आनंद मूर्ति गुरु मां का जन्म कहां हुआ और उनका बचपन कहां बीता है: Anand Murti
Anand Murti Gurumaa

आनंद मूर्ति गुरु मां का जन्म कहाँ हुआ और उनका बचपन कहाँ बीता हैOverview:

आनंद मूर्ति गुरु माँ कौन हैं

आनंद मूर्ति गुरु माँ आध्यात्मिक गुरु हैं जो जीवन जीने की कला सिखाती हैं I आनंदमूर्ति गुरु मां का जन्म 8 अप्रैल 1966 में भारत के पंजाब राज्य के अमृतसर शहर में हुआ था l उन्हें बचपन में गुरप्रीत कौर ग्रोवर के नाम से जाना जाता था l इनका परिवार 1947 में विभाजन के दौरान पाकिस्तान के गुजरांवाला से भारत आ गया था lगवर्नमेंट कॉलेज से कला में उन्होंने स्नातक किया l यह बचपन से ही काफी होशियार थी l उन्हें उपनिषदों और भगवत गीता जैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथों का गहरा ज्ञान है l

आनंद मूर्ति गुरु माँ की ईश्वर के प्रति गहरी आस्था

काफी कम उम्र में उन्होंने कविताएं लिखना भी शुरू कर दिया था l ईश्वर के प्रति इनकी गहरी आस्था थी l अपनी कविताओं में ईश्वर की कभी प्रियतम और कभी सखा के रूप में व्याख्या किया करती थी l 14 वर्ष की आयु में उन्होंने धार्मिक उपदेश देने शुरू कर दिए थे l इन्होंने संत दिलावर सिंह से दीक्षा ली और उन्होंने इन्हें ‘ आनंदमूर्ति गुरु मां ‘ नाम दिया l

बचपन में जब उनकी उम्र के अन्य बच्चे खेलते, कूदते थे,वे वेदांत के सिद्धांत सुनती थी, जब अन्य बच्चे ऊंचाइयों पर जाने के सपने देख रहे थे,ये सपने से जागृति की कला सीख रही थी l बहुत छोटी उम्र से ही वह सहेलियों और अपनी उम्र के बच्चों के साथ नहीं बल्कि योगियों और गुरुओं के साथ रहा करती थी l

अपने बचपन के दौरान वे मौन में ध्यान करती थी lएक दिन वह पूर्ण मौन में चली गई और 7 महीने के वैराग्य के बाद उन्होंने अपना गृह नगर छोड़ दिया और उत्तर भारत के विभिन्न पवित्र स्थानों का भ्रमण किया, ऋषिकेश पहुंचने के बाद वे फिर से लंबी अवधि के लिए गहरी चुप्पी में चली गई l जल्द ही उनकी आध्यात्मिकता की खुशबू दुनिया में फैल गई और लोग ज्ञान और मार्गदर्शन की तलाश में उनके पास आने लगे

आध्यात्मिक ज्ञान और आत्मा की पहचान की आंतरिक गहराइयां उनके प्रवचनों में खूबसूरती से मिश्रित होती हैं l आध्यात्मिक गुरु का हमारे जीवन में महत्व जो हमारे जीवन मैं ज्ञान का प्रकाश लाता है, हमें वैराग्य ( भौतिक संसार से अलगाव ), संसारिक संतुष्टि से इंद्रियों को वापस लेना, काम,क्रोध,लोभ,मोह,अहंकार जैसे भूतों पर विजय प्राप्त करना और अपने मन का स्वामी बनाने में मदद करती हैं l सुंदर गीत और संगीत का आत्मसात करते हुए गुरु मां मानव जीवन के हर पहलू जैसे रहस्यवाद, मनोविज्ञान, समाज, धर्म,परिवार आदि पर बोलती हैं

कविता लेखन और संगीत से प्यार

इन्होंने अभी तक 100 से अधिक कविताएं संगीत सहित लिखी हैं I यह भारत की पहली महिला हैं जिन्होंने तुर्की सूफी दरवेश मेवलाना जेल उद्दीन रूमी की प्रेम कविताओं का हिंदी भाषा में अनुवाद किया और उन्होंने उन्हें अपनी पुस्तक प्रेम का झलकता जाम में भी प्रकाशित किया l एल्बम-‘ रूमी-लव एट इट्स ज़ेनिथ’ में उन्होंने रूमी की कविताओं को खूबसूरती से गाया है l

गुरु माँ का योग से जुड़ाव और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता

संगीत के साथ यह योग , आयुर्वेद को भी मानती हैं और अपने आश्रम में प्रोग्राम भी कराती हैं l इन्होंने स्वास्थ्य के ऊपर भी कई किताबें लिखी हैं l इन्होंने योगनिद्रा नामक योग की रचना की,जो लोगों की थकान परेशानी आदि दूर करने में उपयोगी है l इनकी रोजाना योग क्लास और पूरे विश्व में कहीं ना कहीं योग की वर्कशॉप भी चलती है lइनका प्रोग्राम अमृत वर्षा रोजाना टीवी चैनल स्टार प्लस पर आता है l अगस्त 2016 में इन्होंने अपना कैलिफोर्निया में भी जैन सेंटर खुलवाया है l

