भारत कथा माला
उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़ साधुओं और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं
एक बार की बात है, रेगिस्तान का जहाज कहलाने वाला ऊँट था। वह खाने और पीने की तलाश में दूर-दूर तक भटक रहा था। गर्मी के दिन थे और चारों ओर रेत ही रेत थी। बहुत दूर चलने के बाद उसे चिड़ियों का झुण्ड उड़ता दिखाई दिया। उन्हें देखकर वह बहुत खुश हुआ और वह भी उसी दशा की ओर चल पड़ा। कुछ देर बाद वह घने जंगल में जा पहुँचा। उसने पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई, पर भूख के मारे उसका बुरा हाल था।
बहुत थका-हारा एक घनी छाया में बैठा हुआ था। वह बहुत भूखा था। अपने शरीर के आकार के बड़े होने के कारण उसका मन वहाँ से हिलने-डुलने का भी नहीं कर रहा था। वह बैठा हुआ ही सोच रहा था कि काश! विधाता उसकी गरदन इतनी लंबी कर दे कि वह अपनी जगह पर ही बैठे हुए कहीं से भी कुछ भी खा-पी सके। उसकी दशा देखकर विधाता को दया आ गई। उन्होंने उसकी बात सुन ली और स्वयं प्रकट हो गए।
विधाता ने कहा- हे ऊँट! तुमने इतने परेशान होकर मुझे पुकारा। देखो, मैं तुम्हारे सामने हूँ। माँगो, तुम्हें क्या चाहिए?
ऊँट ने खुश होकर कहा- अगर आपको मुझ पर दया आ रही है तो आप मेरी गरदन इतनी लंबी कर दें कि मैं अपनी जगह पर ही बैठे हुए कहीं से भी कुछ भी खा-पी सकूँ।
जो माँग रहे हो यदि ऐसा हो जाये तो तुम अत्यधिक परेशान हो जाओगे और पछताओगे परंतु ऊँट अपनी बात पर अड़ा रहा। उसने जवाब दिया कि नहीं वह नहीं पछताएगा। जैसी तुम्हारी मरजी “तथास्तु” विधाता कहकर वहाँ से चले गए। ऊँट को मनचाहा वरदान मिल गया। ऊँट वरदान पाकर बेहद खश था वह काफी दिनों तक बैठे-बैठे अपनी लंबी गरदन से कहीं से भी कुछ भी खा और पी सकता था वह बहुत आलसी हो गया था और मोटा भी हो गया था।
हर दिन की तरह एक दिन जब वह अपनी लंबी गरदन से कुछ खा रहा था तो अचानक मौसम बदला और तेज तूफान आ गया। लम्बी गरदन और मोटापे के कारण वह भागने में असमर्थ था। तूफान के साथ जोरदार बारिश भी हो रही थी। उससे बचने के लिए उसे एक गुफा दिखाई दी। जैसे ही उसने अपनी गरदन एक गुफा में छिपाई वैसे ही अचानक वहाँ शेर आ गया। वास्तव में वह शेर की गुफा थी, शिकार की खोज में बाहर गया था। शेर ऊँट की गरदन वहाँ पाकर बेहद खुश हो गया और उसे खाने लगा। तब ऊँट को एहसास हुआ कि उसके आलस के कारण ही आज उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा था।
भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’
