1. सीजन वन में 5.7 करोड़ दर्शकों तक पहुँच चुके ट्रांस मीडिया सीरियल का उद्देश्य महिलाओं के सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करना है

  2. यह धारावाहिक पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया और दूरदर्शन की संयुक्त पहल है 

देश में महिला सशक्तिकरण को आगे ले जाने के प्रयास को संस्था मर्द (मेन अगेंस्ट रेप एंड डिस्क्रिमिनेशन), के संस्थापक फरहान अख्तर ने लोकप्रिय ट्रांस मीडिया सीरियल ‘मैं कुछ भी कर सकती हूँ को आज अपना समर्थन दिया.फरहान अख्तर ने कहा कि मैं कुछ भी कर सकती हूँ सीरियल को मिले फीडबेक से पता चलता है की यह बदलाव के लिए एक उत्प्रेरक की तरह सामने आया है,. मैं कुछ भी कर सकती हूँ, महिलाओं की ताकत को प्रस्तुत करता है और मर्द जिम्मेदार पुरुषत्व का प्रतिनिधितव करता है, हम जो बदलाव देखना चाहते हैं उसके लिए ये दोनों साथ में ‘हम कुछ भी कर सकते हैं’ के रूप में आचुके हैं. महिलाएं कुछ भी हासिल कर सकती हैं, उन्हें बस खुद पर विश्वास और आत्मविश्वास की जरुरत है और समाज को सुरक्षा व सहयोग का माहौल तैयार करने की आवश्यकता है. उनकी आकांक्षाओंके प्रति संवेदनशील होकर और उनके साथ बराबरी का व्यवहार करके पुरुष इस प्रकार का माहौल तैयार कर सकते हैं.मैं कुछ भी कर सकती हूँ, समाज में गहरा तक जम चुकी कुप्रथाएं जैसे बाल विवाह, छोटी उम्र में गर्भधारण और लैंगिक हिंसा को चुनौती देता है. इसके सीजन 2 के दूरदर्शन पर प्रसारण कि शुरुआत 4 अप्रैल 2015 से हो चुकी है और यह प्रत्येक शनिवार और रविवार को शाम 7:30 बजे प्रसारित होता है.अपने पहले सीजन के दौरान, मैं कुछ भी कर सकती हूँ अपने प्रसारण के टाइम स्लॉट में टॉप तीन सीरियल में से एक था. टैम और आईआरएस के मूल्यांकन के अनुसार, यह धारावाहिक 5.7 करोड़ दर्शकों द्वारा देखा गया था. पीएफआई के पास देश भर से 6 लाख लोगों के कॉल आये जो उठाये गए मुद्दों के साथ जुड़ना और अपनी खुद की कहानियां साझा करना चाहते थे.एक स्वतंत्र मूल्यांकन द्वारा किये गए हाउस लिस्टिंग का डाटा बताता है कि मध्यप्रदेश और बिहार के 42 प्रतिशत टीवी वाले घरों में डीटीएच व केबल नेटवर्क की उच्च पैठ होने के बावजूद यह सीरियल देखा गया. इंटरेक्टिवेवॉइस रिस्पोंस सिस्टम (आईवीआरएस) डाटा दर्शाता है कि इस सीरियल को महिला और पुरुषों दोनों ने पसंद किया, चूंकि प्राप्त कॉल करनेवालों में 48% पुरुष और 52% महिला थी. सीरियल को अधिकतम लोगों तक पहुँचाने के लिए अन्य माध्यमों द्वारा भी प्रसारित किया गया था, जिनमें इन्टरनेट, मोबाइल और रेडियो शामिल है.मैं कुछ भी कर सकती हूँ के दूसरे सीजन में डॉक्टर स्नेहा की प्रेरक यात्रा जारी है, जो आज की युवा भारतीय नारी का प्रतिनिधित्व कर रही है, जो चुनौतियों के सामने बढ़ती जाती है. कहानी किशोरों के मुददों को भी उठाती है जिनकी ख्वाहिश अपनी उच्चतम क्षमता तक पहुंचने की है. यह समाज में हो रहे बदलाव को दिखाता है जैसे लड़कियों के समूह का एकसाथ मिलकर फ़ुटबाल टीम बनाना. इस धारावाहिक के लेखक, निर्माता और निर्देशक फिरोज अब्बास खान हैं, जो प्रख्यात नाटक और फिल्म निर्देशक हैं और मैं कुछ भी कर सकती हूँ के पीछे उन्ही की रचनात्मक शक्ति है. यह कार्य उनके दिल के करीब है, जहाँ सामाजिक कारणों के लिए उनकी गहरी प्रतिबद्धता और रचनात्मक संवेदनशीलता एक साथ आये हैं. अपना अनुभव साझा करते हुए फिरोज अब्बास खान ने