एक बहुत पुराने नगर में एक बहुत पुराना चर्च था। वह चर्च इतना पुराना था। कि उस चर्च में भीतर जाने से, उसमें प्रार्थना करने वाले भयभीत होते थे, तो चर्च के अस्थि-पंजर कांप जाते थे। हवाएं चलती थीं, तो लगता था, चर्च अब गिरा, अब गिरा! ऐसे चर्च में कौन प्रवेश करता, कौन प्रार्थना करता? धीरे-धीरे उपासक आने बंद हो गये।
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धर्म जगत के वैज्ञानिक हैं- पतंजलि
योग एक शुद्ध विज्ञान है। और जहां तक योग के संसार का सवाल है पतंजलि का नाम महानतम है। वे एक दुर्लभ व्यक्ति हैं, उनकी तुलना का कोई भी नाम नहीं है। मानवता के इतिहास में पहली बार इस व्यक्ति ने धर्म को विज्ञान की हैसियत तक पहुंचा दिया।
भारत का भविष्य – ओशो
सुना है मैंने कि चीन में एक बहुत बड़ा विचारक लाओत्सु पैदा हुआ। लाओत्सु के संबंध में कहा जाता है कि वह बूढ़ा ही पैदा हुआ। यह बड़ी हैरानी की बात मालूम पड़ती है। इस पर भरोसा आना मुश्किल है। मुझे भी भरोसा नहीं है। और मैं भी नहीं मानता कि कोई आदमी बूढ़ा पैदा हो सकता है। लेकिन जब मैं इस हमारे भारत के लोगों को देखता हूं तो मुझे लाओत्सु की कहानी पर भरोसा आना शुरू हो जाता है।
डॉक्यूमेंट्री में सत्य नहीं आ पाया
प्र. क्या आपने नेटफ्लिक्स की ‘वाइल्ड-वाइल्ड कंट्री’ डॉक्यूमेंट्री देखी है? यदि हां तो आपकी इस पर क्या प्रतिक्रिया है? उ. हां, मैंने देखी है यह वेब सीरीज! डॉक्यूमेंट्री में दिखाई गईं बातें एकतरफा नहीं तो कमोबेश पक्षपाती तो हैं हीं; और यह इसके टाइटल से ही स्पष्ट हो जाता है – ‘वाइल्ड वाइल्ड’ कंट्री!!! ‘कूल-कूल’ कंट्री […]
नि:शुल्क ध्यान साधना आश्रम ओशो मधुबन
ओशो मधुबन जो कि 5 एकड़ में फैला ओशो की देशना पर आधारित एक सुंदर आवासीय कम्यून है, जो कि चांपा छत्तीसगढ़ में स्थित है, ओशो मधुबन ध्यान में उत्सुक मित्रों के लिए 365 दिन, प्रतिदिन 5 ध्यान होते हैं, साथ ही यहां शुद्ध शाकाहारी स्वादिष्ट भोजन एवं डॉयमेट्री, नान एसी रूम, एसी रूम डीलक्स रूम की सुविधा है
जो भी असंभव था वो ओशो में संभव हुआ
कमलेश पांडे, हिन्दी फिल्मों एवं विज्ञापन के क्षेत्र में, एक प्रतिष्ठित लेखक हैं। तेजाब , सौदागर एवं रंग दे बसंती, जैसी अनेक प्रसिद्ध फिल्मों की पटकथा के लेखन का श्रेय आपको प्राप्त है। इतना ही नहीं आप ओशो द्वारा ‘स्वामी आनंद कमलेश’ के नाम से संन्यस्त हुए हैं। ओशो के काम और आश्रमों को आपने नजदीक से देखा और अनुभव किया है। प्रस्तुत है लिए गए साक्षात्कार के प्रमुख अंश।
सभी लोग ओशो को समझ सकेंगे यह नामुमकिन है
‘स्वामी कृष्ण वेदांत’ ओशो के समय के वरिष्ठ संन्यासियों में से एक हैं। लंदन में रहकर भी आप दिन-रात फेसबुक के माध्यम से एक सक्रिय संन्यासी की भूमिका निभा रहे हैं और ओशो के जीवन व विज़न को जन-जन तक पहुंचाने का सराहनीय प्रयास कर रहे हैं। प्रस्तुत है व्हाट्सअप के जरिए लिए गए साक्षात्कार के प्रमुख अंश।
जो मेरे साथ रहे हैं उनमें से पचास प्रतिशत भी अगर मुझे समझ लेते हैं तो चमत्कार है
जो भारतीय मित्र यहां मेरे पास हैं, वे मेरे पास जरूर हैं, लेकिन मेरी बातें कितनी समझ पाते हैं, यह जरा कहना कठिन है। उनमें से पचास प्रतिशत भी समझ लेते हैं तो चमत्कार है।
ओशो ने मेरे अंदर की हर संभावना को प्रतिभा बनाया है
ओशो के विदेशी संन्यासियों में से एक मुख्य नाम है ‘मा प्रेम मनीषा’। जो न केवल ओशो के अंग्रेजी प्रवचनों में प्रश्न पूछती हुई नजर आती हैं बल्कि, आपने ओशो के संध्या दर्शन की ‘दर्शन डायरी ‘ भी तैयार की हैं। प्रस्तुत है ओशो कम्यून में लिए गए साक्षात्कार के प्रमुख अंश।
शीला ने जितनी ओशो की सेवा की उतना नुकसान भी किया
‘स्वामी संजय भारती’ न केवल ओशो के लोकप्रिय पुराने संन्यासी हैं बल्कि सालों से ओशो की पुस्तकों एवं पत्रिकाओं के प्रकाशन व संपादन में सहयोगी भी रहे हैं। प्रस्तुत है ‘वाइल्ड-वाइल्ड कंट्री’ के संदर्भ में लिए गए साक्षात्कार के प्रमुख अंश।
