बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की निवासी 24 वर्षीया शिवांगी भारतीय नौसेना में देश की पहली महिला पायलट बन गईं हैं। अब वे भारतीय नौसेना के लिए डोर्नियर निगरानी विमान उड़ाएंगीं। मुजफ्फरपुर डीएवी स्कूल, बखरी से 12वीं उत्तीर्ण करने वाली शिवांगी जब सिक्किम मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक कर रही थीं, उसी दौरान वर्ष 2015 में नौसेना की एक टीम कॉलेज में आई। वह नौसेना के अधिकारियों के ड्रेस कोड और अनुशासन से इतना प्रभावित हुईं कि उन्होंने नौसेना में अधिकारी बनने की ठान ली। 

बीटेक करने के बाद कुछ महीने तक एक प्राइवेट बैंक में नौकरी की और तैयारी जारी रखी। एमटेक की पढ़ाई के दौरान ही वर्ष 2017 में एसएससी (शॉर्ट सर्विस कमीशन) की परीक्षा पास की। उन्हें भारतीय नौसेना अकादमी में 27 एनओसी कोर्स के तहत एसएसी (पायलट) के तौर पर शामिल किया गया। 25 जून 2018 में वाइस एडमिरल एके चावला ने औपचारिक तौर पर उन्हें नौसेना का हिस्सा बनाया। शिवांगी का प्रशिक्षण कोच्चि में हुआ। 

पिता शिक्षक, माता गृहिणी  

पारू प्रखंड के फतेहाबाद गांव के मूल निवासी और अभी मुजफ्फरपुर शहर के सर गणेशदत्त मोहल्ले में रहने वाले हरिभूषण सिंह की बेटी शिवांगी का जन्म 15 मार्च 1995 को हुआ था। भाई-बहन में सबसे बड़ी हैं। पिता उच्च विद्यालय में प्रभारी प्रधानाध्यापक हैं। मां कुमारी प्रियंका गृहिणी हैं। शिवांगी को विंग्स प्रदान करने के दौरान उसके माता-पिता भी मौजूद रहे।

शिवांगी ने योगदान के बाद कहा कि आज मेरे सपने हकीकत में बदल गए। यह मेरे और माता-पिता के लिए गर्व की अनुभूति और एक अलग एहसास है। लंबे समय से इस दिन का इंतजार कर रही थी। अब मैं तीसरे चरण के प्रशिक्षण को पूरा करने के लिए उत्सुक हूं। 

बचपन से पसंद था अनुशासन
शिवांगीबचपन से ही प्रतिभावान छात्रा रही है।साथ ही वो अनुशासन के प्रति काफी गंभीर भी। समय पर होमवर्क और शिक्षकों से शिष्ट व्यवहार खासियत थी। पायलट बनकर स्कूल और शिक्षकों का सिर गर्व से ऊंचा किया है। सेना के लिए कड़ा शारीरिक परिश्रम जरूरी  लेफ्टिनेंट कर्नल मनमोहन ठाकुर कहते हैं कि लड़कियों को प्रोत्साहन और सही मार्गदर्शन मिले तो वह किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकती हैं। सेना या नौ सेना में आने के लिए कड़ा शारीरिक परिश्रम अत्यंत आवश्यक होता है। शिवांगी को घर से सहयोग मिला तो उसने आसमां छू लिया। उसने परिवार और देश का नाम रोशन किया है।
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