महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन,टेलीफोन के जनक अलेक्जेंडर ग्राहम बेल और अभिनेता टॉम क्रूज,वॉल्ट डिजनी,लियोनार्डो द विंची,इन सब के बारे में किसी को कुछ बताने की जरूरत नहीं है,इनकी उपलब्धियों,इनके योगदान से हम सभी परिचित हैं। यह सभी अपने क्षेत्र के स्थापित नाम है किंतु इन सब में एक बात सामान्य है,वो यह कि यह सभी डिस्लेक्सिया से पीड़ित थे। यदि आपने 2006में आई आमिर खान की फिल्त तारे जमीन पर देखी हो तो आपको जरूर मालूम होगा डिस्लेक्सिया क्या होता है। जिसमें दर्शील सफारी ने डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चे का किरदार निभाया था। कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री छात्रों के साथ एक कार्यक्रम में बातचीत कर रहे थे,जहां पर डिस्केस्लिया का जिक्र हुआ था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) रुड़की द्वारा आयोजित स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2019में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वहां के छात्रों के साथ बातचीत कर रहे थे इसी बीच एक छात्रा डिस्लेक्सिया से जूझ रहे छात्रों की मदद के लिए अपने एक प्रोजेक्ट के बारे में बता रही थी, तभी प्रधानमंत्री ने छात्रा को रोकते हुए पूछा कि’क्या आपकी इस योजना से 40-50साल के बच्चे को भी मदद मिलेगी?’इस पर सभी छात्र हंसने लगे। मोदी ने कहा, ‘अगर ऐसा है तो मां और बच्चे दोनों खुश होंगे। इसके बाद सोशल साइट्स पर मोदी की खूब आलोचना हुई,लोगों ने आरोप लगाए कि प्रधानमंत्री ने एक कार्यक्रम में कथित तौर पर राहुल गांधी को डिस्लेक्सिया (मंदबुद्धि) के शिकार लोगों के साथ जोड़कर ऐसे लोगों की तौहीन की है। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का वीडियो काफी शेयर किया गया है। नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ द डिसेबल्ड (एनपीआरडी) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिस्लेक्सिया पीड़ितों को लेकर दिए गए बयान को अपमान जनक और असंवेदनशील बताते हुए माफी की मांग की है। डिस्लेकिस्या एक गंभीर बीमारी है जिस पर इस तरह का मजाक नहीं होना चाहिए,बहरहाल आइए लेख में इस पर विस्तार से चर्चा करें।

डिस्लेक्सिया क्या होता है?
डिस्लेक्सिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चे को पढ़ना,लिखना और शब्दों का बोल पाना मुश्किल होता है। इससे ग्रस्त बच्चे अक्सर बोलने वाले और लिखित शब्दों को याद नहीं रख पाते हैं। इसके अलावा वह कई चीजों को समझ भी नहीं पाते,लेकिन उनकी रचनात्मकता का स्तर अच्छा होता है। हालांकि डिस्लेक्सिया होने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आपके बच्चे की सीखने की क्षमता बाकी बच्चों से कम है। फर्क इतना है कि अच्छी तरह से पढ़ने में सक्षम नहीं होने के कारण बच्चों को कई चीजें समझ पाना मुश्किल हो सकता है।
डिस्लेक्सिया का कारण
डिस्लेक्सिया किस वजह से और क्यों होता है इसका कोई सटीक कारण अभी तक सामने नहीं आया है। लेकिन माता-पिता या परिवार में अगर किसी को दिमाग से जुड़ी कोई भी परेशानी रही हो तो,बच्चों में डिस्लेक्सिया होने के कारण बढ़ सकते हैं।
डिस्लेक्सिया के प्रकार
डिस्लेक्सिया मुख्यत: तीन प्रकार का होता है-
पहला यानी प्राइमरी डिस्लेक्सिया में बच्चे अक्षर और संख्या की पहचान करना,पढ़ना,मापना,समय देखना और अन्य गतिविधियां नहीं कर पाते।
दूसरे यानी सेकेंड्री डिस्लेक्सिया की समस्या भ्रूण में बच्चों का दिमागी विकास न होने के कारण होती है। इससे शब्दों की पहचान और उनकी बोलने में समस्या आती है।
तीसरे,ट्रॉमा डिस्लेक्सिया की समस्या बच्चों में दिमागी चोट लगने के कारण देखने को मिलती है। इसमें बच्चे शब्दों की ध्वनि नहीं सुन पाते हैं इसलिए उन्हें शब्द बोलने और पढ़ना सीखने में कठिनाई होती है।
बच्चों में दिखने वाले लक्षण
धीरे लिखना और पढ़ना।
समझने या सोचने में कठिनाई।
किसी बात को याद रखने में कठिनाई।
शब्दों को मिलाने में कन्फ्यूजन रहना।
एक जैसे दिखने वाले शब्दों में फर्क ना पहचान पाना।
सुने हुए शब्दों को लिखने में दिक्कत आना।
दिशाओं को समझने या मैप को समझने में परेशानी होना।
ज्यादा दिमाग लगाकर सोचने से सिरदर्द होना।
बचाव के तरीके
अगर बच्चे को यह प्रॉब्लम है तो उनके पढ़ने का तरीका बदलें। उन्हें आसान तरीके से और खेल-खेल में सीखने की आदत डालें। इससे उन्हें आपकी बात जल्दी समझ आएगी। आप उन्हें पढ़ाने या कुछ भी समझाने के लिए पेंटिंग या कहानियों का सहारा ले सकते हैं। बच्चे को जिस चीज अक्षर को पहचानने या लिखने में दिक्कत होती हैं वह उन्हें बार-बार लिखवाएं। इसके अलावा उन्हें खिलौने के माध्यम से भी आप सिखा सकते हैं। आप उन्हें वोकेशनल ट्रेनिंग भी करवा सकते हैं।
बच्चों को डिस्लेक्सिया से बाहर निकालने के लिए उसे हर शब्द व बेसिक बातें चित्र के जरिए समझाएं।
डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों के लिए पर्याप्त समय निकालें और उन्हें प्रोत्साहित करें। उनके साथ अच्छा व्यवहार करें।
रिसर्च की मानें तो बच्चों के लिए मैनुस्क्रिप्ट लेसन पढ़ने में मदद करता है।

अगर बच्चा धीरे-धीरे पढ़ या किसी लेसन को लिख रहा है तो उसको ऐसा करने दीजिए न कि उसपर किसी तरह का प्रेशर डालने की कोशिश करें।बच्चे को रोजाना जल्दी-जल्दी पढ़ने या लिखने की प्रेक्टिस करवाएं जो उसके ब्रेन के लिए काफी अच्छी बात हैं। मगर ऐसे में खुद को धैर्य बिल्कुल न खोएं क्योंकि यह आपके बच्चे को डरा सकता है।यह भी पढ़ें –