गुरु माँ द्वारा शक्ति मिशन की शुरुआत

कन्या भ्रूण हत्या को रोकने और महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से उन्होंने साल 2000 में ‘शक्ति मिशन’ शुरू किया जो जरूरतमंद लड़कियों को वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए शिक्षित करता है l एक बार उन्होंने अपने कॉलेज की एक प्रतिभाशाली लड़की जिसकी मां उसकी फीस का भुगतान करने में सक्षम नहीं थी उसकी पूरी शिक्षा की जिम्मेदारी लेने का फैसला किया, इसके बाद से अब तक उनके आश्रम द्वारा 35000 से अधिक लड़कियों की शिक्षा प्रयोजित की जा चुकी है l

आनंद मूर्ति गुरु मां किस भगवान या पंथ को मानती हैं और किस पर आस्था रखते हैं

आनंदमूर्ति गुरु मां खुद को किसी भी परंपरा, धर्म,पथ या लेबल से नहीं मानती l उनके अनुसार आत्मज्ञान ही हर मनुष्य का एकमात्र धर्म है l आत्मा परमात्मा का अंश है,सर्वत्र व्याप्त है, पूरी सृष्टि जड़-चेतन,कण-कण में विराजमान है l उसी एक परमात्मा की शक्ति से सारा जगत चलायमान है, उसी परमात्मा की सभी में और खुद में पहचान करना और उससे हर समय संबंध स्थापित करते हुए कर्म पथ पर आगे बढ़ना ही हर मनुष्य का धर्म है l हर कर्म को करते हुए मेरा योग परमात्मा से जुड़ा रहे तो हर कर्म मेरी पूजा के समान है l आनंदमूर्ति गुरु मां इसी पंथ के अनुयाई हैं l

आज गुरु मां गन्नौर हरियाणा के एक सुंदर आश्रम में रहती हैं l वह प्रेम और करुणा का प्रतीक हैं l उनका सशक्त व्यक्तित्व और गतिशील दृष्टिकोण सभी के लिए प्रेरणादायक है l

Anand Murti: आनंद मूर्ति गुरु मां आध्यात्मिक गुरु हैं जो जीवन जीने की कला सिखाती हैं I आनंदमूर्ति गुरु मां का जन्म 8 अप्रैल 1966 में भारत के पंजाब राज्य के अमृतसर शहर में हुआ था l उन्हें बचपन में गुरप्रीत कौर ग्रोवर के नाम से जाना जाता था l इनका परिवार 1947 में विभाजन के दौरान पाकिस्तान के गुजरांवाला से भारत आ गया था l गवर्नमेंट कॉलेज से कला में उन्होंने स्नातक किया l यह बचपन से ही काफी होशियार थी l उन्हें उपनिषदों और भगवत गीता जैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथों का गहरा ज्ञान है l

Anand Murti: आनंद मूर्ति गुरु माँ की ईश्वर के प्रति गहरी आस्था

Anand Murti
Anand Murti Life Journey


काफी कम उम्र में उन्होंने कविताएं लिखना भी शुरू कर दिया था l ईश्वर के प्रति इनकी गहरी आस्था थी l अपनी कविताओं में ईश्वर की कभी प्रियतम और कभी सखा के रूप में व्याख्या किया करती थी l 14 वर्ष की आयु में उन्होंने धार्मिक उपदेश देने शुरू कर दिए थे l इन्होंने संत दिलावर सिंह से दीक्षा ली और उन्होंने इन्हें ‘ आनंदमूर्ति गुरु मां ‘ नाम दिया l

बचपन में जब उनकी उम्र के अन्य बच्चे खेलते, कूदते थे,वे वेदांत के सिद्धांत सुनती थी, जब अन्य बच्चे ऊंचाइयों पर जाने के सपने देख रहे थे,ये सपने से जागृति की कला सीख रही थी l बहुत छोटी उम्र से ही वह सहेलियों और अपनी उम्र के बच्चों के साथ नहीं बल्कि योगियों और गुरुओं के साथ रहा करती थी l

अपने बचपन के दौरान वे मौन में ध्यान करती थी lएक दिन वह पूर्ण मौन में चली गई और 7 महीने के वैराग्य के बाद उन्होंने अपना गृह नगर छोड़ दिया और उत्तर भारत के विभिन्न पवित्र स्थानों का भ्रमण किया, ऋषिकेश पहुंचने के बाद वे फिर से लंबी अवधि के लिए गहरी चुप्पी में चली गई l जल्द ही उनकी आध्यात्मिकता की खुशबू दुनिया में फैल गई और लोग ज्ञान और मार्गदर्शन की तलाश में उनके पास आने लगे

