एक बार एक बुजुर्ग सज्जन अपने साथ एक सात साल के बच्चे को लेकर एक बगीचे में पहुँचे। वहाँ एक जगह पर चार अलग-अलग आकार के पेड़-पौधे लगे थे। बुजुर्ग ने बच्चे से कहा कि वह सबसे छोटे पौधे को जड़ से उखाड़ दे, बच्चे ने आसानी से वह पौधा उखाड़ दिया।
उसके बाद उन्होंने उससे बड़े पौधे को उखाड़ने के लिए कहा। थोड़ी-सी ताकत लगाकर बच्चे ने वह भी उखाड़ दिया। अब उन्होंने तीसरे पौधे को उखाड़ने के लिए कहा। बच्चे ने बहुत मेहनत से उसे भी उखाड़ने में कामयाबी हासिल कर ली। अब चौथे की बारी आई।
वह विकसित होकर पेड़ बन चुका था। बच्चे ने अपनी पूरी ताकत लगा दी, लेकिन उससे वह पेड़ नहीं उखड़ा। बुजुर्ग ने बच्चे को समझाया कि हमारी बुरी आदतें इसी तरह जड़ें जमाती हैं। हम उन्हें दूर करने में जितनी देर करते जाते हैं, उनकी जड़ें उतनी ही गहरे तक पैठ करती जाती है और एक दिन ऐसा आता है, जब हम चाहे कितनी भी कोशिश क्यों न कर लें, उन्हें नहीं उखाड़ पाते। सारः बुराई को प्रारंभ में ही मिटा देना चाहिए।
ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं– Indradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)
