कोरोना के नए वैरिएंट से रहें सावधान: Corona XBB.1.16 Variant
Corona XBB.1.16 Variant

Corona XBB.1.16 Variant: देश में एक बार फिर कोविड के मामलों में उछाल आ रहा है और एक्टिव मामलों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। कोविड के सामने आ रहे मामलों के पीछे XBB.1.16 को माना जा रहा है। यह वैरिएंट कोरोना के ओमिक्रोन का सब-वैरिएंट है। XBB.1.16 वैरिएंट की इम्यून एस्केप यानी शरीर में बनी प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देने की क्षमता इसे गंभीर बनाती है। वायरस अपर रेस्पेरेटरी ट्रैक को ही ज्यादा प्रभावित करता है। इसलिए इससे संक्रमित मामले ज्यादातर माइल्ड होते हैं।

Corona XBB.1.16:कितना है खतरा

Corona XBB.1.16
Corona XBB.1.16 Virus

XBB.1.16  वैरिएंट बहुत ज्यादा संक्रामक है, लेकिन इसकेे इंफेक्शन की गंभीरता और डैथ रेट ज्यादा नहीं है। वायरस के स्पाइक प्रोटीन और उसके अंदर कई म्यूटेशन हुए हैं जो वायरस को इम्यूनिटी से बचाने में कामयाब हो रहे हैं। म्यूटेशन के बाद सब-वैरिएंट में थोड़े बदलाव आए हैं जिसकी वजह से कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लेने के बाद भी इससे ब्रेक थ्रू या री-इंफेक्शन भी हो सकता है।

लक्षण

XBB.1.16 वैरिएंट के लक्षण कोविड के लक्षणों जैसे ही हैं- सिर दर्द, बुखार, मांसपेशियों में दर्द, खांसी, गले में दर्द, थकान, गले में खराश या बलबम होना, नाक बहना, सांस लेने में तकलीफ होना। इसके अलावा कुछ लोगों को पेट दर्द और डायरिया की शिकायत हो सकती है।

किन्हें है ज्यादा रिस्क

आईसीएमआर के अनुसार, 8 तरह के लोगों को इस वैरिएंट से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है- छोटे बच्चों, बुजुर्ग या साठ साल से ज्यादा उम्र के लोग जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण इंफेक्शन कंट्रोल करने की क्षमता कम होती है। हृदय रोग, डायबिटीज, एचआईवी पाॅजीटिव, केंसर जैसी नाॅन कम्यूनिकेबल डिजीज से जूझ रहे लोग या फिर ऑटोइम्यून डिजीज से कारण इम्यूनो सेपरेसिव ड्रग्स लेने वाले लोग भी हाई रिस्क कैटेगरी में आते हैं। इसके अलावा फेफड़ों या किडनी की पुरानी बीमारी हो, मोटापे से ग्रसित लोग, जिनका वैक्सीनेशन नहीं हुआ है। इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण इनमें इंफेक्शन ज्यादा सीवियर होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे लोग जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज़ नहीं ली है या फिर बूस्टर डोज़ नहीं लगवाई है। उन्हें कोरोना संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है।

कैसे हो रही है जांच

कोरोना पाॅजीटिव हुए मरीजों की स्थिति के आधार पर जीनोम सिक्वेंसिंग करके कोरोना के वैरिएंट की जांच की जा रही है। वर्तमान में देश में एडिनोवायरस, H3N2 इंफ्लुएंजा वायरस और ओमिक्रोन का सब-वैरिएंट XBB.1.15 और XBB.1.16 एक्टिव हैं। फ्लू और कोविड के बीच में काफी समानता है। मरीज के टेस्ट करने पर H3N2 के साथ कोरोना वायरस पाॅजीटिव आने के मामले सामने आ रहे हैं।

