sharab kharab
sharab kharab

सिकन्दर के गुरु डायोनीज को एक व्यक्ति ने बहुत महंगी और पुरानी शराब उपहार में दी। दरबार के सारे लोग डायोनीज की तरफ ललचाई नजरों से देख रहे थे। जाहिर है वे यही सोच रहे थे कि काश यह उपहार उन्हें मिला होता, पर डायोनीज को न जाने क्या सूझा।

उन्होंने उसके सामने ही शराब को मिट्टी पर उड़ेल दिया। यह देखकर वह व्यक्ति क्रोधित हो उठा। उसने कहा ‘आपने मेरे बहुमूल्य उपहार को मिट्टी में क्यों मिला दिया? नहीं लेनी थी तो वापस दे दिया होता।’ डायोनीज ने कहा, ‘जीवन भर इस बात को याद रखना! अगर मैंने शराब को मिट्टी में न मिलाया होता तो यह मुझे मिट्टी में मिला देती। उसकी बात का उस व्यक्ति पर इतना असर हुआ कि उस दिन के बाद उसने कभी शराब नहीं छुई।

सार: नैतिक बल के सामने व्यसन घुटने टेकता है।

ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंIndradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)