Bholenath Mantra in Sawan: सनातन धर्म में पूजा करते समय मंत्र जाप करने का खास महत्व है। धर्मग्रंथों के अनुसार, सभी देवताओं के लिए कोई न कोई मंत्र जरूर बनाया गया है, ताकि भक्तगण अपने इष्ट देवता के मंत्रों का जाप कर उन्हें शीघ्रता से प्रसन्न कर सके। वैदिक काल के कई ग्रंथों में देवताओं के मंत्रों की महिमा का वर्णन किया गया है। पौराणिक ग्रंथों में भी यह उल्लेख मिलता है कि सभी देवताओं की शक्तियां और सिद्धियां मंत्रों में ही समाहित होती थी। अपनी शक्तियों का उपयोग करने के लिए देवतागण मंत्रों का जाप करते थे।
इसी कारण आज भी देवताओं के मंत्रों का जाप करने से भक्तों की मनोकामना जल्दी पूरी होती है। सभी प्रकार के मंत्रों में शिव जी के महामृत्युंजय मंत्र को सबसे अधिक शक्तिशाली माना गया है। सावन मास में शिव जी की पूजा करते समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बेहद पुण्यकारी होता है। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति के सभी रोगों का नाश होता है और घर में सुख समृद्धि आती है। आज इस लेख के द्वारा हम शिव जी के महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ और उसके महत्व के बारे में जानेंगे।
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि शिव जी के महामृत्युंजय मंत्र को सभी मंत्रों का महामंत्र कहा गया है। “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्” मंत्र को महामृत्युंजय मंत्र या त्र्यंबकं मंत्र कहते हैं। इस मंत्र का अर्थ है कि “तीन नेत्रों वाले भगवान जो इस संसार के पालनहार हैं, हम उनकी पूजा करते हैं। इस पूरे ब्रह्मांड में जो सर्वशक्तिमान हैं, जो इस पूरी सृष्टि को प्रकाशित करते हैं, वो शिव जी हमें जन्म मरण के बंधनों से मुक्ति देकर मोक्ष प्रदान करें।” इस मंत्र की रचना मृकंडू ऋषि के पुत्र मार्कण्डेय ने की थी। मार्कण्डेय की आयु कम होने के कारण उनके पिता ऋषि मृकंडू चिंतित रहते थे। जब मार्कण्डेय को यह बात पता चली तो दीर्घायु होने का वरदान पाने के लिए मार्कण्डेय ने शिव जी की तपस्या की और महामृत्युंजय मंत्र की रचना की। मार्कण्डेय शिव मंदिर में बैठकर निरंतर इस मंत्र का जाप करते रहते। मार्कण्डेय की इस भक्ति से प्रसन्न होकर शिव जी ने मार्कण्डेय को दीर्घायु होने का वरदान दिया।
महामृत्युंजय मंत्र जाप का लाभ और महत्व

शिव पुराण में बताया गया है कि शिव जी के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति भय मुक्त और निरोगी बनता है। इस मंत्र के प्रभाव से शिव जी अपने भक्तों के सभी कष्टों और दुखों का नाश कर दीर्घायु होने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति की अकाल मृत्यु नहीं होती। सावन के महीने में, सोमवार, शिवरात्रि या अन्य किसी शिव पूजा के अवसर पर इस मंत्र का जाप करना बेहद लाभकारी माना जाता है। मंत्र का जाप करते समय रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना शुभ होता है। महामृत्युंजय मंत्र के सवा लाख जाप पूरे होने के बाद हवन जरूर करना चाहिए। इससे शिव पूजा का सही फल प्राप्त होता है और व्यक्ति की अधूरी मनोकामना भी जल्दी पूरी होती है।
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