क्या करें

अगर किसी व्यक्ति को जुकाम-खांसी है या फ्लू जैसे लक्षण हैं, तो उसे तुरंत अस्पताल नहीं जाना चाहिए क्योंकि वहां उन्हें इंफेक्शन होने का खतरा हो सकता है। माइल्ड इंफेक्शन भी हो सकता है और जल्द ठीक भी हो सकता है। लेकिन अगर किसी को 5-7 दिन तक बुखार आ रहा है, गले में संक्रमण है, सांस की परेशानी हो रही है, सूंघने की क्षमता में कमी आ रही है- तो डाॅक्टर को जरूर कंसल्ट करना चाहिए।

जहां तक इलाज की बात है, कोरोना वैरिएंट संक्रमित मरीजों का उपचार सिम्टोमैटिक तरीके से किया जा रहा है। जरूरत पड़ने पर मरीज को रेमडेसिविर मेडिसिन 5 दिन के लिए दी जा रही है। मरीज को पूरा आराम करना सबसे जरूरी है।

गाइडलाइन

आईसीएमआर ने कोरोना को लेकर क्लीनिकल गाइडलाइन जारी की है कि बुखार होने पर आप पैरासिटामोल, विटामिन-सी ले सकते हैं। लेकिन सेल्फ-मेडिकेशन के नाम पर या ओवर द काउंटर एंटीबाॅयोटिक दवाइयां बिल्कुल न लें। क्योंकि कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के उपचार के दौरान ली जाने वाले एंटीबाॅयोटिक दवाइयों और स्टेराॅयड ली जाएगी तो एंटीबाॅयोटिक रजिस्टेेंस हो सकता है। एंटीबाॅयोटिक वायरल इंफेक्शन में ली जाएंगी, तो जब असल में एंटीबाॅयोटिक की जरूरत होगी तब ये काम नहीें करेंगी। तब स्थिति गंभीर हो सकती है।
क्लीनिकल डाॅक्टरों को भी निर्देश दिए गए हैं कि मरीज का ठीक तरह चैकअप किए बिना न्यूट्रलाइजिंग मोनोक्लोनल एंटीबाॅडी,लोपिनाविर रिटोनावीर, एचसीक्यू, आइवरमेक्टीन, स्वास्थ्य लाभ करने वाला प्लाज्मा, मोलनूपिरावीर, फैवीपिरावीर, एजिथ्रोमाइसिन और डाॅक्सीसाइक्लाइन नही दिए जाने चाहिए। अच्छा पौष्टिक आहार लें। प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फल-सब्जियों, का सेवन जरूर करें। गुनगुना पानी या लिक्विड डाइट ज्यादा से ज्यादा लें। नमक वाले गुनगुने पानी से गरारे करें, स्टीम लें।

Corona
Corona Guidelines

कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का करें पालन

संक्रमण के बढ़ते जोखिम को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी को कोविड से लड़ने के लिए 4-टी यानी टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट और टीकाकरण पर जोर देने के लिए कहा है। इसके साथ कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर अपनाने, सांस लेने में दिक्कत को लेकर अन्य सावधानियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया गया है-

  • भीड़भाड़ और खराब हवा वाली जगहों पर जाने से बचें
  • घर से बाहर जाते हुए मास्क जरूर पहनें। डाॅक्टर, स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मरीज और परिजन मास्क जरूर लगाएं।
  • सोशल डिस्टेंसिंग या 2 मीटर की दूरी मेंटेन करें।
  • साफ-सफाई का ध्यान रखें। हैंड हाइजीन का विशेष ध्यान रखें। हाथों को बार-बार धोते रहें या हैंड सेनिटाइजर इस्तेमाल करें।
  • छींकते या खांसते समय नाक और मुंह को ढकने के लिए रुमाल या टिशू पेपर का इस्तेमाल करें।
  • सार्वजनिक स्थानों थूकने से परहेज करें।
  • कोरोना के लक्षण दिखने पर कोरोना टेस्टिंग जरूर करवाएं। जहां तक हो सके मिलना-जुलना टालें। खानपान का विशेष ध्यान रखें-खट्टा, ठंडा जैसी चीजें खाने से परहेज करें।

(डाॅ मोहसिन वली, सीनियर फिजीशियन, सर गंगा राम अस्पताल, नई दिल्ली)