सुकून—गृहलक्ष्मी की कहानियां
Sukoon

Hindi Love Story: रवि और विभा की शादी पसन्द की थी यहाँ तक की परिवार वाले बस दुनिया के दिखावे के लिए शादी में शामिल हुए थे बस नही तो खुश कोई नही था दोनों परिवारों में , शादी कुछ दिन सब ठीक रहा लेकिन दोनों परिवारों की अनबन इतनी बढ़ी की बस पत्नी पति को ऐसे हालात बना कर दुश्मन बना दिया.. कि दोनों साथ रहना तो दूर बात तक करना पसन्द नही करते थे, एक समय था जब बिना विभा को खिलाये रवि खुद खाना नही खाता था चाहे पूरा दिन भूखा रहे, किसी तरह खिच खच कर दोनों की शादी दो साल चली जिसमें विभा को एक बेटा था दोनों की गृहस्थी को परिवार और रिश्तेंदारों की नज़र लगी, दोनों ने ईगो में आकर अलग होने का फैसला लिया कोर्ट तक बात पहुँच गई रवि का परिवार दो गुना पैसा खर्च करके वकील किया केस चलता रहा पूरे छः साल बाद आज दोनों का तलाक़ हो पाया था!
दोनों ही परिवार आज बहुत खुश थे। आज दोनों ओर के रिश्तेदार भी बहुत खुश थे। क्योंकि दोनों परिवार की इच्छा पूर्ण हो गई थी। पति-पत्नी का तलाक जो छह वर्षों से रुका था, आज हो चुका था। आज रवि और विभा दोनों अजनबी थे। दोनों एक दूसरे को अजनबी नजरों से देख रहे थे। अब दोनों परिवार एक दूसरे से अलग होकर कमियां गिनवा रहे थे तभी रवि ने विभा के मम्मी-पापा से कहा –
आपकी इजाजत हो तो आखरी बार विभा से मिल सकता हूँ क्या?विभा की बुआ चीखते हुए बोली अब क्या लेना है कुछ बचा है क्या तभी विभा की माँ बोली, “हाँ ‘ मिल लो? आप लोग बात करो हम इंतजार कर रहे बाहर।
रवि ने विभा से बोला। यह चेक है इन सालों में जो कमाया वो पैसा और ये मकान के पेपर,बेटे के साथ कब तक मायके में रहेंगी आप!! ये बच्चा हमारे प्यार की निशानी है मैं नही चाहता कि उसे कोई दिक्कत हो और माँ – पापा भी बूढ़े हो रहे हैं आपके पास जॉब तो है नही जिससे आप अपना और बेटे का खर्च उठा पाएंगी पापा कब तक साथ देंगे आपके उनकी भी उम्र हो चली है उनके खुद के भी तो खर्च हैं ? इसलिए आप बेटे के साथ वहाँ रहिये। और हाँ इन पेपर में ये भी लिखा है कि मैं या मेरा कोई भी परिवार वाला कभी भी वहाँ हक जमाने नहीं आएंगे , आप दोनों को कभी मिलने की कोशिश भी नही करेंगे तो आप शांति से वहाँ रहना।
पर फिर तुम कहाँ रहोगे रवि?

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अरे ,अकेले आदमी का क्या !!कहीं भी रह लूंगा, लेकिन छोटे बेटे के साथ आपको बहुत तकलीफ होगी । अतः आप मकान में रहो। आपको सर दर्द था ,अब कैसा है ? रवि ने बड़ी ही शांति से पूछा।
विभा, ठीक नहीं है, दर्द की दवाओं से काम चल रहा है । और तुम्हें एक्सीडेंट वाला जो पहले दर्द उठता था वो कैसा है,
वही है ,दवाओं से ही काम चल रहा है !ज्यादा फर्क नहीं है ।
लेकिन ऐसा कब तक चलेगा?
चल ही रहा है ना, अच्छा अब मैं चलता हूं। अपना और बेटे का ध्यान रखना ,कभी-कभार बेटे से मिलने आ जाया करूँ आपको परेशानी न हो तो I
ठीक है!! विभा ने हाँ में सर हिलाया,
एक दोस्त की हैसियत से जब भी जरूरत हो ,मुझे याद कर लेना रवि ने कहा ।
उसकी आंखों में आंसू थे । आवाज़ अवरुद्ध थी । वह चलने को हुआ ।
रुको !! विभा की आवाज आई। मेरी तरफ देखो, झर झर आंसू बह रहे थे। क्या सारी गलती मेरी थी? विभा ने पूछा। जो इतनी सज़ा मिल रही है
नहीं गलती तो मेरी भी थी, मैं ही आपको खुश नही रख पाया। रवि रोते हुए बोला,
तो मैं ही कौन सा तुम्हें समझ पाई!! विभा भी रोने लगी . “इन सालों के अंतराल मैं समझ गई कि तुम क्या थे मेरे लिए।
दोनों एक दूसरे के दर्द और पीड़ा बांट रहे थे । कभी-कभी का झगड़ा इतना उग्र रूप ले लेगा मैं नहीं जानती थी। विभा सब दर्द रवि को सुनाए जा रही थी…
दोनों अपने दिल का दर्द बांट रहे थे। दोनों की आंखें आंसुओं से लबालब भरी हुई थी ।
क्या हम फ़िर से एक नही हो सकते ? विभा ने कहा।
क्या कहा? चौक कर रवि ने पूछा!!
सही सुना तुमने !क्या हम फिर से नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत नहीं कर सकते ? विभा रोये जा रही थी
जरूर कर सकते हैं, अगर तैयार हो तो I
तो फिर हम आज ही अपने घर चलते हैं।
परंतु आपके माता-पिता..!
विभा मुझे कुछ नही पता साथ में रहना है बस चलिए हम सब को बता देते हैं..
सच कह रही हो क्या आप?। रवि को यकीन नही हो रहा था उसका प्यार एक बार फिर उसको मिल रहा था.
हाँ हाँ मैं बिल्कुल सच कह रही हूं, मैं तुम्हारे साथ जीवन जीना चाहती हूं । जो समय गुजर गया वह लौटाया नहीं जा सकता है । परंतु मैं अब तुम्हारे साथ फिर जीना चाहती हूँ।
दोनों ने आकर परिवार वालों को फिर से साथ रहने की बात बताई
सभी सदस्य उन्हें देखकर भौचक्के रह गए । दोनों परिवारों का फिर से विरोध देखकर वकील से बात करके दोनों ने शहर से दूर रहने का फैसला लिया और खुशी से जीने लगे। अब दोनों के माता पिता भी खुशी से इस रिश्तें को मान चुके थे और घर के सभी बच्चों को विभा और रवि की शादी की मिसाल देते थे