Bleeding In Pregnancy: महिलाओं के लिए प्रेग्नेंसी का वक्त बहुत ही नाजुक और मुश्किल होता है। इस दौरान सेहत का खास ख्याल रखना बहुत ही जरूरी हो जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान एक महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं।
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अगर इस दौरान सेहत को लेकर सर्तकता ना बरती जाए, तो मां और शिशु दोनों को खतरा हो सकता है। ऐसे वक्त में कुछ महिलाएं उल्टी, मतली, सिरदर्द, थकान, चक्कर आना, चिड़चिड़ापन, पेट, कमर में दर्द आदि समस्याओं से परेशान रहती हैं।
वहीं कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लीडिंग की समस्या होने लगती है। ब्लीडिंग आने की समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए। आइए आज हम आपको बताएंगे प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लीडिंग क्यों होती है।
क्यों होती है ब्लीडिंग?

प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लीडिंग कभी भी हो सकती है। अगर एक या दो दिन ब्लीडिंग हो रही है, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। दरअसल प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीनों में एक महिला को ब्लीडिंग की संभावना 15% से 20% के बीच होती है। 10 में से दो प्रेग्नेंट महिलाओं को फर्स्ट ट्राइमेस्टर में ब्लीडिंग का अनुभव हो सकता है। आपको बता दें कि ऐसी कंडीशन में मिसकैरेज की संभावना 10% से 15% होती है।
वहीं अगर ब्लीडिंग पहले 14 दिनों में होती है, तो मिसकैरेज रेट 45% से 55% के बीच रहती है। अगर आपको हैवी ब्लीडिंग के साथ पेट में ऐंठन की समस्या हो रही है, तो शुरुआत में मिसकैरेज हो सकता है।
प्लेसेंटा प्रीविया की वजह से ब्लीडिंग

ये एक ऐसी कंडीशन है, जब प्लेसेंटा यूट्रस के निचले हिस्से में आ जाता है। ऐसे मामलों में, प्रेग्नेंट महिला को बिना किसी दर्द के ब्लीडिंग हो सकती है। ऐसे में आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
अब्रप्शियो प्लेसेंटा हो सकती है वजह
इस कंडीशन में लेबर पेन शुरू होने से पहले ही प्लेसेंटा अलग हो जाता है। इसकी वजह से गर्भवती को हैवी ब्लीडिंग का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में ये बच्चे की जान के लिए खतरा साबित हो सकता है।
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी है वजह

यह एक ऐसी खतरनाक कंडीशन है, जिसमें फीटस यूट्रस के बाहर विकसित होने लगता है। इसकी संभावना लगभग 2% है। ऐसे मामलों में हल्का सिरदर्द, ब्लीडिंग, सिंकोपल अटैक और पेट में गंभीर ऐंठन का अनुभव हो सकता है।
वासा प्रीविया हो सकता है कारण
वासा प्रीविया एक ऐसी खतरनाक कंडीशन है, जिसमें ब्लड वेसल्स बर्थ कैनाल की ओपनिंग को पार करती हैं। इसमें ब्लीडिंग हो सकती है। इसके साथ ही ये बच्चे की जान के लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसे में बहुत ध्यान देने की जरूरत होती है।
हो सकते हैं कई अन्य कारण

इंप्लांटेशन के दौरान महिला ब्लीडिंग का अनुभव कर सकती है। ये ब्लीडिंग 10 से 14 दिनों तक चल सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लीडिंग के कई अन्य कारण जैसे सर्विक्स में पॉलीप्स, सर्विक्स या वेजाइनल इंफेक्शन, कैंसर, पॉलीप्स और गेस्टेशन पीरियड के दौरान सर्वाइकल में बदलाव भी हो सकते हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान हल्की ब्लीडिंग होने पर भी अपने गायनेकोलॉजिस्ट से एक बार सलाह जरूर ले। इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।
