया और सिर्फ न्यूज जैसे संस्थानों में लेखन का काम कर चुकी हूं और वर्तमान में गृहलक्ष्मी से जुड़ी हुई हूं। मुझे...