कहा, “मैं कुछ भी कर सकती हूँ के दूसरे सीजन पर काम करना उत्साहित करने वाला था. हमारी नायक डॉक्टर स्नेहा माथुर की पूरी चुनौतिपुर्ण यात्रा को मजबूत कहानी और सम्मोहक पात्रों द्वारा समर्थन मिला,इस फैमिली ड्रामा का सम्बन्ध कई मुद्दों जैसेबाल विवाह, बालिकाओं में अल्प पोषण, परिवार नियोजन, बाल विवाह, लैंगिक असमानता,प्रसव पूर्व देखभाल. दूसरे सीजन में हम किशोरों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, स्वयं सहायता समूहों, पुरुषों की भागेदारी और जवाबदेही के मुद्दों को उठाया है जिसमें गाँवों में गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्य सेवाएं, और महिलाओं को सामुदायिक मध्यस्थता जैसे नारी अदालतें, महिला हेल्पलाइन सेवा, से त्वरित न्याय दिलाने के माध्यम से महिला सशक्तिकरण लाना शामिल है। हम न सिर्फ समस्याओं को दिखाते हैं बल्कि उनका कार्यशील और साक्ष्य पर आधारित समाधान भी देते हैं। हम दर्शकों के संवेदनशील होने की आशा करते हैं ताकि वे एक बदलाव लाने के लिए प्रेरित हों प्रसार भारती के चीफ एग्जीक्यूटिव अधिकारी जवाहर सरकार ने कहा, सीजन वन की शानदार सफलता के बाद, मैं यह सुनकर प्रसन्न हूं कि पीएफआई मैं कुछ भी कर सकती हूं का सीजन 2 लॉन्च कर रहा है। ऐसे टेलीविजन कार्यक्रमों में समाज में बदलाव लाने की अपार संभावनाएं हैं।पीएफआई की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पूनम मुटरेजा ने कहा, सामाजिक नियमों और व्यवहार में बदलाव लाना कोई आसान काम नहीं है। मीडिया लोगों तक पहुंचने में और मौजूदा नजरिए व प्रथाओं को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जैसा कि हमने देखा कि हमारे दर्शकों ने इंटरेक्टिव वॉइस रिस्पांस सिस्टम (आईवीआरएस) के माध्यम से अपने विचार और संदेश हम तक पहुंचाए। और अब मर्द के तालमेल के साथ, इसे आगे लेकर जाना होगा, हमें उम्मीद है कि पुरुष हमारी महिलाओं के जीवन में सुधार लाने के लिए एक मजबूती के साथ शामिल हों, ताकि वे हिंसा, शोषण और तिरस्कार से मुक्त सम्मानजनक जीवन जी सकें। पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के बारे में पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया एक एनजीओ है जो आबादी में लैंगिक संवेदनशीलता और विकासात्मक योजनाओं और नीतियों को प्रोत्साहित करता है, इसकी स्थापना समाज सेवा को समर्पित उद्योगपतियों के समूह द्वारा स्वर्गीय जेआरडी टाटा और स्वर्गीय श्री डा भरत राम के नेतृत्व में 1970 में की गई थी। पीएफआई के काम महिला व पुरुषों के सशक्तिकरण के बड़े कथानक के अंदर आम जनता के मुद्दों को उठाने पर केन्द्रित है, ताकि वे अपने जीवन, स्वास्थ्य और अपनी भलाई के बारे में निर्णय लेने में सक्षम हों। पीएफआई सरकार के साथसाथ अपने समकक्ष सोच रखने वाले एनजीओ के साथ मिलकर महिलाओं व पुरुषों में समझ बढ़ाने और स्वस्थ परिवारों के निर्माण की दिशा में काम करती है। यह धारावाहिक पीएफआई द्वारा गहन शोध के बाद और सम्मानित मनोरंज शिक्षा विशेषज्ञ डॉक्टर.अरविंद सिंघल के मार्गदर्शन में तैयार किया गया है। 

सपना झा गृहलक्ष्मी पत्रिका में बतौर सोशल मीडिया मैनेजर और सीनियर सब एडिटर के रूप में साल 2021 से कार्यरत हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से हिंदी पत्रकारिता में ग्रेजुएशन और गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से पत्रकारिता...