प्रभु हनुमान का आराधक दूसरों द्वारा किए गए तंत्र प्रयोगों के सहज रूप से अछूता रहता है। साथ ही, उसके शत्रुओंका भी नाश हो जाता है। यदि हनुमान की साधना में श्री राम को जोड़ दिया जाए,तो उसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है। तंत्र शास्त्रों में श्री हनुमान साधना द्वारा अनेक चमत्कारी प्रयोगों का वर्णन मिलता है,जो मनुष्य को सुखी व संपन्न बनाने में सक्षम हैं।

मंगलवार के दिन श्री हनुमान का स्मरण करते  हुए लोबान के पौधे की जड़ ले आएं। फिर उसे कच्चे सूत में पिरोकर गले में धारण करने से सभी प्रकार की खांसी दूर होती है।

प्रत्येक मंगलवार को सायंकाल हनुमान मंदिर से उनके चरणों का सिंदूर लाकर पागल व्यक्ति के माथे पर लगाएं। वह ठीक हो जाएगा।

हनुमान जी के मंदिर में पांच बत्तियों वाला दीपक जला आएं। इससे आपकी सभी परेशानियां तथा कार्योंकी बाधाएं दूर हो जाएंगी।

प्रात:काल सात बार हनुमान बाण का पाठ करके प्रभु हनुमान को लड्डू का भोग लगाएं। फिर पांच अखंडित लौंग को पूजा स्थान में देसी कपूर के साथ जलाकर उसकी भस्म माथे पर लगाकर बाहर आ जाएं। आपके समस्त शत्रु नष्ट हो जाएंगे।

मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान जी के कंधे का सिंदूर ले आएं। उसे बच्चे के माथे पर लगाने से बुरी नजर का प्रभाव दूर हो जाता है।

प्रात:काल पांच लाल फूल हनुमान जी को अर्पित करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

मंगलवार को मकोय की पत्तियां चबाकर सूखा रोग से ग्रस्त बालक की पीठ पर उगल दें। फिर श्री हनुमान का स्मरण करते हुए उसे हाथ से मलने पर सूखा रोग दूर हो जाता है।

एक लौंग को ऊं ऐं ह्रीं हनुमते रामदूताय नम: मंत्र द्वारा अभिमंत्रित करके रोगी को खिलाने से ज्वर के कारण आने वाली कंपकंपी दूर हो जाती है।

मंगलवार के दिन हनुमान जी का स्मरण करते हुए पीपल के 22 पत्ते तोड़ लाएं। फिर उन्हें स्वच्छ जल से धोकर उन पर लाल चंदन से राम लिखें। इसके बाद कौन सो काज कठिन जग माहीं, जो नहीं होत तात तुम पाहीं मंत्र का जाप करते हुए एक-एक पत्ता हनुमान जी की मूर्ति या चित्र पर चढ़ा दें। दुकान की बिक्री बढ़ जाएगी।

शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार को ऊं हं हनुमते नम: मंत्र का 11 बार जाप कर के ऋण की किश्त दें। ऋण से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाएगी।

तुलसी के सात  पत्तों को 31 बार राम दूताय हनुमान, पवनपुत्राय हनुमान मंत्र का जाप करके अभिमंत्रित कर लें। फिर वे पत्ते उदर रोगी को खिला दें। वायु विकार, अपच, अफरा एवं पेट दर्द दूर हो जाएगा।

पुनर्नवा  की जड़ के 21 छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। फिर कच्चे सूत के नौ धागों को मिलाकर एक डोरी बनाएं। अब उसमें थोड़ी-थोड़ी दूर पर पुनर्नवा के 1-1 टुकड़े को गांठ लगाकर बांध दें। तत्पश्चात्  हनुमान जी का ध्यान करके यह माला रोगी के गले में पहना दें। सभी रोगों से मुक्ति मिल जाएगी।

प्रात:काल  सीता एवं हनुमान जी के मंदिर जाएं। सर्वप्रथम हनुमान जी का पूजन करके उनकी प्रति मासे थोड़ा सा सिंदूर लेकर सीता जी के सामने अपनी समस्या कहें। फिर सिंदूर उनके चरणों पर लगा दें। आपकी समस्याएं दूर हो जाएंगी।

किसी भी  मास के प्रथम मंगलवार को हनुमान जी के दाएं कंधे का सिंदूर लेकर अभिमंत्रित गोमती चक्र पर लगा दें। फिर उस चक्र को लाल कपड़े में बांधकर बच्चे के गले में डाल दें। बच्चे का डरना बंद हो जाएगा।

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