Benefits of Aarti: सनातन धर्म में देवी देवताओं की उपासना व पूजा पाठ करने का विधान है। घर और मंदिरों में सुबह शाम भगवान की आरती की जाती है। जिसमें भक्त सच्ची श्रद्धा से उपस्थित होकर भगवान से सुख—समृद्धि की कामना करते हैं। यूं तो सभी देवताओं की पूजा पाठ के नियम व विधि विधान भिन्न होते हैं। परंतु, सामान्य रूप में किसी भी देव की पूजा में आरती का बड़ा महत्व होता है। पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि पूजा पाठ में धूप—अगरबत्ती, कपूर, दीपक आदि जलाकर भगवान की स्तुती की जाती है। पूजा के वक्त आरती करना और आरती में शामिल होने से भगवान हमारी पुकार सुनते हैं और हमें पुण्य की प्राप्ति होती है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि पूजा के वक्त आरती का धार्मिक व वैज्ञानिक क्या महत्व होता है? तो चलिए जानते हैं पूजा के बाद आरती करने के पीछे का रहस्य।
आरती करने का धार्मिक महत्व

आपने देखा होगा कि मंदिर में आरती के वक्त सभी भक्त मिलकर आरती का गान करते हैं। आरती में शंख, घंटी, डोलक, डमरू भी बजाते हैं। धार्मिक शास्त्रों में उल्लेख है कि आरती ऊंचे स्वर व एक ही लय ताल में गाने से वातावरण भक्तिमय, संगीतमय हो जाता है, जो कि मनुष्य के रोम को भी छू जाता है। इससे व्यक्ति का मन उत्साह से भर जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि देवताओं की पूजा अर्चना के समय विभिन्न वाद्ययंत्रों के साथ आरती के गायन करने से ईष्ट जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। स्कंद पुराण में वर्णन मिलता है कि जो भक्त मंत्रों को ज्ञान नहीं रखता हो, पूजन विधि की जानकारी ना हो, तो वह आरती करके प्रभु की भक्ति कर सकता है। आरती के माध्यम से ईश्वर अपने भक्तों की कामना स्वीकार करते हैं।
आरती करने का वैज्ञानिक महत्व

आरती करने के पीछे ना सिर्फ धार्मिक, बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं। आरती के वक्त जब रूई, घी व कपूर जलाते हैं तो इससे वातावरण में महक फैलती है। इस महक से नेगेटिव एनर्जी खत्म हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है। ऐसा करने से शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने वाले जीवाणु में नष्ट हो जाती है। वहीं, मंदिरों में आरती के वक्त शंख, घंटे घड़ियाल आदि की ध्वनि से मन पॉजिटिव हो जाता है। इससे शारीरिक कष्ट दूर होने के साथ मन की शांति प्राप्त होती है।
आरती के वक्त रखें इन बातों का ध्यान

भगवान की आरती करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। घर मंदिरों में आरती पूरी होने के बाद दोनों हाथों से आरती ग्रहण करनी चाहिए। क्योंकि, धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि आरती के समय ईश्वर की शक्ति उस ज्योत में समा जाती है। इससे जब भक्त दोनों हाथों से आरती लेते हैं तो वह धन्य हो जाते हैं। इससे जीवन में देवताओं की आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख—शांति बनी रहती है।
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