मार्च में कब है मीन सक्रांति? क्या है इसका महत्व? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि: Meen Sankranti 2024
Meen Sankranti 2024

Meen Sankranti 2024: मीन संक्रांति, जिसे चैत्र मास के मीन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन सूर्य की पूजा और अन्नदान का महत्व काफी होता है। प्रत्येक वर्ष के 12 माह में 12 तरह की सक्रांति होती है। उन्हीं 12 सक्रांति में से एक है, मीन संक्रांति। यह हिन्दू वर्ष के आखिरी माह में मनाई जाती है।

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जिस तरह से सूर्य अपना स्थान परिवर्तन करता है, उस तरह ही अलग-अलग सक्रांति का पर्व मनाया जाता है। जैसे सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। इस दौरान जब वह जिस राशि में प्रवेश करता है, उसके आधार पर उसी दिन को उस माह की संक्रांति के रुप में मनाया जाता है। इसी मीन सक्रांति को भारत के दक्षिण राज्यों में ‘मीन संक्रमण’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन सूर्य की पूजा कर उनसे आशीर्वाद माँगा जाता है। इसके साथ ही मीन सक्रांति के अवसर पर दान का विशेष महत्व है।

मीन संक्रांति 2024 शुभ मुहूर्त

वर्ष 2024 में मीन सक्रांति 14 मार्च 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य बृहस्पति की राशि यानी मीन में प्रवेश करेंगे। जिसके चलते इस सक्रांति को ‘मीन सक्रांति’ कहा गया है। इस दिन भक्त सूर्य की पूजा कर उनसे आशीर्वाद मांगते है। मीन संक्रांति पर सूर्य 14 मार्च 2024 को दोपहर 12.46 पर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इसका शुभ मुहूर्त 14 मार्च 2024 की दोपहर 12:46 से शुरू होकर शाम 06:29 तक रहेगा।

धार्मिक महत्व: मीन संक्रांति को हिंदू पंचांग में महत्वपूर्ण तिथि के अनुसार मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देवता और गणेश जी की पूजा की जाती है।

अन्नदान: इस दिन अन्नदान का विशेष महत्व है। लोग गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न दान करते हैं। मीन सक्रांति के अवसर पर दान का विशेष महत्व है।

कृषि संबंधित: यह एक महत्वपूर्ण कृषि संबंधित पर्व है जब किसान अपने खेतों में नए फसलों की खेती करते हैं।

सामाजिक महत्व: इस पर्व को समाज में एकता और भाईचारे का पर्व भी माना जाता है, इस अवसर पर लोग एक-दूसरे के साथ अन्नदान करते हैं और आपसी भाईचारे के साथ देवी-देवताओं की पूजा करते है।

मीन संक्रांति पर पूजा विधि

भगवान सूर्य की मूर्ति, सूर्य देव का चालीसा या मंत्र, फल, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, गंगाजल, कुमकुम, आदि की तैयारी करें।

इसके बाद सूर्य की मूर्ति को स्नान कराएं और उसे पवित्र स्थान पर स्थापित करें।

मंत्रों का जाप करें और सूर्य देव की पूजा कर। धूप, दीप, नैवेद्य, अर्घ्य, फल, पुष्प, चावल, और अच्छा आदि उन पर समर्पित करें।

सूर्य देव का चालीसा या मंत्र का पाठ करें। इसके बाद आरती गाएं और प्रसाद बांटें।

पूजा के बाद सूर्य देव की प्रार्थना करें और ध्यान करें। उनसे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।

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