आध्यात्मिक ज्ञान और आत्मा की पहचान की आंतरिक गहराइयां उनके प्रवचनों में खूबसूरती से मिश्रित होती हैं l आध्यात्मिक गुरु का हमारे जीवन में महत्व जो हमारे जीवन मैं ज्ञान का प्रकाश लाता है, हमें वैराग्य ( भौतिक संसार से अलगाव ), संसारिक संतुष्टि से इंद्रियों को वापस लेना, काम,क्रोध,लोभ,मोह,अहंकार जैसे भूतों पर विजय प्राप्त करना और अपने मन का स्वामी बनाने में मदद करती हैं l सुंदर गीत और संगीत का आत्मसात करते हुए गुरु मां मानव जीवन के हर पहलू जैसे रहस्यवाद, मनोविज्ञान, समाज, धर्म,परिवार आदि पर बोलती हैं

कविता लेखन और संगीत से प्यार

Anand Murti Journey
Anand Murti’s Hobby

इन्होंने अभी तक 100 से अधिक कविताएं संगीत सहित लिखी हैं I यह भारत की पहली महिला हैं जिन्होंने तुर्की सूफी दरवेश मेवलाना जेल उद्दीन रूमी की प्रेम कविताओं का हिंदी भाषा में अनुवाद किया और उन्होंने उन्हें अपनी पुस्तक प्रेम का झलकता जाम में भी प्रकाशित किया l एल्बम-‘ रूमी-लव एट इट्स ज़ेनिथ’ में उन्होंने रूमी की कविताओं को खूबसूरती से गाया है l

गुरु माँ का योग से जुड़ाव और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता

Anand Murti Guruma
Awarness by Anand Gurumaa

संगीत के साथ यह योग , आयुर्वेद को भी मानती हैं और अपने आश्रम में प्रोग्राम भी कराती हैं l इन्होंने स्वास्थ्य के ऊपर भी कई किताबें लिखी हैं l इन्होंने योगनिद्रा नामक योग की रचना की,जो लोगों की थकान परेशानी आदि दूर करने में उपयोगी है l इनकी रोजाना योग क्लास और पूरे विश्व में कहीं ना कहीं योग की वर्कशॉप भी चलती है lइनका प्रोग्राम अमृत वर्षा रोजाना टीवी चैनल स्टार प्लस पर आता है l अगस्त 2016 में इन्होंने अपना कैलिफोर्निया में भी जैन सेंटर खुलवाया है l

गुरु माँ द्वारा शक्ति मिशन की शुरुआत

कन्या भ्रूण हत्या को रोकने और महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से उन्होंने साल 2000 में ‘शक्ति मिशन’ शुरू किया जो जरूरतमंद लड़कियों को वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए शिक्षित करता है l एक बार उन्होंने अपने कॉलेज की एक प्रतिभाशाली लड़की जिसकी मां उसकी फीस का भुगतान करने में सक्षम नहीं थी उसकी पूरी शिक्षा की जिम्मेदारी लेने का फैसला किया, इसके बाद से अब तक उनके आश्रम द्वारा 35000 से अधिक लड़कियों की शिक्षा प्रयोजित की जा चुकी है l

आनंद मूर्ति गुरु मां किस भगवान को मानती हैं

आनंदमूर्ति गुरु मां खुद को किसी भी परंपरा, धर्म,पथ या लेबल से नहीं मानती l उनके अनुसार आत्मज्ञान ही हर मनुष्य का एकमात्र धर्म है l आत्मा परमात्मा का अंश है,सर्वत्र व्याप्त है, पूरी सृष्टि जड़-चेतन,कण-कण में विराजमान है l

ये भी पढ़ें-नटखट कान्हा का जन्म महोत्सवः श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

उसी एक परमात्मा की शक्ति से सारा जगत चलायमान है, उसी परमात्मा की सभी में और खुद में पहचान करना और उससे हर समय संबंध स्थापित करते हुए कर्म पथ पर आगे बढ़ना ही हर मनुष्य का धर्म है l हर कर्म को करते हुए मेरा योग परमात्मा से जुड़ा रहे तो हर कर्म मेरी पूजा के समान है l आनंदमूर्ति गुरु मां इसी पंथ के अनुयाई हैं l

आज गुरु मां गन्नौर हरियाणा के एक सुंदर आश्रम में रहती हैं l वह प्रेम और करुणा का प्रतीक हैं l उनका सशक्त व्यक्तित्व और गतिशील दृष्टिकोण सभी के लिए प्रेरणादायक है l

मेरा नाम मोनिका अग्रवाल है। मैं कंप्यूटर विषय से स्नातक हूं।अपने जीवन के अनुभवों को कलमबद्ध करने का जुनून सा है जो मेरे हौंसलों को उड़ान देता है।मैंने कुछ वर्ष पूर्व टी वी और मैग्जीन के लिए कुछ विज्ञापनों में काम किया है । मेरा एक...